जिला प्रतिनिधि //रामकिशोर पंवार (बैतूल//टाइम्स ऑफ क्राइम)
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आमीर शाप बैतूल बेली होगी रीलिज
बैतूल . आमीर खान की प्रोडेक्शन कंपनी की बहुचर्चित फिल्म दिल्ली बेली का इमरान खान पर फिल्माया गया गाना ‘‘भाग डी.के. बोस डी.के. .......’’ का बैतूल में भी जल्दी ही रीमेक्स देखने को मिलने जा रहा है। बैतूल जिले में डी.के बोस कौन होगा यह तय हो चुका है लेकिन उसे भगाएगा कौन यह तय होना बाकी है।
यदि प्रशासन ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्ड पीठ के आदेश एवं राज्य सरकार के स्पष्टीकरण के बाद इन फर्जी कंपनी और उसके फर्जीवाड़े पर नकेल कसनी शुरू कर दी तो आमीर खान की फिल्म का नया नाम कुछ इस प्रकार होगा कि आमीर शाप बैतूल बेली जो बहुत जल्दी ही लोगों को देखने को मिलेगी। बैतूल जिले के गांव -गांव में अपना नेटवर्क फैला चुकी बहुचर्चित अजर अमर शापर्स नामक चिटफण्ड कपंनी के झण्ड होने के दिन आने वाले है। लोगो को ना -ना प्रकार के कथित सब्जबाग दिखा कर उन्हे ठगने में माहिर इस कंपनी द्वारा जिले की ग्रामीण एवं शहरी भोली -भाली एवं पढ़ी-लिखी जनता से करोड़ो रूपए जमा किए जा चुके है।
किसी अन्य प्रदेश की इस बहुचर्चित एवं सुर्खियों में छाई हुई कंपनी में अब कभी भी ताले तो लगेगें साथ ही लोगों को करोड़ो रूपयों का ब्याज में चुना लगना तय है। कंपनी के कथित दिवालिए घोषित होने की संभावनाएं इसलिए भी बन गई है क्योंकि कंपनी के द्वारा कुछ व्यापारियों को दिए गए चेक भी बैंक से बैरंग वापस लौटने शुरू हो गए है। अटकलो के दौर में इस बात से भी नहीं नकारा जा सकता कि पुलिस थाना बैतूल से लेकर किसी भी सरकारी विभाग में कंपनी के संचालक से लेकर किसी भी सदस्य का नाम पता हुलिया तथा कोई पहचान पत्र नहीं है। ऐसी स्थिति में कपनी कब अपना सारा माल बटोर कर नौ दो ग्यारह हो जाए कहा नहीं जा सकता है। बैतूल जिले की 558 ग्राम पंचायतों के अनेको गांव -गांव में कम पैसे में घरेलू उपयोग के सामानों की सप्लाई करने वाली इस कंपनी के दर्जनों एजेंटो तथा कर्मचारियों को पिछले दो माह से वेतन तक नहीं मिला है। बैतूल जिले के गांव-गांव में लूटखसोट केन्द्र खोल चुकी कंपनी जिले के कुछ नामचीन लोगों की कमाई का जरीया बनी हुई है। ऐसे लोग कंपनी के विभिन्न प्रकार के सलाहकार-मददगार- संरक्षक-कत्र्ता-धत्र्ता बन कर कंपनी से अपनी चांदी काट रहे है। इस समय जानकार सूत्रो के अनुसार कंपनी के द्वारा जारी किए गए 89 चैक विभिन्न बैंको से बैरंग वापस लौटा दिये गए है। पुलिस प्रशासन को इस बात की जानकारी बैतूल गंज के कुछ व्यापारियों ने लिखित में दी गई है लेकिन पुलिस ने चेक बाऊंस होने के मामले में अभी तक उक्त शापर्स के संचालक या चेक जारी करने वाले के खिलाफ कोई प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है। बिना पंजीयन के करोड़ो रूपए संग्रह कर चुकी कंपनी के संचालक को एसडीएम बैतूल द्वारा तलब किए जाने के बाद यूं ही चेतावनी देकर छोड़ दिया जाना लोगों को हजम नहीं हो रहा है।
जिले के ईमानदार अधिकारी के रूप में चर्चित एसडीएम को इस कंपनी की पूरी महाभारत कंठस्थ याद है इसके बाद भी उसकी दुकान या कार्यालय को सील न किया जाना समझ के परे की बात है। हालांकि एसडीएम की नीयत पर किसी को कोई शक है नहीं है लेकिन आज के जामने में फर्जीवाड़े को नसीहत देने का टाइम नहीं है क्योकि ग्वालियर हाईकोर्ट के बाद तो फर्जी कंपनी की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौपा गया है लेकिन राज्य सरकार पूरी जवाबदेही कलैक्टरो पर थोप कर अपने दामन पर दाग नहीं लगने देना चाहती है। कलैक्टर को फर्जी कंपनियों को सील करने के अधिकार मिलने के कारण ही बैतूल एसडीएम द्वारा कई कंपनियो की बैण्ड बाजा बारात निकालने के बाद अब इस कंपनी की बैण्ड बजने का सभी को इंतजार है। वैसे यह भी कटु सत्य है कि यदि एसडीएम इस कंपनी के पीछे पड़ गए तो पूरी कंपनी भी यह गाना गाती नजर आएगी कि ‘‘भाग डी.के. बोस डी.के. .......’’
जानकार सूत्रो के हवाले से मिली खबरो के मुताबिक बैतूल जिले की ग्राम पंचायतो के सरपंच-सचिव तक को बैतूल जिले के किसी बड़े अधिकारी की अनुशंसा पर छै हजार रूपए का सदस्य बनाया गया है। अधिकारी जिला पंचायत एवं जिला प्रशासन में से किसका है यह तो राम ही जाने लेकिन रातों-रात छै हजार रूपए की सदस्यता के माध्यम से करोड़ों रूपए एकत्र कर चुकी कंपनी पर भी लगता है संकट के बादल जल्दी ही आने वाले है। बताया जाता है कि उक्त शापर्स के संचालक को जिले की एक महिला ने अपने कथित प्रेम जाल में फंसा रखा है जिसके कारण शापर्स के संचालक को हर काम के लिए उस मन और तन मोहनी के इशारे की जरूरत होती है। जिले की भोली भाली जनता की मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा उस महिला के लिए एक बंगला बने प्यारा में लगाया जा रहा है।
सूत्रो की बात पर यदि यकीन करे तो पता चलता है कि किसी नामीचन प्रायवेट स्कूल के पास पचास लाख की लागत से एक बंगला बनवाया जा रहा है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार शाहजांह ने अपनी मुमताज के लिए ताज महल बनाया था। दोनो में फर्क इतना था कि मुमताज शाहजांह की बीबी थी और उसके मरने के बाद उसके प्रेम में बनवाया गया था लेकिन इस महल को पत्नि के लिए नहीं बल्कि कथित वासना की चुड़ैल के लिए बनाया जा रहा है जो खून के बदले लाखो रूपए की दौलत को चूस रही है। (हमारा मकसद किसी महिला को अपमानित करने का नहीं है बल्कि हम बताना चाहते है कि एक महिला की पूरी कंपनी के दिवाला निकालने में क्या भूमिका है....? वह महिला कौन है ..? इस बारे में बताने की जरूरत नहीं है क्योकि महिला का पति एवं उसका प्रेम जानता है कि सच क्या है ..? तथा वह कितना कड़वा है....?
हालांकि समझदार को इशारा काफी है) पूरे मामले की यदि उच्चस्तरीय जांच की जाती है तो पूरी कंपनी और उनके सिपहसलाहकारों की जमात जिला जेल के अंदर नजर आ जाएगी। बैतूल जिले से करोड़ों रूपए लुभावने सपने दिखा कर मात्र एक साल के भीतर इतना बड़ा नेटवर्क तैयार करने वाली कंपनी का भविष्य पूरी तरह अंधकार मय होने जा रहा है। व्यापारियों में अपासी फूट डाल कर अब कपंनी व्यापारियों की आपसी फूट का फायदा उठाने की सोच जरूर रही है लेकिन गांव-गांव तक कंपनी के फर्जीवाड़े का समाचार पहुंचने के बाद अब लोगों का कंपनी के खिलाफ कभी भी जन आक्रोश भडक़ सकता है। पहले व्यापारियों और अब ग्राहकों तथा सदस्यों के आक्रोश का शिकार बनने जा रही इस कंपनी के लूट के लम्बे चौड़े नेटवर्क पर लगाम कसने की जरूरत आ पड़ी है।
यदि प्रशासन ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्ड पीठ के आदेश एवं राज्य सरकार के स्पष्टीकरण के बाद इन फर्जी कंपनी और उसके फर्जीवाड़े पर नकेल कसनी शुरू कर दी तो आमीर खान की फिल्म का नया नाम कुछ इस प्रकार होगा कि आमीर शाप बैतूल बेली जो बहुत जल्दी ही लोगों को देखने को मिलेगी। बैतूल जिले के गांव -गांव में अपना नेटवर्क फैला चुकी बहुचर्चित अजर अमर शापर्स नामक चिटफण्ड कपंनी के झण्ड होने के दिन आने वाले है। लोगो को ना -ना प्रकार के कथित सब्जबाग दिखा कर उन्हे ठगने में माहिर इस कंपनी द्वारा जिले की ग्रामीण एवं शहरी भोली -भाली एवं पढ़ी-लिखी जनता से करोड़ो रूपए जमा किए जा चुके है।
किसी अन्य प्रदेश की इस बहुचर्चित एवं सुर्खियों में छाई हुई कंपनी में अब कभी भी ताले तो लगेगें साथ ही लोगों को करोड़ो रूपयों का ब्याज में चुना लगना तय है। कंपनी के कथित दिवालिए घोषित होने की संभावनाएं इसलिए भी बन गई है क्योंकि कंपनी के द्वारा कुछ व्यापारियों को दिए गए चेक भी बैंक से बैरंग वापस लौटने शुरू हो गए है। अटकलो के दौर में इस बात से भी नहीं नकारा जा सकता कि पुलिस थाना बैतूल से लेकर किसी भी सरकारी विभाग में कंपनी के संचालक से लेकर किसी भी सदस्य का नाम पता हुलिया तथा कोई पहचान पत्र नहीं है। ऐसी स्थिति में कपनी कब अपना सारा माल बटोर कर नौ दो ग्यारह हो जाए कहा नहीं जा सकता है। बैतूल जिले की 558 ग्राम पंचायतों के अनेको गांव -गांव में कम पैसे में घरेलू उपयोग के सामानों की सप्लाई करने वाली इस कंपनी के दर्जनों एजेंटो तथा कर्मचारियों को पिछले दो माह से वेतन तक नहीं मिला है। बैतूल जिले के गांव-गांव में लूटखसोट केन्द्र खोल चुकी कंपनी जिले के कुछ नामचीन लोगों की कमाई का जरीया बनी हुई है। ऐसे लोग कंपनी के विभिन्न प्रकार के सलाहकार-मददगार- संरक्षक-कत्र्ता-धत्र्ता बन कर कंपनी से अपनी चांदी काट रहे है। इस समय जानकार सूत्रो के अनुसार कंपनी के द्वारा जारी किए गए 89 चैक विभिन्न बैंको से बैरंग वापस लौटा दिये गए है। पुलिस प्रशासन को इस बात की जानकारी बैतूल गंज के कुछ व्यापारियों ने लिखित में दी गई है लेकिन पुलिस ने चेक बाऊंस होने के मामले में अभी तक उक्त शापर्स के संचालक या चेक जारी करने वाले के खिलाफ कोई प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है। बिना पंजीयन के करोड़ो रूपए संग्रह कर चुकी कंपनी के संचालक को एसडीएम बैतूल द्वारा तलब किए जाने के बाद यूं ही चेतावनी देकर छोड़ दिया जाना लोगों को हजम नहीं हो रहा है।
जिले के ईमानदार अधिकारी के रूप में चर्चित एसडीएम को इस कंपनी की पूरी महाभारत कंठस्थ याद है इसके बाद भी उसकी दुकान या कार्यालय को सील न किया जाना समझ के परे की बात है। हालांकि एसडीएम की नीयत पर किसी को कोई शक है नहीं है लेकिन आज के जामने में फर्जीवाड़े को नसीहत देने का टाइम नहीं है क्योकि ग्वालियर हाईकोर्ट के बाद तो फर्जी कंपनी की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौपा गया है लेकिन राज्य सरकार पूरी जवाबदेही कलैक्टरो पर थोप कर अपने दामन पर दाग नहीं लगने देना चाहती है। कलैक्टर को फर्जी कंपनियों को सील करने के अधिकार मिलने के कारण ही बैतूल एसडीएम द्वारा कई कंपनियो की बैण्ड बाजा बारात निकालने के बाद अब इस कंपनी की बैण्ड बजने का सभी को इंतजार है। वैसे यह भी कटु सत्य है कि यदि एसडीएम इस कंपनी के पीछे पड़ गए तो पूरी कंपनी भी यह गाना गाती नजर आएगी कि ‘‘भाग डी.के. बोस डी.के. .......’’
जानकार सूत्रो के हवाले से मिली खबरो के मुताबिक बैतूल जिले की ग्राम पंचायतो के सरपंच-सचिव तक को बैतूल जिले के किसी बड़े अधिकारी की अनुशंसा पर छै हजार रूपए का सदस्य बनाया गया है। अधिकारी जिला पंचायत एवं जिला प्रशासन में से किसका है यह तो राम ही जाने लेकिन रातों-रात छै हजार रूपए की सदस्यता के माध्यम से करोड़ों रूपए एकत्र कर चुकी कंपनी पर भी लगता है संकट के बादल जल्दी ही आने वाले है। बताया जाता है कि उक्त शापर्स के संचालक को जिले की एक महिला ने अपने कथित प्रेम जाल में फंसा रखा है जिसके कारण शापर्स के संचालक को हर काम के लिए उस मन और तन मोहनी के इशारे की जरूरत होती है। जिले की भोली भाली जनता की मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा उस महिला के लिए एक बंगला बने प्यारा में लगाया जा रहा है।
सूत्रो की बात पर यदि यकीन करे तो पता चलता है कि किसी नामीचन प्रायवेट स्कूल के पास पचास लाख की लागत से एक बंगला बनवाया जा रहा है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार शाहजांह ने अपनी मुमताज के लिए ताज महल बनाया था। दोनो में फर्क इतना था कि मुमताज शाहजांह की बीबी थी और उसके मरने के बाद उसके प्रेम में बनवाया गया था लेकिन इस महल को पत्नि के लिए नहीं बल्कि कथित वासना की चुड़ैल के लिए बनाया जा रहा है जो खून के बदले लाखो रूपए की दौलत को चूस रही है। (हमारा मकसद किसी महिला को अपमानित करने का नहीं है बल्कि हम बताना चाहते है कि एक महिला की पूरी कंपनी के दिवाला निकालने में क्या भूमिका है....? वह महिला कौन है ..? इस बारे में बताने की जरूरत नहीं है क्योकि महिला का पति एवं उसका प्रेम जानता है कि सच क्या है ..? तथा वह कितना कड़वा है....?
हालांकि समझदार को इशारा काफी है) पूरे मामले की यदि उच्चस्तरीय जांच की जाती है तो पूरी कंपनी और उनके सिपहसलाहकारों की जमात जिला जेल के अंदर नजर आ जाएगी। बैतूल जिले से करोड़ों रूपए लुभावने सपने दिखा कर मात्र एक साल के भीतर इतना बड़ा नेटवर्क तैयार करने वाली कंपनी का भविष्य पूरी तरह अंधकार मय होने जा रहा है। व्यापारियों में अपासी फूट डाल कर अब कपंनी व्यापारियों की आपसी फूट का फायदा उठाने की सोच जरूर रही है लेकिन गांव-गांव तक कंपनी के फर्जीवाड़े का समाचार पहुंचने के बाद अब लोगों का कंपनी के खिलाफ कभी भी जन आक्रोश भडक़ सकता है। पहले व्यापारियों और अब ग्राहकों तथा सदस्यों के आक्रोश का शिकार बनने जा रही इस कंपनी के लूट के लम्बे चौड़े नेटवर्क पर लगाम कसने की जरूरत आ पड़ी है।