(डॉ. अरुण जैन)
उज्जैन । चांदी के बढ़ते भाव के कारण महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को रजत सिक्के जेब पर भारी पडऩे लगे हैं। परिणामस्वरूप मंदिर प्रशासन ने सिक्कों की बिक्री बंद कर नए भाव में बेचने का निर्णय लिया है। नई दर का निर्णय आजकल में प्रबंध समिति सदस्यों के साथ विचार-विमर्श के बाद हो जाएगा। फिलहाल दो दिनों से मंदिर परिसर स्थित प्रसाद काउंटरों पर रजत सिक्के उपलब्ध नहीं हैं।स्टॉक समाप्त, ऑर्डर दिया तो मुंॅह फाड़ा! - बताया गया है कि मंदिर के कोठार में सिक्कों का स्टॉक समाप्त हो गया है और जब सिक्के बनवाने की बात संबंधित व्यापारी से कही गई तो उसने भाव का हवाला देते हुए मुंॅह फाड़ा। फलस्वरूप मंदिर प्रशासन को नया ऑर्डर निरस्त करना पड़ा।लागत आ रही ज्यादा - मंदिर प्रशासन का कहना है कि चांॅदी के भाव अधिक होने से सिक्कों के निर्माण की लागत ज्यादा आ रही है और दर्शनार्थियों को कम मूल्य पर सिक्का उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन अब यह संभव नहीं है। इस संबंध में विचार किया जा रहा है। दर्शनार्थी महाकाल मंदिर से राजाधिराज के आशीर्वाद स्वरूप सिक्के खरीदकर ले जाते हैं, लेकिन ये मंदिर के काउंटरों पर बमुश्किल 16 नवंबर से ही उपलब्ध हुए थे और वह भी बढ़ी हुई कीमत पर। नागपंचमी के बाद से सिक्के नहीं थे और जब 16 नवंबर से सिक्के बेचे जाने लगे तो इनके भाव में 100 पए की वृद्घि कर दी गई। उल्लेखनीय है कि पूर्व में सिक्कों की कीमत 401 ?पए थी।701 का हो सकता है सिक्का - सोना-चांॅदी व्यापारी अशोक जडिय़ा के अनुसार बाजार में चांॅदी के वर्तमान भाव 44 हजार 700 रुपए प्रति किलो हैं जबकि दस ग्राम सिक्कों की दर 470 से 480 रुपए है। इस दृष्टि से महाकाल के 11 ग्राम सिक्कों की नई दर 701 रुपए तक हो सकती है। सोने-चांॅदी के भाव के साथ ही खाद्यान्न वस्तुओं के भाव भी लगातार बढ़ रहे हैं। इसलिए हो सकता है लड्डू और भस्मारती प्रसाद के भावों में भी मंदिर प्रशासन वृद्घि कर सकता है।