Friday, December 10, 2010

बैतूल में फर्जी पत्रकारों और न्यूज चैनलों ने मचायी लूट

बैतूल से रामकिशोर पंवार की रिपोर्टः
toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम) 10.12.2010

बैतूल . भले ही भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 250 नये न्यूज चैनलो को अनुमति नहीं दी है लेकिन इन सबसे उन्हे क्या फर्क पड़ता जिनके लिए कोई भी नया न्यूज चैनल शुरू करना एक मजाक बन गया हो। आपको भले ही यकीन न हो इस बैतूल जिले में सूचना प्रसारण मंत्रालय नहीं बल्कि आबकारी विभाग की एनओसी पर डाक एवं तार विभाग किसी भी नाम के न्यूज चैनल को खोलने की अनुमति प्रदान कर देता है। लोकल केबल के नाम पर डाक विभाग से पंजीयन पाने के बाद इस जिले में दो दर्जन से भी अधिक न्यूज चैनल धडल्ले से चल रहे है।
हर कार्यक्रम में चैनलो के लोगो- मोनो – आई डी की इतनी भरमार रहती है कि देखने वाला समझ भी नहीं पाता कि कौन सा चैनल कहाँ का है….? इसी कड़ी में इस समय दिल्ली एवं भोपाल से तथाकथित प्रसारित होने वाले न्यूज चैनलो के रिर्पोटरों- कैमरामेनों – स्ट्रींगरों तथा ब्यूरो चीफ को बनाने के नाम पर लम्बा-चौड़ा गोरखधंधा चल रहा है। इस धंधे में शामिल तथाकथित न्यूज चैनलो के डायरेक्टरों – न्यूज एडिटरों – फैंचाइसी – प्रदेश ब्यूरो चीफों - – रिर्पोटरों द्धारा राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक न्यूज चैनलो के नाम पर 25 से 50 हजार रूपये प्रति व्यक्ति अनाधिकृत वसूली की जा रही है।इस लूट-खसोट में बड़े बैनरों के भी शामिल हो जाने से मीडिया के क्षेत्र से जुड़े लोग भौचक्के है। सबसे बड़ा चौकान्ने वाला तथ्य यह है कि इस समय जिले में इलेक्ट्रानिक मीडिया के सौ-सवा सौ रिर्पोटर – कैमरामेन – स्ट्रींगर एवं ब्यूरो चीफों ने आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले की ग्राम पंचायतों एवं नगरीय क्षेत्रो में लोगो के बीच दहशत का कारण बने हुए है। जिले के दो दर्जन से अधिक सरपंच एवं सचिवों ने इस बारे में बकायदा शिकायतें अपने जनपदों एवं जिला पंचायत के आला अफसरों तथा नोडल एजेंसी के पास दर्ज करवाई है, जिसमें उनसे अनाधिकृत धौंस धपट कर रूपये की मांग करने तथा उसकी पूर्ति न किए जाने पर उन्हें मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताडि़त किए जाने का उल्लेख किया गया है। अभी हाल ही में बैतूल के निजी चिकित्सकों की ओर से डां मनीष लश्करे को ब्लैकमेल करने वाले एक न्यूज चैनल के रिर्पोटर के खिलाफ बैतूल गंज पुलिस चौकी में रिर्पोट दर्ज करवाई है।इधर इस क्षेत्र में आई बेमौसमी बाढ़ के बाद बैतूल जिले में पत्रकारों की संख्या का आंकड़ा चार सौ से ऊपर पहुंच गई है। सूत्रों ने बताया कि भोपाल एवं दिल्ली, नोएडा – हरियाणा – पंजाब – बिहार के टीवी चैनलो के बैतूल जिले में कार्यरत रिर्पोटरों – स्ट्रींगरों – कैमरामैनों एवं ब्यूरो चीफ बने अधिकांश लोगों के पास टीवी चैनल का या तो आई डी – लोगो – एफ टी पी नम्बर है . इनमें से कुछ तो ऐसे भी है जिनके पास न तो आई डी है और न लोगो। इन लोगों के पास नियुक्ति पत्र तो दूर रहा टीवी चैनलों की फिक्वेंसी नम्बर तक नहीं है। टीवी पर खबर आयेगी भी या नहीं स्वंय उस रिर्पोटर से लेकर कैमरामेन तक को पता नहीं रहता जो कि हर उस खाने – पीने वाली पत्रकारवार्ता में सबसे पहले पहुंच जाता है. ऐसे में आम टीवी चैनलों पर खबरों की उम्मीद लगाने वाला दर्शक हैरान एवं परेशान है। जहाँ एक ओर आपको इस छोटे से आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में आज तक – कल तक – परसों तक – नरसों तक के रिर्पोटर एवं आई डी – लोगो लेकर गांव- गांव , गली – गली में घुम – घुम कर अवैध चौथ वसूली करने वाले मिल जाएगे वही दूसरी ओर एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि इन तथाकथित लूटेरों को भी लूटने वालों की कमी नहीं है।बैतूल जिले में बीते वर्ष मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय रिजनल न्यूज चैनल चाहे बात वाच न्यूज की हो या फिर वाइस आफ इंडिया की सभी के नाम पर ठगी के शिकार बने लोगों की कमी नहीं है। वाच टीवी के एक रिर्पोटर को पूरे आठ माह तक मुफ्त की बेगार करवाने के बाद जब पैमेंट देने की बात आई तो पता चला कि चैनल ही बंद हो गया . इसी तरह नोएडा से प्रसारित होने वाले साधना मीडिया समूह द्धारा बैतूल के दो युवकों से हरियाली एवं साधना न्यूज के नाम पर दस हजार रूपये तथा दूसरे से पच्चीस हजार रूपये का लिखित एग्रीमेंट करने के बाद दोनों को चैनल के लोगो एवं नियुक्ति पत्र देने के बाद उनके साथ पर एक अन्य युवक को उन दोनों से अधिक रूपये देने पर बैतूल का ब्यूरो चीफ बनाया गया। जब धोखाधड़ी के शिकार बने युवकों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कर साक्ष्य के साथ साधना न्यूज चैनल के खिलाफ मामला दर्ज करवाने की धमकी दी गई तो दोनों को उनके रूपये वापस लौटाए गए।
इसी तरह टाइम टीवी के नाम पर बैतूल में कुछ लोग रिर्पोटर बने उन्हें बकायदा नियुक्ति पत्र तथा चैनल लोगो- आईडी तक दिया गया, लेकिन बाद में पता चला कि टाइम टीवी का भोपाल ब्यूरो ही बदल गया तथा कुछ समय बाद तो टाइम टीवी का नाम ही बदल गया. अब वही पंजाबी धार्मिक चैनल चारदीकला टाइम टीवी के नाम से प्रसारित होने लगा है। इस पंजाबी चैनल के बैतूल जिले में एक नहीं बल्कि आधा दर्जन रिर्पोटरों के पास चैनल का आई डी लोगो मौजूद है। बैतूल जिले में न्यूज 24 एवं टीवी 24 के भी रिर्पोटर मिल जाएंगें। अक्सर देखने में यह आता है कि भोपाल में टीवी चैनलों की लम्बी चौड़ी दुकान खोल कर बैठे ब्यूरो चीफ को बैतूल जैसे कई जिलों में बेगार में काम करने वाले लोग मिल जाते है जिनका वे समय – समय पर उपयोग किसी न किसी खबर में उनका नाम देकर उनसे साल भर हमाली और दलाली करवाते रहते है।
इन्ही न्यूज चैनलों के द्धारा बैतूल के समीपस्थ ग्राम सेहरा में एक तथाकथित ज्योतिषी कुंजीलाल विश्वकर्मा की तथाकथित मौत का लाइव टेलीकास्ट पूरे 12 घंटे तक देश भर के प्रमुख न्यूज चैनलों के भोपाल में बैठे रिर्पोटरों का झुठ का पुलिंदा उस समय बिखर गया जब कुंजीलाल विश्वकर्मा की करवाचौथ के दिन मौत नहीं हो सकी। भोपाल में बैठे न्यूज चैनलों के ब्यूरो चीफ द्धारा बैतूल में कुछ ऐसे लोगो को दी गई तथाकथित नियुक्ति पत्र एवं नियुक्ति पत्र की लालसा में एक ऐसी झुठी टीआरपी बढाने वाली खबर प्रायोजित की गई जिसके चलते पूरा देश गुमराह होता रहा. आपको आश्चर्य होज्ज कि बैतूल जिले में बहुचर्चित पत्रकार रजत शर्मा के इंडिया टीवी का चैनल आई डी लोगो तक मौजूद है, जबकि न्यूज चैनल इंडिया टीवी चैनल के हेड के अनुसार बैतूल जिले में उनका कोई भी अधिकृत या अनाधिकृत रिर्पोटर – स्ट्रींगर -कैमरामेन नहीं है। इसी कड़ी में जी न्यूज के चैनल आई डी लोगो की बैतूल जिले में मौजूदगी इस बात का संकेत देती है कि किस तरह इस क्षेत्र में लूट-खसोट मची हुई है। इन सबसे हट कर यदि बात की जाये कि जिले में इन न्यूज चैनलों के नाम पर मची लूट खसोट के पीछे कौन लोग जवाबदेह है तो निश्चित तौर पर कहीं न कहीं यह बात सामने आती है कि भोपाल में बैठे देश के ख्याति प्राप्त न्यूज चैनलो के ब्यूरो चीफों के द्धारा स्वयं के लेटरपेड पर कई लोगो को चैनल का रिर्पोटर – स्ट्रींगर – कैमरामैन तक बना डाला गया है जबकि ऐसे लोगो का दिल्ली एवं नोएडा तथा अन्य न्यूज चैनलों के मुख्य कार्यालयों के असाइमेंट के पास कोई जानकारी तक नहीं है।
इस क्षेत्र में आई बाढ़ के कारण न्यूज चैनलों की विश्वसनीसता तक दांव पर लग जाती है। जी न्यूज तक न बैतूल से एक ऐसी खबर प्रसारित कर दी जिसमें दो बेगुनाह आदिवासी को शेर की खाल का तस्कर तक बता डाला बाद में वह शेर की खाल सियार की निकली। एक साथ एक महिला को नौ बच्चे होने की खबर हो या फिर बैतूल में स्वाइन फ्लू फैलने की खबर …… इस प्रकार की भ्रामक खबरों से न्यूज चैनलों की स्वंय की प्रतिष्ठा भी मिटटी में मिल रही है। सबसे पहले एक्सक्लूसीव खबर देने के चक्कर में कई बार बैतूल जिले से ऐसी खबरें तक प्रसारित हो गई कि पूरा जिला प्रशासन फजीहत में पड़ गया था। बैतूल जिले में तो कई मजेदार तथ्य सामने आए है। ऐसी स्थिति में कई ऐसे रिर्पोटर बैतूल जिले में देखने को मिल जाएगे जिनके पास विभिन्न चैनलो के एफ टी पी नम्बर देकर उनसे मुफ्त की बिज्जर करवाई जा रही है . अभी हाल ही में मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के नाम से शुरू होने वाले एक टी वी चैनल की सहारा समय से निकले कुछ रिर्पोटरों द्धारा फैंचाइसी लेने के बाद उसके लिए रिर्पोटरों बनाने के नाम पर विज्ञापन छपवाया गया तथा ले देकर अपने चहेतों को नियुक्ति पत्र एवं चैनल का आई डी – लोगो तक दे दिया गया। जबकि अभी न्यूज चैनल का प्रसारण तक शुरू नहीं हुआ है और उसके रिर्पोटरों ने चैनल का आई डी – लोगो लेकर सरकारी तथा गैर सरकारी कार्यालयों की खाक छाननी शुरू कर दी है।बैतूल जिले में टीवी चैनलों के रिर्पोटरों की चकाचौंध में अब जिले के केबल आपरेटरों के भी कूद जाने से जिले में न्यूज चैनल अन्य मनोरंजन चैनलों से अधिक दिखाई देने लगे है। कब कौन सा न्यूज चैनल बंद हो जाए तथा कौन सा नया चालू हो जाये कहा नहीं जा सकता, लेकिन इन सबके चलते दिन प्रतिदिन इलेक्ट्रानिक मीडिया की इमेज खराब होती चली जा रही है।
बैतूल जिले में एक व्यक्ति ने भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक से स्वंय के लिए न्यूज चैनल का शीर्षक मांगा लेकिन मिला दैनिक समाचार पत्र ” सेन्टर न्यूज बैतूल का नाम अनुमोदित होकर आ गया। अब आवेदक ने अपने अल्प ज्ञान से उक्त समाचार पत्र के शीर्षक को न्यूज चैनल बना कर उसका लोकल केबल पर बकायदा प्रसारण तक शुरू कर दिया। जिले में आधा दर्जन न्यूज चैनल ऐसे ही चल रहे है जिनके पास सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की कोई लिखित अनुमति तक नहीं है . सबसे बड़ी मजेदार बात तो यह है कि जिले के आला अफसरो तक को यह नहीं मालूम कि बिना सूचना प्रसारण मंत्रालय की स्वीकृति के कोई भी केबल आपरेटर किसी भी प्रकार का प्रसारण या उसका प्रर्दशन तक नहीं कर सकता।
बैतूल जिले के जन सम्पर्क कार्यालय में इस बार स्थानीय स्तर पर सौ सवा सौ लोगो को स्थानीय निकायों के चुनावों में मतदान एवं मतगणना केन्द्रों में प्रवेश के परिचय पत्र जारी किये जाए जो कि चुनाव आयोग के निर्देशों की सरासर अवहेलना की श्रेणी में आता है। बैतूल जिले में न्यूज चैनलों के नाम पर धोखाधड़ी के शिकार बने युवकों के द्धारा अब न्यूज चैनलों के भोपाल एवं दिल्ली तथा नोएडा सहित अन्य स्थानों के असाइमेंट प्रमुखों एवं एडिटरों तथा मालिकों के खिलाफ न्यायालय में पृथक रूप से परिवाद प्रस्तुत किये जाने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में अब यह देखना बाकी है कि आने वाले समय में टीवी चैनलों एवं उनके रिर्पोटरों तथा स्ट्रींगरों का भविष्य क्या होगा तथा आखिर कब तक केबल के नाम पर यू ही न्यूज चैनल बिना अनुमति के चलते रहेगें।

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