क्राइम रिपोर्टर // वसीम बारी (रामानुजगंज // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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रामानुजगंज . जनजागरण रैली के बहाने अंबिकापुर के बाद बिलासपुर में सरकार के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने जैसी हुंकार भरी है, यकिनन वह भाजपा के कान खड़े करने वाली है। पहली बार छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के ऐसे आक्रमक तेवर देखने को मिले है। आपसी उठापटक में अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मार चुके कांग्रेसियों को यह गहरे तक एहसास हो चुका है कि इसी तरह आपस में बंटे रहें तो सत्ता में वापसी का सपना आगे भी सपना ही रह जाएगा। पार्टी हाईकमान ने नंदकुमार पटेल को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपकर आपसी टकराव को दूर करने के लिए जो पत्ता चला था, जनजागरण अभियान में कार्यकर्ताओं का उत्साह देखकर लगता है कि वह सही जगह बैठा है। उनके नेतृत्व में प्रदेश के सारे बड़े नेता एक मंच पर दिखाई दिए। ऐसे में भीड़ जुटना भी लाजिमी था। नेताओं-कार्यकर्ताओं के लिए भीड़ ही वह टॉनिक है, जो उर्जा का संचार करता हैं। दोनो जगह रैलियों में अच्छी खासी भीड़ देखी गई। कांग्रेस सत्ता में वापसी चाहती है तो इस भीड़ को वोट में बदलने के लिए जनता में उसे यह संदेश देना होगा कि वे पिछली गलतियों से सबक ले चुके हैं। प्रदेश की जनता ने कांग्रेस का लम्बा शासन देखा है और यह भी कि सत्ता का मद कैसे किसी को किस हद तक निरंकुश बना देता है। लोकसत्ता में असली ताकत जनता के हाथ होती है और जब जनता के प्रति ही राजनेता बेपरवाह हो जाते है तो सत्ता से दूर होने में भी देर नही लगती। यही कांग्रेस के साथ हुआ। छोटे राज्यों में सत्ता की प्रकृति बदलाव की रही है और कई छोटे राज्य इसके उदाहरण है, कि वहां सत्ता पांच साल में बदल गई है। छत्तीसगढ़ में ऐसा नही हुआ। भाजपा लगातार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई और तीसरी बार सत्ता में कायम रहने की उसकी तैयारी है। भाजपा शासन के अब तक के कार्यकाल में कांग्रेस प्रभावी विपक्ष की भूमिका में कभी दिखाई नही दी। वह ऐसा कोई जनांदोलन खड़ा नही कर सकी जिसकी बदौलत वह सरकार को कठघरे में खड़ा कर सकती थी। आने वाले दो-ढाई साल कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण है। कांग्रेस नेताओं को भी बात समझ में आ गई है कि वे साथ मिलकर काम नहीं कर सके तो ऐसा कोई करिश्मा नही होने वाला जो उन्हे सत्ता वापस दिला सके। सत्ता चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की, कमजोरियां सब में होती है। जनता उन्हें अनुभव करती है और मौका आने पर सत्ता बदल देना चाहती है मगर उसे यह विकल्प भी दिखना चाहिए कि किसी के हाथ से सत्ता छीनकर किसी अन्य के हाथ में हाथ में देने का नतीजा अच्छा होगा। छत्तीसगढ़ के गठन के बाद संख्या बल के आधार पर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी थी और तीन साल बाद हुए चुनावों में जनता ने उसे बेदखल कर दिया। भाजपा अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने जा रही है। राज्य की यह राजनैतिक स्थिति बताती है कि कांग्रेस से जनता को कितनी गहरी निराशा थी। कांग्रेस को जनता में पुराना विश्वास पैदा करने के लिए उनके हित के मुददों को लेकर संघर्ष के मोर्चे पर खड़ा दिखाई देना होगा। जनजागरण अभियान इस दिशा में कांग्रेस की अच्छी शुरूआत कही जा सकती है। यह भी अच्छी बात है कि पार्टी हाईकमान राज्य में कांग्रेस की ताकत और कमजोरी को सही पड़ताल करने की कोशिश की है और प्रदेश की कमान एक ऐसे नेता को थमाई है जो समन्वयवादी होने के साथ सभी को साथ लेकर चलने में सक्षम है।