ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर //टाइम्स ऑफ क्राइम)
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प्रदेश के पंचायत मंत्री रामविचार नेताम के गृह जिले की पंचायतों में चुनकर पदस्थ किये गये उपअभियंताओं की कमीशनखोरी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। जिले में हो रहे गुणवत्ता विहीन कार्य इसका जीवंत उदाहरण हैं। सरगुजा पंचायत मंत्री के गृह जिले के जनप्रतिनिधि भी इन तथाकथित घूंसखोर अफसरों से, बिना चढ़ोत्री के कार्य स्वीकृत नहीं करा पा रहे हैं। फिर आम आदमी की क्या मजाल कि, किसी समस्या को लेकर साहब के दर्शन भी कर पाएं। यहां तक कि इन तथाकथित कमीशनखोर अफसरों की मिलीभगत से शासन की जनकल्याणकारी योजनाएँ भी ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पा रही है। पंचायत मंत्री श्री रामविचार नेताम के गृह जिले सरगुजा की जनपद तथा जिला पंचायत में पदस्थ उपअभियंताओं का भाव इतना बढ़ चुका है कि इनके द्वारा कार्य के प्रत्येक चरण में कमीशन की मोटी रकम की मांग बेखौफ की जाती है। सीधे ठेकेदारों तथा सरंपचों से सौदा करने वाले उपअभियंताओं का आलम ये है कि जिन ठेकेदारों तथा पंचायतों के सरपंचों द्वारा भेंट परोस दी जाती है उनके कार्य तत्काल स्वीकृत कर राशि भी आवंटित कर दी जाती है। इसके विपरीत जिन ठेकेदारों तथा सरपंचों से सौदा नहीं पट पाता या तो उन पंचायतों व ठेकेदारों के कार्य टाल दिये जाते हैं या फिर उन्हें चक्कर काटने पर मजबूर कर दिया जाता है। इन दागनुमा घूसखोर अफसरों के कारण गांव-गांव में विकास का दावा करने वाली जिला पंचायत व जनपद पंचायत की पोल उस समय खुल जाती है जब पंचायतों में पुल, पुलिया, सड़क निर्माण, कांक्रीटीकरण, स्कूल भवन, आंगनबाड़ी भवन, मंच निर्माण अन्य राष्ट्रीय ससम विकास योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्य स्वीकृत कराने के लिये आए दिन कई पंचायतों के जनप्रतिनिधि जिला पंचायत तथा जनपद पंचायतों के चक्कर काटते देखे जा सकते हैं। फिर भी उन्हें कार्यों की स्वीकृति नहीं मिल पाती जैसे-तैसे कार्यों की स्वीकृति मिल भी जाती है तो कमीशनखोरी अफसरों को चढ़ोत्री न चढ़ाने के कारण राशि स्वीकृत नहीं की जाती है। जिससे विकास कार्यों की गति वहीं थम जाती है। पंचायतों में पदस्थ उपअभियंताओं की दिन दुगुनी रात चौगुनी कमीशनखोरी की कमाई से विकास व निर्माण कार्यों का हाल बेहाल हो चुका है। जनपद व जिला पंचायत मेंं कार्यरत उपअभियंताओं की आंखों में ठेकेदारों द्वारा मिलने वाली कमीशनखोरी की ऐसी पट्टी बंधी हुई है कि उन्हें ठेकेदारों द्वारा कराए जा रहे कार्यों की गुणवत्ता तथा उपयोग की जाने वाली निर्माण सामग्री से कुछ लेना देना नहीं है। ऐसे तथाकथित कमीशनखोर अफसर नियमानुसार इतना भी वक्त नहीं निकाल पाते कि जिले की पंचायतों में ठेकेदारों द्वारा कराए जा रहे विकास कार्यों व निर्माण कार्यों का अवलोकन कर सकें। उपअभियंताओं तथा ठेकेदारों की मिली भगत से बड़ी आसानी से पंचायत मंत्री के गृहजिले के भोले-भाले ग्रामीणों की आंखों में धूल झोंक कर घटिया व निम्न दर्जे के निर्माण व विकास कार्यों को अंजाम दिया जाता है। जिले की अधिकांश पंचायतों में विकास की बाट जोह रहे ग्रामीणों ने बताया कि यहां जैसे-तैसे कार्य स्वीकृत तो हो जाते हैं पर सरपंच द्वारा कमीशनखोरी अफसरों को कमीशन नहीं देने के कारण राशि स्वीकृत नहीं की जाती, जिससे कार्य आधे-अधूरे में ही रूक जाता है। इसी प्रकार गांव में जो निर्माण व विकास कार्य कराए जा रहे हैं वह भी गुणवत्ता विहीन है। कुछ कार्य तो ऐसे हैं, जिनका अंतिम मूल्यांकन का कार्य सिर्फ को सजाने-संवरनेे की पंचायतमंत्री रामविचार नेताम की मंशा अधूरी न रहे पाए।