क्राइम रिपोर्टर // वसीम बारी (रामानुजगंज //टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैंकीय कार्यो के लिए करना पड़ता है घण्टों इंतजार
बैंक कर्मचारियों की कार्यप्रणाली से उपभोक्ता में आक्रोश।
आवेदन के 16 दिन बाद भी नही खुला छात्रा आरजू प्रविन का खाता
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बैंकीय कार्यो के लिए करना पड़ता है घण्टों इंतजार
बैंक कर्मचारियों की कार्यप्रणाली से उपभोक्ता में आक्रोश।
आवेदन के 16 दिन बाद भी नही खुला छात्रा आरजू प्रविन का खाता
रामानुजगंज। स्थानीय भारतीय स्टेट बैंक शाखा में इन दिनों भारी अव्यवस्थाओं को लेकर उपभोक्ताओं में आक्रोष है। प्रबंधन की उदासीनता को लेकर उपभोक्ता अन्य बैंको की ओर रूख करने का मन बनाए हुए हैं। उल्लेखनीय है कि भारत का सबसे बडे बैंक भारतीय स्टेट बैंक की स्थानीय रामानुजगंज शाखा में प्रबंधन की समुचित ब्यवस्था न होने के कारण ग्राहकों को पर्याप्त सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। छोटे-मोटे बैंक के कार्यो के लिए उपभोक्ताओं को घण्टों इंतजार करना पड रहा है। चाहे ड्राफ्ट बनवाने की बात हो या चालान पटाने की बात। या फिर नया खाता खुलवाने की बात। अब इन आसान कार्यो को भी करने में बैंक की लचर ब्यवस्था के कारण उपभोक्ताओं को भारी मशक्कत करनी पड रही है। स्थानीय स्टेट बैंक षाखा में जब प्रेस क्लब रामानुजगंज के सह-सचिव अपनी पुत्री का खाता खुलवाने पहुंचे तब लोगों ने बताया कि हमें खाता खोलवाने हेतु कई दिनों से दौड़ाया जा रहा है, फिर भी हमारा खाता नही खुल पा रहा है। वहीं कई विद्यार्थियों ने बताया कि हमें खाता खोलने हेतु बेफजुल दस्तावेजों की मांग कर बैंक के चक्कर लगवाए जा रहा है। साथ ही अंकसुची व स्कूल द्वारा जारी परिचय पत्रों के आधार पर खाते नहीं खोलें जा रहें है। छात्रा आरजू प्रवीन ने विगत 10 फरवरी को खाता खोलवाने हेतु आवेदन जमा किया बदले में बैंक कर्मचारी द्वारा छोटे से रददी कागज के टुकडे पर 10/02/11/ 2333 /20/02/11 लिख कर दे दिया गया यह कह कर के कि इस चुटके को लेकर 20/02/11 को आना जबकि 20 फरवरी रविवार अवकाश का दिन था। 21 फरवरी को जब छात्रा के अभिभावक बैंक गये पता करने तो बैंक कर्मचारी द्वारा बताया गया कि खाता खुलने में कम से कम एक माह का समय लगता है हमारे पास एक कार्टुन आवेदन फार्म जमा है हमारे हास्ताक्षर से तो खाता खुलना नही है आगे साहब लोग नही करते हैं तो हम क्या करें ? कछुए की चाल के माफिक कर्मचारी लोग काम करते हैं तथा ग्राहको के साथ रूखा ब्यवहार करतें हैं। वहीं अधिकांश काउण्टरों में कर्मचारियों के अनुपस्थित रहने के कारण उपभोक्ताओं को बैंकीय कार्य के लिए घण्टों इंतजार करना पडता है।
अधिकतर कर्मचारी तो गप्पे मारने में या फिर फोन/मोबाईल पर ब्यस्त नजर आते हैं। कतार में खडे उपभोक्ताओं का समय का इनको परवाह कहां हैं इन साहब लोगों को तो बस अपनी डयूटी बजाने से मतलब रहती है। 11 बजे बैंक आऐंगें 11.30 बजे कार्य प्रारंभ करेंगे 2 बजे लंच पर चले जाऐंगें 3.30 बजे लंच करके वापस आऐंगें फिर उपभोक्ता से कहेंगें टाईम खतम हो गया कल आना। एक ओर भारतीय स्टेट बैंक अपने ग्राहकों को नित्य नए सौगात दे रही है, लेकिन स्थानीय रामानुजगंज शाखां में प्रबंधन व कर्मचारियों की उदासीनता के चलते ग्राहकों को इन सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
अधिकतर कर्मचारी तो गप्पे मारने में या फिर फोन/मोबाईल पर ब्यस्त नजर आते हैं। कतार में खडे उपभोक्ताओं का समय का इनको परवाह कहां हैं इन साहब लोगों को तो बस अपनी डयूटी बजाने से मतलब रहती है। 11 बजे बैंक आऐंगें 11.30 बजे कार्य प्रारंभ करेंगे 2 बजे लंच पर चले जाऐंगें 3.30 बजे लंच करके वापस आऐंगें फिर उपभोक्ता से कहेंगें टाईम खतम हो गया कल आना। एक ओर भारतीय स्टेट बैंक अपने ग्राहकों को नित्य नए सौगात दे रही है, लेकिन स्थानीय रामानुजगंज शाखां में प्रबंधन व कर्मचारियों की उदासीनता के चलते ग्राहकों को इन सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।