Showing posts with label http://www.blogger.com/img/blank.gif. Show all posts
Showing posts with label http://www.blogger.com/img/blank.gif. Show all posts

Sunday, August 28, 2011

‘‘आइसना’’ पत्रकारिता सम्मान के लिए प्रविष्ठियां आमंत्रित

आइसना का प्रांतीय सम्मेलन 11 सितंबर २011 को भोपाल में

भोपाल। आल इंडिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन (आइसना) का प्रांतीय सम्मेलन ‘‘संघर्ष 2011’’ एवं ‘‘राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान समारोह’’ 11 सितंबर 2011 को रवीन्द्र भवन को प्रात: 11 बजे भोपाल में आयोजित किया गया है। ‘‘आइसना’’ पत्रकारिता सम्मान हेतु पाँच राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान, ग्यारह राज्य पत्रकारिता सम्मान एवं आठ विशिष्ट पत्रकारिता सम्मान के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित की जाती हैं। प्रविष्टियां 29 अगस्त से 05 सितम्बर 2011 के बीच भेजी जा सकती है। सम्मान में स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र प्रदान किया जाएगा।

सम्मान का आधार भ्रष्टाचार एवं पत्रकारिता क्षेत्र में की गई उपलब्धियां रखी गई है। ऐसी रिपोट्र्स/अभियानों की प्रविष्टियां विशिष्ट सम्मान की श्रेणी में शामिल होंगी जिसमें पत्रकारों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी रूप से निर्णायक जंग छेड़ी हो।
‘‘संघर्ष 2011’’ के सम्मान के लिए प्रविष्टियां 05 सितम्बर 2011 तक ई -मेल aisnampindia@gmail.com, timesofcrime@gmail.com पर या आइसना, महासचिव कार्यालय में 23/ टी-7, प्रेस काम्प्लेक्स, भोपाल में प्रेषित की जा सकती हैं। सम्मान और प्रविष्टियों सम्बन्धित विस्तृत जानकारी www.aisnaindia.blogspot.com, www.tocnewsindia.blogspot.com पर उपलब्ध हैं। संबंधित जानकारी के लिए मोबाइल नं. 098932 21036, 83057 03436 पर संपर्क कर सकते है। आइसना के प्रांतीय महासचिव विनय जी. डेविड एवं प्रांतीय उपाध्यक्ष लोकेश दीक्षित ने संयुक्त विज्ञप्ति में बताया कि स्थानीय रविन्द्र भवन में होने वाले इस कार्यक्रम में देश के चयनित पत्रकारों का सम्मान किया जाएगा।
इस प्रादेशिक कार्यक्रम में म.प्र. के महामहीम राज्यपाल रामनरेश यादव, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संस्कृति एवं जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री नरोत्तम मिश्रा, अजय सिंह राहुल नेता प्रतिपक्ष म. प्र. विधानसभा, सहित गणमान्य नागरिक को आमंत्रित किया गया है।

- : महासचिव कार्यालय : -
आइसना, 23/टी-7, गोयल निकेत, प्रेस काम्पलेक्स, जोन-1, एम.पी.नगर, भोपाल (म.प्र.) ४६२०११
फोन नं. 0755 - 4078525
मोबाइल- 98932 21036, 83057 03436

Thursday, July 28, 2011

पिया पर भारी यार की यारी satyakatha


बंगलूर// पी. व्यंकटेश
कर्नाटक के शहर बंगलूर के लमदा क्षेत्र के शीशाद्रीपुरम कॉलेज में राधा बी.कॉम फाइनल इयर की छात्रा थीं। वहीं संपत बी.एस.सी. फाइनल इयर का स्टूडेंट था।

दोनों एक ही कॉलेज के स्टूडेंट थे। अत: अक्सर दोनों की मुलाकात हो जाया करती थी। धीरे-धीरे दोनों आपस में अच्छे दोस्त बन गए, फिर दोस्ती प्यार में बदल गई। दोनों ही साथ खाते-पीते, पढ़ते-लिखते और सोते-जागते एक-दूसरे के ख्यालों में रहते थे। यूं ही समय गुजरता रहा। धीरे-धीरे हवालों में उन दोनों के प्यार की खुशबू फैली और इस की महक राधा की मां तक पहुंची। एक रोज मां ने राधा से कहा, राधा, यह सब मैं क्या सुन रही हूं? तुम्हारे पापा को इस बात का पता चला तो वे तुम दोनों को मार डालेंगे।

राधा ने कुछ छुपाने के बजाय साफ-साफ कहा, मम्मी, मैं संपत से प्यार करती हूं। वो भी मुझे बहुत प्यार करता है। हम दोनों शादी करना चाहते हैं, लेकिन उस की जाति अलग हैं, बेटी यह तो तूने मुझे बहुत बड़े धर्म संकट में डाल दिया है। मां मैं उससे बहुत प्यार करती हूं। इतना कहने के साथ ही राधा ने रोते हुए मां के पैर पकड़ लिए, प्लीज मां, हमारी शादी करा दो। बेटी मैं तो मान जाऊंगी, लेकिन तेरे पिताजी नहीं मानेंगे। आप उन्हें मना लेंगी। प्लीज मां। ‘इस तरह हताश नहीं होते’ कहते हुए मां ने राधा को उठाया, पहले तू उसे मुझसे मिला। फिर मैं तेरी खुशी के लिए तेरे पिता जी से एक बार बात जरूर करूंगी। अपनी शादी के लिए मां को मना लेने की बात जब राधा ने संपत को बताई तो वह काफी खुश हुआ। फिर एक दिन राधा की मां ने शादी की बात राधा के पिता से की। सुनिये, मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं। हमारी राधा बिटिया किसी से प्यार करने लगी है। वह लडक़ा उसी के कॉलेज में पढ़ता है।

वह हमारी जाति बिरादरी का नहीं है। तो क्या हुआ। देखिये न, अब तो समय भी बदल रहा है। मुझे तो लगता है, राधा की शादी हमें उसी लडक़े के साथ कर देनी चाहिए। यह क्या बात कर रही हो तुम? तुमने सोच भी कैसे लिया कि मैं किसी गैर जाति के लडक़े से अपनी बेटी की शादी कर दूंगा। लेकिन हमारी बिटिया उस लडक़े से बहुत ज्यादा प्यार करती है और मैंने उसे जवान दे रखी है। यह रिश्ता हरगिज नहीं होगा। राधा की शादी वहीं होगी, जहां मैं चाहूंगा। तुम्हारे भाई के बैटे मूर्ति के साथ ही राधा की शादी होगी, यह समझ लो तुम।

फिर राधा के पिता ने राधा की शादी अपने साले के बेटे मूर्ति के साथ पक्की कर दी। राधा ने यह बात संपत को बताई तो वह उदास हो गया। शादी की तारीख तय होते ही राधा गुमसुम हो गई। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें? राधा के पिता ने राधा की शादी मूर्ति के साथ कर दी। दुल्हन बन कर राधा अपनी ससुराल आ गई। ससुराल में राधा का भव्य स्वागत किया गया। बहू के आने की खुशी में ससुराल वालों ने भव्य प्रीत भोज दिया। सबने खाना खाया पर राधा भूखी ही रही। सब के कहने के बावजूद भी उसने एक निवाला तक मुंह में नहीं डाला।

वह तो बस संपत के ख्यालों में ही गुम थी। इसी तरह पांच दिन बीत गये। राधा के व्यवहार में कोई फर्क नहीं आया। क्षुब्ध होकर मूर्ति ने अपने घर में सब को साफ-साफ बता दिया। बात संगीन थी, अत: उन्होंने फोन करके राधा के पापा को बुला लिया। सारी बात सुन कर वह भी चिंतित हो गए। सोचा, यह लडक़ी हमारी नाक कटवा देगी। राधा के पापा ने राधा को समझाया, देखो बेटी, अब कभी किसी को शिकायत का मौका मत देना। आखिर यहां किस बात की कमी है। हंसी-खुशी से रहो। अब मैं चलता हूं। नहीं पापा, मुझे यहां छोडक़र मत जाइये। मुझे अपने साथ ले चलिए। नहीं तो मैं घुट-घुट कर मर जाऊंगी। गिड़गिड़ाते हुए राधा ने कहा, तो वह भडक़ उठे। नादान लडक़ी, शादी के बाद लडक़ी का असली घर ससुराल होता है। तेरा अब यही घर है।

फिर क्यों मेरे साथ चलने की जिद कर रही है। इस पर राधा के ससुराल वालों ने नरमी से कहा, बच्ची है, जिद कर रही है तो इस कुछ दिन के लिए ले जाइये। वहां जाने के बाद राधा ठीक हो जाएगी। राधा के पापा उसे अपने साथ घर ले आये। कुछ दिनों बाद मूर्ति राधा, को लेने आया तो फिर वही कहानी शुरू हो गई। राधा ने साफ कह दिया कि वह ससुराल नहीं जाएगी। राधा की बातें सुनकर मूर्ति को दुख पहुंचा। उसने सोचा था कि अब तक राधा में बदलाव आ गया होगा।

वह उसे देख कर खुश होगी। मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। बहरहाल, राधा की किसी ने एक न सुनी और मूर्ति के साथ उसे बिदा कर दिया गया। ससुराल आते ही राधा फिर से खाती-पीती नहीं घर के लोगों से बातें करती। थोड़ी-थोड़ी देर में सिसकती रहती। हकीकत तो यह थी राधा संपत को भुला ही नहीं पा रही थी। वह उसी की यादों में खोकर रोती रहती थी। राधा के जेहन में हमेशा संपत से पहले मिलन की घटना घूमती रहती थी। उस दिन जोरों से सर्दी थी। मौसम आशिकाना था, अत: राधा संपत से मिलने क लिए बचैन हो उठी। वह सोचने लगी, कैसे संपत के पास पहुंचे और उसकी बाहों में समा जाए। संपत का घर राधा के घर से कुछ ही फासले पर था। राधा ने खिड़ी से बाहर देखा। ज्यादा सर्दी की वजह से उस वक्त बाहर कोई भी नहीं था। सन्नाटा देखकर राधा के मन की मुराद पूरी हो गई। उसने अपने सिर पर साड़ी का पल्लू डाला और तेजी से दौड़ती हुई संपत के घर पहुंच गई। संपत अपने घर में अकेला बैठा हुआ टी.वी. देख रहा था। राधा को देख कर वह चौंका, तुम यहां...? संपत, अब मैं एक पल के लिए भी मूर्ति के साथ नहीं रह सकती। मुझे यहां से कहीं दूर ले चलो।

संपत, कुछ करो प्लीज, हमारे लिए कुछ करो। राधा तुम चिंता मत करो। मैं जरूर कुछ करूंगा। 29 जनवरी को प्रात: राधा ने मूर्ति से मंदिर चलने की जिद की। चूंकि राधा ने पहली बार मूर्ति से प्रेमपूर्वक जिद की थी। इसलिए वह राधा को साथ लेकर मंदिर गया। मंदिर में राधा और मूर्ति ने पूजा-अर्चना की, फिर दोनों बाहर निकल ही रहे थे कि मंदिर से बाहर आते वक्त संपत अपने कुछ साथियों के साथ मूर्ति से भिड़ गया। बहुत कुछ हो सकता है। मूर्ति तुम्हारे जीते जी तो यह नहीं होगा। हां, तुम्हारे मरने के बाद राधा मेरी जरूर हो जाएगी। तभी संपत के साथियों ने अचानक मूर्ति पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया। मूर्ति पर अचानक हुए हमले की खबर सुनकर सब हैरान रह गए। मूर्ति का चचेरा भाई हरीश मूर्ति को अस्पताल लेकर पहुंचा।

लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। राधा ने एसएमएस के जरिये संपत को हर एक पल की जानकारी दी थी, जब मूर्ति मंदिर से बाहर निकल रहा था, तभी हमलावरों ने मूर्ति पर हमला कर दिया था। राधा और संपत अब जेल में चक्की पीस रहे हैं।

नौकर के चक्कर में मेम ने बजाया पति का गेम

देवगढ़ // नरेन्द्र बहादुरे
toc news internet channal

क्या करते हो गुड्डू? कुछ भी तो नहीं... वो क्या है कि हां बोलो रूक क्यों गये। आप बड़ी वो हैं, नाहक मुझे परेशान करती है। अगर किसी ने कभी देख लिया तो मेरी तो नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। अच्छा गुड्डू एक बात बता तू, झूठ बिल्कुल मत बोलना।

हां पूछो, तुझे मैं अच्छी लगती हूं या यह नौकरी... जान बुझकर शानों ने अपना साड़ी का पल्लू जमीन पर गिरा दिया, उसके अर्धचन्द्राकर ब्लाउस के कर से उसके खुबसूरत बदन साफ नुमाया हो गए। शानों ने चंद कदम और आगे पढ़ाये उसने गुड्डू का हाथ अपने हाथ में लिया और बोली देखा गुड्डू तुम नासमझ नहीं हो, विवाहित हो, औरत मर्द के संबंधों को जानते हो, पर वो क्या...देखो गुड्डू अगर मेरी बात मानोगे तो तुम्हें कोई कमी नहीं रहेगी। जो तुम चाहोगे तुम्हे मिलेगा, पर अगर तुमने मेरी बात न मानी तो मैं... क्या मैं-मंै लगा रखी हैं। बरसात कर दी। गुड्डू के अन्दर का मर्द जाग गया। उसने तमाम रिश्ते नातों और मर्यादाओं को पीछे छोड़ दिया, दोनों की सांसे तेज हो गई हालात कुछ ऐसे बने कि किचन छोड़ कर दोनों बेडरूम पहुंचे। इस सब के पीछे एकऐसी दास्तां है जो हर पल बारिककियों से बुने गए। हैरत अंगेज दिमाग की शांतिरिया बयान करती है। कहानी को जानने के लिए हम दस साल पहले चलते है। जब शानों की नई-नई शादी हुई थी। देवगढ़ की पीली हवेली देवगढ़ के राजा की हवेली थी, राजा रजवाड़े भले ही खत्म हो गए थे, पर आज भी देवगढ़ के वारिस कुवर दीपेन्द्र बहादुर उसी जितने दौलतमन्द थे, उतने ही खुश मिजाज और रहम दिल भी, किसी भी मजबूर लाचार आदमी को देखते ही उनका दिल भी, किसी भी मजबूर लाचार आदमी को देखते ही उनका दिल पसीज उठता था।

उनके तीन चीनी मिट्टी के कारखाने थे। एक घी बनाने की फैक्टरी थी। पुस्तैनी जमीन थी। आज भी उनका रूतबा राजा महाराजा से कम न था। घर में यूं तो नौकर चाकरों की फौज थी। पर गुड्डू उनका पारिवारिक नौकर था। वह किचन की सारी व्यवस्था सम्भालता था। घर के स्वामी कुंवर दीपेनद्र बहादुर की उम्र 24 साल की हो गई थी। पर उन्होंने शादी नहीं की थी, माता-पिता का स्वर्गवास हो चुका था। सारी जिम्मेदारी दीपेन्द्र बहादुर बड़ी जिम्मेदारी के साथ निभा रहे थे। कुछ समय बाद दक्षिण भारत में बसे एक परिवार से उनके लिए एक रिश्ता आया, दीपेन्द्र बहादुर ने जाने क्यों शादी के बंधन में बंधना नहीं चाहते थे। कई लड़कियों व परिवारों को वह ना पसंद कर चुके थे। पर जब उन्होंने शानों को देखा तो उनकी आंखें चुंधिया गई। वह बिना पलक झपकायें शानों के अद्वितीय सौंदर्य को निहारते रहे। अपने को इस तरह टकटकी लगाए देखे जाने से शानों शर्मा गई। शानों की यह अदा दीपेन्द्र बहादुर को और भी भा गई। फिर शहनाई बजने में देर नहीं लगी।

शानों ने बहू के रूप में घर में कदम रखा। उसने अपने मृदल स्वभाव से सभी का दिल जीत लिया। बहू के कदम घर में क्या पड़े, व्यापार में चौमुखी बढ़ोत्तरी होने लगी, इसका परिणाम यह हुआ कि अब दीपेन्द्र बहादुर का ज्यादातर समय व्यापारिक गतिविधियों में बीतता था। पर दीपेन्द्र बहादुर अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों से भी विमुख नहीं हुए थे। उनकी दो संताने हुई। दोनों स्कूल में पढऩे लगी। दीपेन्द्र बहादूर के शरीर पर अब उम्र बढऩे की झलक दिखने लगी थी, पर रेवा अभी पहले निखरी हुई थी। उसे घर में दीपेन्द्र की अनुपस्थिति काफी खलती थी। बड़े घर की बहू थी, सो इधर-उधर भी आ जा नहीं सकती थी।

शानों का मन जब भटका तो उनकी नजर गुड्डू पर जा कर ठहर गई। गुड्डू घर का रसोइयां था, शानों पहले गुड्डू को इशारे करती रही पर गुड्डू जान कर अनजान बना रहा, पर उस दिन...इसके बाद गुड्डू और शानों के बीच वासना का जो घिनौना खेल खेला गया वह शानों और गुड्डू की नजरों में भले ही प्यार था, पर वह पाप था और पाप लाख कोशिश कर लो छुपाए नहीं छुपता, एक दोपहर जब शयन कक्ष में गुड्डू और शानो घिनौना काम कर रहे थे तो दीपेन्द्र बहादुर आ गए, उन्होंने दोनों को जम कर लताड़ा और तुरंत गुड्डू को घर से निकाल दिया और कहा कि उसकी दीपगढ़ कोठी वाली कोठी की देखभाल जा कर करे। शानों कासरा बना बनाया खेल बिगड़ गया, अपना पति जिसके साथ सात फेरे लिए थे, जन्म-जन्मांतर साथ निभाने का वायदा किया था। वही उसे अपना दुश्मन लगने लगा। शानो चाहती थी दीपेन्द्र बहादुर गुड्डू को वापस बुला ले, पर ऐसा हो न सका। दीपेन्द्र बहादुर जानबूझ कर आग पर पांव नहीं रखना चाहते थे। शानो बिना बताये घर के तमाम जेवर व नकदी लेकर गायब हो गई। तो दीपेन्द्र बहादुर के पैरों तले से जमीन खिसक गई।

किसी को बताते तो बदनामी और न बताये तो... उन्होंने शानों को मनाने, समझाने का प्रयास किया, आखिर एक दिन शानो ने कहा आप यही आये, यही बैठकर बात होगी। दीपेन्द्र बहादुर सब कुछ भूलकर बताये गये पते पर पहुंचा, डोर बेल बजाने पर दरवाजा शानों ने खोल दीपेन्द्र को देखते ही वह मुस्कराई उसने अपनी बाहें फैला दी। तो पत्नी का प्यार देखकर दीपेन्द्र पिछली सारी बात भूल गया और शानो क ी बाहों में समा गया तभी एक जोरदार हमला हुआ कमरें में घात लगा कर बैठे गुड्डू ने दीपेन्द्र के सिर पर लोहे की मोटी रॉड से वार किया पल भर में दीपेन्द्र जमीन पर गिर कर बेहोश हो गया, अब गुड्डू और शानो तब तक उसका गला घोटते रहे जब तक वह मर नहीं गया। इसके बाद दोनों ने बगीचे में दीपेन्द्र बहादुर के शव को दफना दिया। पर दीपेन्द्र की गुमशुदगी के बाद पुलिस हरकत में आयी। पुलिस ने जब अपनी पड़ताल की तो सारी बातें सामने आयी शानों और गुड्डू जेल में अब भी सलाखों के पीछे हैं।

CCH ADD

CCH ADD
CCH ADD

dhamaal Posts

जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

ANI NEWS INDIA

‘‘ANI NEWS INDIA’’ सर्वश्रेष्ठ, निर्भीक, निष्पक्ष व खोजपूर्ण ‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया ऑनलाइन नेटवर्क’’ हेतु को स्थानीय स्तर पर कर्मठ, ईमानदार एवं जुझारू कर्मचारियों की सम्पूर्ण मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले एवं तहसीलों में जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / पंचायत स्तर पर क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों / संवाददाताओं की आवश्यकता है।

कार्य क्षेत्र :- जो अपने कार्य क्षेत्र में समाचार / विज्ञापन सम्बन्धी नेटवर्क का संचालन कर सके । आवेदक के आवासीय क्षेत्र के समीपस्थ स्थानीय नियुक्ति।
आवेदन आमन्त्रित :- सम्पूर्ण विवरण बायोडाटा, योग्यता प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार के स्मार्ट नवीनतम 2 फोटोग्राफ सहित अधिकतम अन्तिम तिथि 30 मई 2019 शाम 5 बजे तक स्वंय / डाक / कोरियर द्वारा आवेदन करें।
नियुक्ति :- सामान्य कार्य परीक्षण, सीधे प्रवेश ( प्रथम आये प्रथम पाये )

पारिश्रमिक :- पारिश्रमिक क्षेत्रिय स्तरीय योग्यतानुसार। ( पांच अंकों मे + )

कार्य :- उम्मीदवार को समाचार तैयार करना आना चाहिए प्रतिदिन न्यूज़ कवरेज अनिवार्य / विज्ञापन (व्यापार) मे रूचि होना अनिवार्य है.
आवश्यक सामग्री :- संसथान तय नियमों के अनुसार आवश्यक सामग्री देगा, परिचय पत्र, पीआरओ लेटर, व्यूज हेतु माइक एवं माइक आईडी दी जाएगी।
प्रशिक्षण :- चयनित उम्मीदवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण भोपाल स्थानीय कार्यालय मे दिया जायेगा, प्रशिक्षण के उपरांत ही तय कार्यक्षेत्र की जबाबदारी दी जावेगी।
पता :- ‘‘ANI NEWS INDIA’’
‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया नेटवर्क’’
23/टी-7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, प्रेस काम्पलेक्स,
नीयर दैनिक भास्कर प्रेस, जोन-1, एम. पी. नगर, भोपाल (म.प्र.)
मोबाइल : 098932 21036


क्र. पद का नाम योग्यता
1. जिला ब्यूरो प्रमुख स्नातक
2. तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / हायर सेकेंडरी (12 वीं )
3. क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
4. क्राइम रिपोर्टरों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
5. ग्रामीण संवाददाता हाई स्कूल (10 वीं )

SUPER HIT POSTS

TIOC

''टाइम्स ऑफ क्राइम''

''टाइम्स ऑफ क्राइम''


23/टी -7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, जोन-1,

प्रेस कॉम्पलेक्स, एम.पी. नगर, भोपाल (म.प्र.) 462011

Mobile No

98932 21036, 8989655519

किसी भी प्रकार की सूचना, जानकारी अपराधिक घटना एवं विज्ञापन, समाचार, एजेंसी और समाचार-पत्र प्राप्ति के लिए हमारे क्षेत्रिय संवाददाताओं से सम्पर्क करें।

http://tocnewsindia.blogspot.com




यदि आपको किसी विभाग में हुए भ्रष्टाचार या फिर मीडिया जगत में खबरों को लेकर हुई सौदेबाजी की खबर है तो हमें जानकारी मेल करें. हम उसे वेबसाइट पर प्रमुखता से स्थान देंगे. किसी भी तरह की जानकारी देने वाले का नाम गोपनीय रखा जायेगा.
हमारा mob no 09893221036, 8989655519 & हमारा मेल है E-mail: timesofcrime@gmail.com, toc_news@yahoo.co.in, toc_news@rediffmail.com

''टाइम्स ऑफ क्राइम''

23/टी -7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, जोन-1, प्रेस कॉम्पलेक्स, एम.पी. नगर, भोपाल (म.प्र.) 462011
फोन नं. - 98932 21036, 8989655519

किसी भी प्रकार की सूचना, जानकारी अपराधिक घटना एवं विज्ञापन, समाचार, एजेंसी और समाचार-पत्र प्राप्ति के लिए हमारे क्षेत्रिय संवाददाताओं से सम्पर्क करें।





Followers

toc news