थाना कोरांव से विवेचना ट्रांसफर करने का आई.जी. ने दिया आश्वासन
ब्यूरो प्रमुख उ। प्र.// सूर्य नारायण शुक्ल (इलाहाबाद // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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इलाहाबाद. कस्बा कोरांव इलाहाबाद ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन उ.प्र. इलाहाबाद के जिला उपाध्यक्ष ने 26 नवम्बर को पत्रकार उत्पीडऩ प्रकरण की उच्चन्यायालय इलाहाबाद के आदेश पर प्रदेश के डी.जी.पी. के निर्देश पर चल रही गैर जनपद के पुलिस अधिकारी से जांच को निष्पक्षता पूर्वक कराने व जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा उसी केस-प्रकरण से क्षुब्ध होकर तत्कालीन थानाध्यक्ष कोरांव द्वारा स्वयं वादी मुकदमा बन कर थाना कोरांव में दर्ज कराई गयी। प्राथमिकी को पुलिस थाना कोरांव से विवेचना हटाकर विशेष जांच प्रकोष्ठ से विवेचना कराने की मांग की है।अवगत हों कि अवैध खनन से नष्ट हो रहे वन, पर्यावरण की क्षति संबंधित खबरें ग्रा.प.ए उपाध्यक्ष अहमद सिद्दीकी ने प्रकाशित कराई थी और शिकायतें भी की थी। जिससे यू.पी.एम.पी. सीमा के म.प्र. के वन विभाग ने अभियान चलाकर परथर वन माफियाओं के विरूद्ध कार्यवाहीं की ट्रके जब्त हुयी कुछ ने जमानतें करायी और इस कारण धंधा बन्द होने से व थाना कोरांव पुलिस की लाखों रूपये की माहवारी रूकने से क्षुब्ध होकर व एक राय होकर माफियाओं, थाने के दलालों ने जाने से मारने झूठे केसो में फंसाने का प्रयास किया। जिसकी सूचना प्रदेश के डी.जी.पी. को भी दी। अमल न होने पर पत्रकार ने हाईकोर्ट की शरण ली।उच्वन्यायालय ने डी.जी.पी. को याचिका विनिश्चित करने का आदेश दिया और डी.जी.पी. ने आई.जी. जोन इलाहाबाद को। गैर जिले के पुलिस अधिकारी को जांच का आदेश दिया। वर्तमान मे जांच प्रतापगढ़ जिले के एक पुलिस उपअधीक्षक कर रहे है। उसी केस से जुड़े प्रकरण की विवेचना थाना कोरांव के पुलिस चौकी इंचार्ज कर रहे है। किन्तु न्यायालय के मेटर व एक पुलिस थानाध्यक्ष और पत्रकार मामले को लेकर जांच अधिकारी व विवेचक असमंजस में है। पत्रकार ने पुलिस के आलाअफसरों से पुलिस जांच अफसरों -विवेचक पर निष्पक्षता पूर्वक जांच न करने का आरोप लगाया है और रंजिशन थाना कोरांव थानाध्यक्ष कोरांव द्वारा दर्ज कराई गयी, गुण्डा टैक्स लेने के मुकदमें की विवेचना कोरांव पुलिस से हटाकर एस.आई.एस. से कराने की मांग भुक्तभोगी पत्रकार ने आई.जी.जोन इलाहाबाद से 26 नवम्बर को किया। आई.जी. ने आश्वासन दिया है। साथ ही डी.जी.पी. को भी उक्त आशय का एक पत्र पत्रकार ने डाक से भेजा है। कोरांव पुलिस के विवेचक अपने पूर्व थानेदार द्वारा दर्ज कराई गई पत्रकार के विरूद्ध विवेचना कर कैसे पत्रकार कर नाम हटाये और कैसे अपने थानेदार को गलत साबित करें। यह सांप छुछन्दर का हाल बना है। क्योंकि निष्पक्ष जांच कार्यवाहीं न होने पर यह केस पुन: हाईकोर्ट जा सकता है, जांच अधिकारी यदि निष्पक्ष जांच विवेचना करेंगे तो निश्चय ही निर्दोष बचेगा, दोषी फंसेगा अन्याय नहीं होगा। मजेदार बात तो यह है कि पूर्व एस.ओ. कोरांव अजय सिंह भी इस समय वकीलों पर लूट-मारपीट करने के मुल्जिम है व निलंबित है तथा फरार है। पत्रकारों-वकीलों का उत्पीडऩ करने में माहिर दरोगा है देखना है पुलिस क्या न्याय दिलाती है।