उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त ने जिन जिन
मंत्रियों के खिलाफ जांच में आर्थिक अनियमितताओं का आरोप सही पाया है उसको
मंत्रिमंडल से हटाने की संस्तुति की है. मायावती ने लोकपाल को इतना महत्व
िदया है कि जिन जिन मंत्रियों के खिलाफ लोकायुक्त की रिपोर्ट आई है मायावती
ने तत्काल उसे मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया है. लेकिन अब एक ऐसा मामला
सामने आया है जिसमें सीधे तौर पर मायावती का नाम तो नहीं लिया गया है लेकिन
इस घोटाले के लिए मायावती को जिम्मेदार ठहराया गया है.
लोकायुक्त के पास शिकायत की है भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय
सचिव कीरीट सोमैया ने. कीरीट सोमैया वैसे तो मूलत: मुंबई से हैं और वहीं
से सांसद भी रहे हैं लेकिन इन दिनों विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उत्तर
प्रदेश में अति सक्रिय हैं. मायावती सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने का
जिम्मा पार्टी ने किरीट सोमैया को सौंपा है. इसी कड़ी में उन्होंने नोएडा
में हुए एक ऐसे जमीन घोटाले को पकड़ा है जिसमें प्रदेश की जनता को कम से कम
8,000 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है. इसी घोटाले के आधार पर किरीट सोमैया
ने उत्तर प्रदेश लोकायुक्त के यहां छह अफसरों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराया
है.उत्तर प्रदेश लोकायुक्त के यहां दर्ज शिकायत में किरीट सोमैया ने आरोप लगाया है कि साल 2009 से 2011 के बीच नोएडा में आवासीय जमीनों का जो आवंटन किया गया है उसका बाजार मूल्य 16,000 करोड़ रूपया था लेकिन नोएडा विकास प्राधिकरण और तत्कालीन उद्योग मंत्रालय के सचिव ने मिलकर यह गोरखधंधा किया और ग्रुप हाउसिंग के नाम पर 32 लाख वर्गमीटर जमीन आधी कीमत पर बिल्डरों को दे दी. किरीट का आरोप है कि 23 महीने के दौरान 73 भूखंडों का आवंटन किया गया और सर्किल रेट से आधी कीमत पर महज पांच प्रतिशत राशि लेकर बिल्डरों को जमीन आवंटित कर दी गई.
किरीट सोमैया ने नोएडा अथारिटी के ओएसडी यशपाल त्यागी, नोएडा विकास प्राधिकरण के चेयरमैन मोहिन्दर सिंह, नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रमा रमण, तथा उद्योग मंत्रालय के तीन सचिवों अतुल कुमार गुप्ता, वी के शर्मा और अनूप मिश्रा को पक्षकार बनाया है. इसमें अनूप मिश्रा इसी साल उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव बना दिये गये हैं और उससे पहले अतुल गुप्ता इसी पद से रिटायर हो चुके हैं.
किरीट सोमैया का आरोप है कि बिल्डरों को जमीन देने से पहले उनकी आर्थिक हालत का जायजा भी नहीं लिया गया और औने पौने दाम में जमीन दे दी गई. किरीट सोमैया ने आरोप लगाया है कि इन घोटालों के लिए सीधे तौर मायावती जिम्मेदार हैं क्योंकि बतौर मुख्यमंत्री उन्हीं की इच्छा से नौकरशाहों ने इस घोटाले को अंजाम दिया है.
sabhar- visfot news