उमरिया के नरेरा के मामले में खर्च अरबो की राशी की सी बी आई से जांच
toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)
बैतूल। एक साल पूर्व रीवा संभाग के उमरिया में कलैक्टर रहे बैतूल के वर्तमान कलैक्टर विजय आनंद कुरील के खिलाफ नरेरा के तहत भेजी गई अरबो की राशी के नियम विरूद्ध उपयोग को लेकर पूर्व में चल रही सीआईडी जांच से असंतुष्ट उमरिया एवं बैतूल के कुछ जागरूक स्वंयसेवी संगठन एवं स्वतंत्र पत्रकारो के सीबीआई का दरवाजा खटखटाया है। सीबीआई को सौपी गये दस्तावेजो में इस बात की जानकारी उपलब्ध करवाई गई है कि भारत सरकार के ग्रामिण विकास मंत्रालय द्वारा नरेरा योजना के लिए भेजे गई राशी में से लगभग एक अरब रूपये की राशी को नियम विरूद्ध नानटेकनीकल अधिकारी केडी चौरसिया भू सरंक्षण अधिकारी को दी गई थी। इस नियम विरूद्ध कार्य में हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा एवं तत्कालिकन जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जेएस धुर्वे ने कमीशन पर उक्त राशी का आवंटन कर दिया। भूसंरक्षण के नाम पर हुये शासकीय राशी के गबन के मामले में उक्त दो अधिकारियों को सीआईडी जांच में दोषी सिद्ध पाया गया लेकिन राजनैतिक दबाव एवं कथित ले देकर सीआईडी जांच से बाहर निकले उमरिया कलैक्टर विजय आंनद कुरील ने अपना बैतूल तबादला करवाया लिया। सीआईडी जांच में कलैक्टर द्वारा नियम विरूद्ध दी गई नरेरा की राशी को लेकर उनके खिलाफ कोई कार्यवाही न होने के बाद अब पूरे मामले को लेकर बैतूल एवं उमरिया के कुछ जागरूक स्वंयसेवी संगठन तथा स्वतंत्र पत्रकारो ने सीबीआई का दरवाजा खटखटाया है। इस संदर्भ में जांच के दायरे में जिला पशु चिकित्सा अधिकारी आर एन शुक्ला वह शिकायती पत्र एवं शपथ पत्र भी है जिसमें शुक्ला ने आरोप लगाया कि बैतूल के वर्तमान कलैक्टर ने अपनी उमरिया पदस्थापना के समय सांड की नस्ल के लिए प्रद्धत शासकीय राशी जो कि लगभग 35 लाख रूपये बताई जाती है उसका भुगतान भी नियम विरूद्ध करवाया था जिसमें अकेले आर एन शुक्ला को ही जेल जाना पड़ा इस प्रकरण में फंसे विजय आनंद कुरील के साफ बच निकलने के बाद जिला पशु चिकित्सा आयुक्त उमरिया आरएन शुक्ला के परिजनो ने भी पूरे मामले में श्री शुक्ला को फंसाने तथा पूरी राशी का नियम विरूद्ध भुगतान करवाने में अहम भूमिका निभाने वाले विजय आनंद कुरील के विरूद्ध सीबीआई जांच की मांग की है। उमरिया में पदस्थ रहे जेएस धुर्वे की राजनैतिक पहुंच एवं उनकी काली कमाई के चलते वे इस प्रकरण में सीआईडी जांच को तो प्रभावित कर दिये लेकिन अब मामला केन्द्र सरकार के मद से प्रदान की गई नरेरा की राशी का है जिसको लेकर जबलपुर में भी एक जनहित याचिका प्रस्तुत की जा रही है। उमरिया में भव्य लाज का भूस्वामी जेएस धुर्वे तथा जबलपुर में करोड़ो की काली कमाई से खरीदी गई सम्पत्ति के तथाकथित मालिक बने विजस आनंद कुरील का इस वर्ष जून में रिटायरमेंट है इसलिए समय से पूर्व सारे मामले को लेकर की जाने वाली कार्यवाही में उमरिया - बैतूल - भोपाल - दिल्ली के कई बड़े पत्रकारो एवं संगठनो द्वारा भी सीबीआई के भोपाल एवं दिल्ली कार्यालय से सम्पर्क बनाया रखा है। पूरे मामले का कड़वा सच यह है कि दोनो शासकीय गबन के मामले में नियम विरूद्ध खर्च की गई राशी का आवंटन विजय आंनद कुरील के हस्ताक्षर से हुआ है जिसके लिए प्रथम दृष्टा वे भी अपराधी की श्रेणी में आते है। सीबीआई को भेजी गई सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सत्यापित 1335 पेजो के प्रमाणित दस्तावेजा की जानकारी के हवाले से प्राप्त चौकान्ने वाली $खबर यह है कि पूरे मामले की प्रदेश के मुख्यमंत्री को जानकारी है लेकिन वे भी राजनैतिक दबाव के आगे इस मामले में सीआईडी जांच को प्रभावित कर चुके है। चूंकि सीआईडी प्रदेश सरकार के अधिनस्थ कार्य करती है इसलिए सीआईडी जांच से विजय आंनद कुरील को बचाया गया लेकिन अब गले में फांस लगने की पूरी संभावना है क्योकि सत्यापित दस्तावेजो में यह सिद्ध हो चुका है कि किस तरह मध्यप्रदेश के रीवा संभाग के एक छोटे से जिले में केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार की शासकीय राशी का गबन किया गया है। हालाकि इन दो बहुचर्चित मामले में दो अधिकारी सीआईडी जांच में जेल की हवा खाकर हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा है लेकिन एक अधिकारी अभी उमरिया जेल में बंद है। पूरे मामले के हीरो रहे विजय आंनद कुरील के उमरिया से तबादले के बाद लगभग एक साल से पूरे मामले को पेंडिग में डाला गया ताकि उनका रिटायरमेंट हो सके। अब पूरे मामले के जिन्न के एक बआर फिर सामने आ जाने से बहुचर्चित शासकीय राशी के गबन के मामले में एक बार फिर उमरिया - बैतूल -भोपाल तथा दिल्ली में भूचाल आने की संभावना है।