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बिलासपुर । सुबह उठा और जैसे ही पेपर हाथ में लिया तो हमारी देश नपुंसक केंद्र सरकार के एक और काले कारनामे पर मेरी नजर पड़ी वो लोग 12 साल के बच्चों को भी आपसी सहमति से सेक्स करने की इजाजत देना चाहते है.. उसके पीछे तर्क यहाँ है कि वे बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा दिलाना चाहते है..जिस अपराध को ये रोकना चाहते है उस रोकने के लिए कानून बनाने के बजाये उसे सामान्य व्यवहार में लाना चाहते है...
ताकि बाद में देश के सामने पीठ थपथपा सके कि देखो हमने योन अपराधों पर रोक लगा दी.. ये तो वैसे ही हुआ जैसे किसी का खून करना अपराध है, कही डाका डालना, चोरी करना अपराध है तो इन्हें कानून द्वारा मान्यता दे दी जाए जिससे होगा ये की चाहे लोग जितना भी अपराध करे लेकिन ओ अपराध नहीं कहलायेगा वो राष्ट्र कि संस्कृति कहलाएगी...
इन्होने देश को भ्रष्टाचारी तो बना ही दिया है अब सम्पूर्ण देश को बाल अपराधी बनाना चाहते है.. भारतीय संस्कृति को पुर्णत: वैश्यालय बना देना चाहते है..जिस महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से यह बिल भेजने की बात चल रही है उसके मुखिया का नाम मैंने ढूँढना चाह तो श्रीमती कृष्णा तीरथ का नाम सामने आया.. सोचकर हैरानी होती है कि एक महिला होकर वो इस प्रकार कि कलुषित सोच रखती है... क्या यह कांग्रेसी संस्कृति का असर है इनके इस तरह के पागलपन को जनता कभी स्वीकार नहीं करने वाली है..
12 की जिस उम्र में ये लोग बच्चो से सेक्स करवाना चाहते है उस उम्र में उनकी इतनी समझ नहीं होती की अच्छा क्या है और बुरा क्या है.. अगर उन्हें इतनी छोट दे दी जाए तो हमारे देश में पहले से ही पाँव फैलाए बैठा बाल अपराध के मार्केट को लाइसेंस मिल जाएगा.. अभी रोक है तो अपराध कहलाता है, जब रोक ही नहीं होगी तो हर मामले में अपराधी यह बोलकर साफ़ बच जाएगा कि यह सेक्स हम दोनों की सहमति से हुआ है.. ब्लू फिल्मो का व्यवसाय करने वालो की चांदी कटेगी ये लोग हम उम्र बच्चो को सेक्स करने के लिए प्रेरित करेंगे और फिर उनकी अश्लील विडियो बनाकर धडल्ले से बेचेंगे...
उसे रोकने का समर्थ तो सरकार में ना कभी था ना ही कभी होने वाला है वो बस इतना ही कर सकती है कि इन सबको कानूनी मान्यता ही दे डाले..12 साल की उम्र में बच्चे नासमझ ही होते है उन्हें अच्छा क्या है बुरा क्या है इसका ज्ञान नहीं होता उन्हें जऱा सी बात पर बहकाया जा सकता है.. उन्हें ये नहीं पता होता कि असल में ये प्यार, सहमति, सेक्स क्या होता है.. कोई भी उन्हें इस बात पर बहका सकता है कि मै तुम्हे प्यार करता हू और इस उम्र में भी सेक्स किया जा सकता है.. उन्हें जब इस बात का चस्का लग जायेगा तो उन्हें फिर वापस लाना बहुत मुस्किल है..बचपन में बच्चों का मन बहुत ही चंचल होता है, ना तो एक जगह टिकता है और ना ही एक चीज पर स्थिर रहता है.. दोस्त भी बनते है बिछड़ते है और फिर दुसरे आ जाते है.. कुछ दिन कोई अच्छा लगता है फिर कोई और अच्छा लगने लग जाता है..
अभी दर है कि सेक्स ठीक नहीं है इसलिए काफी कण्ट्रोल है... अगर छूट मिल गयी तो बच्चे लगभग हर अच्छे लगने वाले साथी के साथ सेक्स का मजा लेने के लिए प्रेरित होंगे और बच्चो का बचपन वैश्यालय कि तरह हो जायेगा और उस से एड्स को बढ़ावा मिलेगा.. अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में जहा बचपन में सेक्स की छूट है वहा शादी करने की उम्र तक बच्चे कई प्रकार के योन रोगों से ग्रषित हो जाते है.. और वैवाहिक जीवन नरक हो जाता है..अभी बच्चों को यह पता होता है कि 18 साल से पहले शारीरिक सम्बन्ध अच्छा नहीं होता है.. इसलिए वे फालतू बाते छोडक़र अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देते है.. पर जब उन्हें सेक्स की व्यावहारिक छूट मिल जाएगी तो उनका ध्यान पढाई कि बजाये सेक्स पार्टनर ढूँढने में ज्यादा रहेगा.. सेक्स जैसे महत्वपूर्ण फैसले पर बहुत गौर करने की जरुरत है..
जहा देश की जनता ने सेक्स शिक्षा को स्कूली पध्यक्रम में स्वीकार नहीं किया तो क्या व्यवहार में लाने के लिए तैयार हो जायेंगे? ऐसे बहुत से ऐसे मुद्दे है जिनपर सोचने की जरुरत है.. अपराध को काम करने का मतलब ये नहीं होता कि उस स्वीकार ही कर लिया जाये.. यदि उस खत्म करना है तो उसके तरीके निकालना होगा.. किसी भी योजना को शुुरु करने से पहले उसका प्रक्टिकली परिक्षण किया जाता है.. यही हर राष्ट्र की परंपरा रही है और इसीका निर्वहन हमें भी करना चाहिए..
ताकि बाद में देश के सामने पीठ थपथपा सके कि देखो हमने योन अपराधों पर रोक लगा दी.. ये तो वैसे ही हुआ जैसे किसी का खून करना अपराध है, कही डाका डालना, चोरी करना अपराध है तो इन्हें कानून द्वारा मान्यता दे दी जाए जिससे होगा ये की चाहे लोग जितना भी अपराध करे लेकिन ओ अपराध नहीं कहलायेगा वो राष्ट्र कि संस्कृति कहलाएगी...
इन्होने देश को भ्रष्टाचारी तो बना ही दिया है अब सम्पूर्ण देश को बाल अपराधी बनाना चाहते है.. भारतीय संस्कृति को पुर्णत: वैश्यालय बना देना चाहते है..जिस महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से यह बिल भेजने की बात चल रही है उसके मुखिया का नाम मैंने ढूँढना चाह तो श्रीमती कृष्णा तीरथ का नाम सामने आया.. सोचकर हैरानी होती है कि एक महिला होकर वो इस प्रकार कि कलुषित सोच रखती है... क्या यह कांग्रेसी संस्कृति का असर है इनके इस तरह के पागलपन को जनता कभी स्वीकार नहीं करने वाली है..
12 की जिस उम्र में ये लोग बच्चो से सेक्स करवाना चाहते है उस उम्र में उनकी इतनी समझ नहीं होती की अच्छा क्या है और बुरा क्या है.. अगर उन्हें इतनी छोट दे दी जाए तो हमारे देश में पहले से ही पाँव फैलाए बैठा बाल अपराध के मार्केट को लाइसेंस मिल जाएगा.. अभी रोक है तो अपराध कहलाता है, जब रोक ही नहीं होगी तो हर मामले में अपराधी यह बोलकर साफ़ बच जाएगा कि यह सेक्स हम दोनों की सहमति से हुआ है.. ब्लू फिल्मो का व्यवसाय करने वालो की चांदी कटेगी ये लोग हम उम्र बच्चो को सेक्स करने के लिए प्रेरित करेंगे और फिर उनकी अश्लील विडियो बनाकर धडल्ले से बेचेंगे...
उसे रोकने का समर्थ तो सरकार में ना कभी था ना ही कभी होने वाला है वो बस इतना ही कर सकती है कि इन सबको कानूनी मान्यता ही दे डाले..12 साल की उम्र में बच्चे नासमझ ही होते है उन्हें अच्छा क्या है बुरा क्या है इसका ज्ञान नहीं होता उन्हें जऱा सी बात पर बहकाया जा सकता है.. उन्हें ये नहीं पता होता कि असल में ये प्यार, सहमति, सेक्स क्या होता है.. कोई भी उन्हें इस बात पर बहका सकता है कि मै तुम्हे प्यार करता हू और इस उम्र में भी सेक्स किया जा सकता है.. उन्हें जब इस बात का चस्का लग जायेगा तो उन्हें फिर वापस लाना बहुत मुस्किल है..बचपन में बच्चों का मन बहुत ही चंचल होता है, ना तो एक जगह टिकता है और ना ही एक चीज पर स्थिर रहता है.. दोस्त भी बनते है बिछड़ते है और फिर दुसरे आ जाते है.. कुछ दिन कोई अच्छा लगता है फिर कोई और अच्छा लगने लग जाता है..
अभी दर है कि सेक्स ठीक नहीं है इसलिए काफी कण्ट्रोल है... अगर छूट मिल गयी तो बच्चे लगभग हर अच्छे लगने वाले साथी के साथ सेक्स का मजा लेने के लिए प्रेरित होंगे और बच्चो का बचपन वैश्यालय कि तरह हो जायेगा और उस से एड्स को बढ़ावा मिलेगा.. अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में जहा बचपन में सेक्स की छूट है वहा शादी करने की उम्र तक बच्चे कई प्रकार के योन रोगों से ग्रषित हो जाते है.. और वैवाहिक जीवन नरक हो जाता है..अभी बच्चों को यह पता होता है कि 18 साल से पहले शारीरिक सम्बन्ध अच्छा नहीं होता है.. इसलिए वे फालतू बाते छोडक़र अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देते है.. पर जब उन्हें सेक्स की व्यावहारिक छूट मिल जाएगी तो उनका ध्यान पढाई कि बजाये सेक्स पार्टनर ढूँढने में ज्यादा रहेगा.. सेक्स जैसे महत्वपूर्ण फैसले पर बहुत गौर करने की जरुरत है..
जहा देश की जनता ने सेक्स शिक्षा को स्कूली पध्यक्रम में स्वीकार नहीं किया तो क्या व्यवहार में लाने के लिए तैयार हो जायेंगे? ऐसे बहुत से ऐसे मुद्दे है जिनपर सोचने की जरुरत है.. अपराध को काम करने का मतलब ये नहीं होता कि उस स्वीकार ही कर लिया जाये.. यदि उस खत्म करना है तो उसके तरीके निकालना होगा.. किसी भी योजना को शुुरु करने से पहले उसका प्रक्टिकली परिक्षण किया जाता है.. यही हर राष्ट्र की परंपरा रही है और इसीका निर्वहन हमें भी करना चाहिए..