गुड्डू ने बताया कि उसके गांव की इस खूबी की वैज्ञानिक जांच के लिए हैदराबाद, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुंबई तक के विशेषज्ञ आ चुके हैं लेकिन किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले वह यह मानने के लिए विवश हो जाते हैं कि यह ऊपर वाले की कृपा है।
गुड्डू ने बताया कि खून के नमूनों आदि से अब तक हुई वैज्ञानिकों की जांच बेनतीजा रही है। वैज्ञानिक इसे कुदरत का हैरतअंगेज करिश्मा मानते हैं। करीब 35 साल के गुड्डू का कहना है कि उनके बाबा के अनुसार 80 साल पहले पूरा का पूरा गांव ही जुड़वा था।
उन्होंने बताया कि इस समय गांव में 16 जुड़वे हैं। बीस ऐसे जुडवा पैदा हुए जिसमें एक की मौत हो गयी जबकि कुछ में दोनों की मौत हो गयी। पेशे से ड्राइवर गुड्डू अपने 11 भाई-बहनों में तीसरे नम्बर पर है। उसके भाई पप्पू ने जुडवा होने की कई दिलचस्प कहानियां भी सुनाई।
पप्पू ने बताया कि कई बार उनकी पत्नियां पहचानने में धोखा खा जाती हैं। पप्पू का कहना है कि वह गुड्डू से दस मिनट छोटा है इसलिए वह अक्सर भाभी को पहचान को लेकर तंग किया करता है लेकिन गुड्डू उससे बडे़ हैं इसलिए वह उसकी पत्नी को परेशान नहीं करते।
गांव के एक अन्य जुड़वा आसिफ ने बताया कि कई बार हमशक्ल होने की वजह से उसका भाई या भाई की जगह पर पिता से वह मार खा जाता था। कई बार तो उसकी मां ने पिता को बताया कि शरारत करने वाला आसिफ नहीं उसका जुड़वा कासिम है। उसका कहना है कि मां उन्हें पहचानने में गलती नहीं करती।
आसिफ ने बताया कि यह खूबी केवल उसके गांव की ही है। आसपास के गांव में ऐसा नहीं होता। उसके गांव की इसी खूबी की वजह से ईरान, अमरीका, जर्मनी तथा कुछ अन्य देशों के पत्रकार भी आ चुके है।
उसके गांव का नाम ग्रीनिज बुक में दर्ज होने वाला है। उसका कहना है कि हाल ही में दो गायों ने भी जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है। आमतौर पर गाय एक ही बच्चे को जन्म देती हैं।
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मालाप्पुरम। क्या आपको किसी ऐसे गांव के बारे में पता है जहां 200 से अधिक जुड़वा बच्चे हैं? यदि नहीं तो केरल के कोडिनीही गांव का दौरा करें, यहां आपको बड़ी संख्या में जुड़वा बच्चे मिल जाएंगे।
कोडीनीही गांव ननमबारा पंचायत में स्थित है। पंचायत प्रमुख कुंजु मारिकर ने कहा, “जुड़वा बच्चों को लेकर हम पहले जागरुक नहीं थे लेकिन अब ऐसे बच्चों की संख्या को लेकर हम चर्चा करने लगे हैं। जुड़वा बच्चों की कई संस्थाएं भी गांव में बन चुकी हैं।”
कोडीनीही गांव सात वार्ड में बंटा है, जिनमें प्रत्येक की आबादी करीब 2,000 है। मारिकर ने कहा, “जुड़वा बच्चों की इतनी संख्या आश्चर्यचकित कर देने वाली है।”
जुड़वा बच्चों के एक पिता पुलानी भाष्करन ने ‘ट्वीन्स एंड किन्स एसोसिएशन’ (टीएकेए) नामक संस्था का गठन किया है। उन्होंने कहा, “हमने 11 सदस्यों की एक कार्यकारी समिति का गठन किया है और इसमें जुड़वा बच्चों के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है।”
भाष्करन ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि गांव में जुड़वा बच्चों की संख्या 300 के पार हो जाएगी। ऑटोरिक्शा चालक युसूफ के घर भी छह जुड़वा बच्चे हैं। जुड़वा बच्चों के गांव के रूप में मशहूर कोडीनीही में पिछले वर्ष पुणे और हैदराबाद की दो संस्थाओं ने दौरा भी किया था और जुड़वा बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मुहैया कराई थी।