प्रतिनिधि // राजेश राठौर (बैतूल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
कहने को तो सरकार सौ दिन का रोजगार देते है। रोजगार न मिलने पर बेरोजगारी भत्ते देने की भी वकालत करती है लेकिन सच्चाई कुछ और ही बयां करती है। बैतूल जिले के आमला जनपद के ग्राम ससुन्द्रा में रोजगार की मांग करने वाले युवक को पूरे साल उसके जाब कार्ड पर रोजगार नहीं मिला। गांव पहुंचे पत्रकारो के दल के सामने पंचायत भवन में जब उस युवक ने पूरे साल रोजगार न मिलने की बात कहीं तो उसे ग्राम पंचायत के सचिव मनोज गढेकर ने उसे जमकर पीटा। ससुन्द्रा निवासी लक्ष्मण पंवार अपनी बेवा मां बटनी बाई सहित पूरे परिवार के भरण पोषण का दायित्व निभाता रहा है। इस युवक को जब पूरे साल गांव में सौ दिन तो दूर रहे एक दिन का भी रोजगार नहीं मिला तो बेबश लाचार युवक ने अण्डे की दुकान लगा कर किसी तरह अपने परिवार की जवाबदारी उठाई है। गांव के पहुंचे पत्रकारो के समक्ष वह अपने दर्द को छुपा नहीं सका और वह रो पड़ा उसे बताया कि पूरे में उसके जैसे कई लोगो को पूरे साल रोजगार नहीं मिला। पत्रकारो के समक्ष अपनी पीड़ा व्यक्त करने का उस गरीब को इतना बडा दण्ड मिला कि वह आज भी कराह रहा है।
पूरे गांव के सामने उस युवक को बेरहती से पीटते हुये मनोज गढेकर नामक पंचायत सचिव उसे डरा - धमका रहा था कि यदि उसने पुलिस में रिर्पोट की तो उसका वह गांव में रहना दुभर कर देगा। वैसे भी सचिव ससुन्द्रा गांव में आंतक का दुसरा नाम है। उसके द्वारा ग्राम सभा का आयोजन तो दूर पंचायत भवन परिसर के गेट में ताला तक लगा कर रखा जाता है ताकि कोई भी दुसरा व्यक्ति गांव के पंचायत भवन की ओर नजरे उठा कर तक नहीं देख सके। ग्राम पंचायत ससुन्द्रा के आदिवासी सरपंच श्रवण धुर्वे भी सचिव के खिलाफ कई बार शिकवा - शिकायते जनपद मुख्य कार्यपालन अधिकारी आमला को कर चुकी है लेकिन ग्राम पंचायत अंधारिया के पूर्व सरपंच का बेटा मनोज गढेकर किराड जाति का होने के कारण पूरे गांव में अपनी दंबगाई दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। कुछ दिन पूर्व ही आमला जनपद सरपंच संघ के अध्यक्ष एवं उमरिया ग्राम पंचायत के सरपंच वीरसिंह निगम अपने पूरे पदाधिकारियों के साथ सरपंच श्रवण धुर्वे की शिकायतो के आधार पर सचिव और सरपंच के बीच तालमेल बिठाने का प्रयास कर चुके है इसके बाद भी दोनो के बीच मनमुटाव का खामियाजा पूरा गांव भोग रहा है। भोपाल - नागपुर नेशनल हाइवे 69 पर साईखेडा - ससुन्द्रा जोड मार्ग से मात्र 2 किलोमीटर स्थित ग्राम पंचायत ससुन्द्रा के ग्राम पंचायत कार्यालय मे 25 साल के युवक मनोज गढेकर जो कि ग्राम पंचायत ससुन्द्रा में सचिव के पद पर कार्यरत है उसके द्वारा उस युवक को पंचायत भवन परिसर में ही उस समय पीटा जब पत्रकारो का दल मुख्य कार्यपालन अधिकारी बाबू सिंह जामोद को उस गांव में जाब कार्ड धारको को रोजगार एवं वृद्धा अवस्था पेशंन न मिलने की ग्रामिणो द्वारा उपलब्ध करवाई गई जानकारी दे रहे थे। जिला कलैक्टर के प्रति मंगलवार को लिा मुख्यालय पर होने वाली जनसुनवाई कार्यक्रम की सच्चाई जानने के लिए गये पत्रकारो के दल को ग्रामिणो ने बताया कि कलैक्टर जनसुनवाई मात्र नौटंकी बन गई है।
कलैक्टर की जनसुनवाई में जाने के बाद भी आमला जनपद की फुलिया बाई को न्याय न मिलने पर जहर खाना पडता है और यहां पर पंचायत सचिव की शिकवा - शिकायत करने पर लात जूते खाने पड रहे है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के स्वजाति ग्राम पंचायत ससुन्द्रा के सचिव मनोज गढेकर के द्वारा गांव की जा रही दबंगाई के चलते गांव में आदिवासी सरपंच श्रवण धुर्वे से लेकर पूरे गांव के लोग भयाक्रांत है। पत्रकारो द्वारा पंचायत सचिव द्वारा युवक की पिटाई किये जाने के मामले की जानकारी जब जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी बाबूसिंह जामोद को दी गई तो उनके द्वारा दिया गया ब्यान भी कम गैर जिम्मेदाराना नहीं था। श्री जामोद का कहना था कि पंचायत सचिव सरकारी कर्मचारी है उसके साथ तमीज से पेश आना चाहिये लेकिन क्या रोजगार मांगना या शिकवा - शिकायत करना कोई अपराध है...! जिसकी सजा उस युवक को इस तरह सार्वजनिक रूप से दी जायेगी।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का स्वराज - सूराज - पंचायती राज का मतलब क्या यही है कि ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक के अधिकारी कर्मचारी लूट - खसोट करे ओर गांव के लोग रोजगार मांगे या शिकवा शिकायत करे तो उन्हे लात घूसे से पीटा जाये। अब चूंकि मामले में बवाल मचना स्वभाविक है क्योकि ग्राम पंचायत से लेकर जिला कलैक्टर के दरबार तक में लोगों को न्याय मिलने के नाम पर इस तरह की घटनाओं का सामना करना पड रहा है तब फुलिया बाई - उर्मिला बाई यदि जहर खाती है और लक्षमण को सरेआम पीटना पड़ता है तो फिर काहे का स्वराज .....!
पूरे गांव के सामने उस युवक को बेरहती से पीटते हुये मनोज गढेकर नामक पंचायत सचिव उसे डरा - धमका रहा था कि यदि उसने पुलिस में रिर्पोट की तो उसका वह गांव में रहना दुभर कर देगा। वैसे भी सचिव ससुन्द्रा गांव में आंतक का दुसरा नाम है। उसके द्वारा ग्राम सभा का आयोजन तो दूर पंचायत भवन परिसर के गेट में ताला तक लगा कर रखा जाता है ताकि कोई भी दुसरा व्यक्ति गांव के पंचायत भवन की ओर नजरे उठा कर तक नहीं देख सके। ग्राम पंचायत ससुन्द्रा के आदिवासी सरपंच श्रवण धुर्वे भी सचिव के खिलाफ कई बार शिकवा - शिकायते जनपद मुख्य कार्यपालन अधिकारी आमला को कर चुकी है लेकिन ग्राम पंचायत अंधारिया के पूर्व सरपंच का बेटा मनोज गढेकर किराड जाति का होने के कारण पूरे गांव में अपनी दंबगाई दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। कुछ दिन पूर्व ही आमला जनपद सरपंच संघ के अध्यक्ष एवं उमरिया ग्राम पंचायत के सरपंच वीरसिंह निगम अपने पूरे पदाधिकारियों के साथ सरपंच श्रवण धुर्वे की शिकायतो के आधार पर सचिव और सरपंच के बीच तालमेल बिठाने का प्रयास कर चुके है इसके बाद भी दोनो के बीच मनमुटाव का खामियाजा पूरा गांव भोग रहा है। भोपाल - नागपुर नेशनल हाइवे 69 पर साईखेडा - ससुन्द्रा जोड मार्ग से मात्र 2 किलोमीटर स्थित ग्राम पंचायत ससुन्द्रा के ग्राम पंचायत कार्यालय मे 25 साल के युवक मनोज गढेकर जो कि ग्राम पंचायत ससुन्द्रा में सचिव के पद पर कार्यरत है उसके द्वारा उस युवक को पंचायत भवन परिसर में ही उस समय पीटा जब पत्रकारो का दल मुख्य कार्यपालन अधिकारी बाबू सिंह जामोद को उस गांव में जाब कार्ड धारको को रोजगार एवं वृद्धा अवस्था पेशंन न मिलने की ग्रामिणो द्वारा उपलब्ध करवाई गई जानकारी दे रहे थे। जिला कलैक्टर के प्रति मंगलवार को लिा मुख्यालय पर होने वाली जनसुनवाई कार्यक्रम की सच्चाई जानने के लिए गये पत्रकारो के दल को ग्रामिणो ने बताया कि कलैक्टर जनसुनवाई मात्र नौटंकी बन गई है।
कलैक्टर की जनसुनवाई में जाने के बाद भी आमला जनपद की फुलिया बाई को न्याय न मिलने पर जहर खाना पडता है और यहां पर पंचायत सचिव की शिकवा - शिकायत करने पर लात जूते खाने पड रहे है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के स्वजाति ग्राम पंचायत ससुन्द्रा के सचिव मनोज गढेकर के द्वारा गांव की जा रही दबंगाई के चलते गांव में आदिवासी सरपंच श्रवण धुर्वे से लेकर पूरे गांव के लोग भयाक्रांत है। पत्रकारो द्वारा पंचायत सचिव द्वारा युवक की पिटाई किये जाने के मामले की जानकारी जब जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी बाबूसिंह जामोद को दी गई तो उनके द्वारा दिया गया ब्यान भी कम गैर जिम्मेदाराना नहीं था। श्री जामोद का कहना था कि पंचायत सचिव सरकारी कर्मचारी है उसके साथ तमीज से पेश आना चाहिये लेकिन क्या रोजगार मांगना या शिकवा - शिकायत करना कोई अपराध है...! जिसकी सजा उस युवक को इस तरह सार्वजनिक रूप से दी जायेगी।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का स्वराज - सूराज - पंचायती राज का मतलब क्या यही है कि ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक के अधिकारी कर्मचारी लूट - खसोट करे ओर गांव के लोग रोजगार मांगे या शिकवा शिकायत करे तो उन्हे लात घूसे से पीटा जाये। अब चूंकि मामले में बवाल मचना स्वभाविक है क्योकि ग्राम पंचायत से लेकर जिला कलैक्टर के दरबार तक में लोगों को न्याय मिलने के नाम पर इस तरह की घटनाओं का सामना करना पड रहा है तब फुलिया बाई - उर्मिला बाई यदि जहर खाती है और लक्षमण को सरेआम पीटना पड़ता है तो फिर काहे का स्वराज .....!