जापान के संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि हम जापानी जो कि हमारी संसद के लिए विधिवत चुने गए प्रतिनिधियों के
माध्यम से हमारे तथा भावी पीढ़ियों के लिए समस्त देशों के साथ शांतिपूर्ण
सहयोग से फलीभूत होने का निश्चय करते हैं और सम्पूर्ण राष्ट्र में
स्वतंत्रता, और हम पुनः कभी भी युद्ध के आतंक के
भुगत भोगी न हों का शुभवचन, और यह घोषणा करते हैं कि संप्रभुता की समस्त
शक्तियाँ लोगों में निहित हैं तथा दृढतापूर्वक इस संविधान की स्थापना करते
हैं| सरकार लोगों का पवित्र विश्वास है, जिसके लिए लोगों से अधिकृति
प्राप्त की गयी है, जिसकी शक्तियाँ जन प्रतिनिधियों द्वारा प्रयुक्त की गयी
हैं और जिसके लाभों का लोग उपभोग कर रहे हैं| यह विश्व मानवजाति का
सार्वभौम सिद्धांत है जिस पर यह संविधान आधारित है| हम उन समस्त संविधानों,
कानूनों, अध्यादेशों, और उल्लेखों को अस्वीकार और खंडित करते हैं जो
संविधान के विपरीत हों|
हम
जापानी लोग सदैव के लिए शांति चाहते हैं और मानव संबंधों से व्यवहार करने
वाले समस्त आदर्शों के प्रति गहनता से सजग हैं, और विश्व के शांतिप्रिय
लोगों में विश्वास व न्याय में आस्था के साथ हमारे अस्तित्व व सुरक्षा को
सुनिश्चित करने के प्रति कृत संकल्प हैं| हम विश्व में शांति की स्थापना के
लिए प्रयासशील विश्व समुदाय में सम्मानजनक स्थान धारण करना चाहते हैं और
उत्पीडन और दासता, असहिष्णुता व शोषण को पृथ्वी पर से हमेशा के लिए
प्रतिबंधित करना चाहते हैं| हमारी मान्यता है कि विश्व में सभी लोगों को भय
और अभाव से मुक्त शांतिपूर्ण जीवन जीने का अधिकार
है| हमारा विश्वास है कि कोई भी अकेला राष्ट्र इसके लिए जिम्मेदार नहीं है
अपितु राजनैतिकता के कानून सार्वभौमिक हैं, और ऐसे कानूनों का अनुपालन, जो
अपनी संप्रभुता को रखना चाहते हैं व अन्य राष्ट्रों के साथ अपने
सम्प्रभुत्वयुक्त संबंधों को न्यायोचित ठहराते हैं, ऐसे समस्त राष्ट्रों का
दायित्व है| हम जापानी लोग इन उच्च आदर्शों और उद्देश्यों की पूर्ति में
हमारा रष्ट्रीय गौरव समझते हैं|
जापानी संविधान के अनुच्छेद 11
के अनुसार लोगों को किसी मौलिक मानवाधिकार का भोग करने से नहीं रोका
जायेगा| इस संविधान द्वारा गारंटीकृत ये मौलिक मानवाधिकार इस व भावी
पीढ़ियों को शाश्वत और न छिनने योग्य रूप में प्रदत किये जाते हैं| इस
संविधान द्वारा गारंटीकृत स्वतंत्रताएँ और अधिकार लोगों के अथक प्रयासों से
अक्षुण्ण बनाये रखे जायेंगे जोकि इन स्वतन्त्रताओं व अधिकारों का दुरुपयोग
करने से परहेज करेंगे और सदैव जन कल्याण के लिए इनका प्रयोग करने के लिए जिम्मेदार होंगे| आगे अनुच्छेद 13 में कहा गया है कि सभी लोगों का व्यक्ति के तौर पर सम्मान किया जायेगा| उनके जीवन, स्वतंत्रता के अधिकार, खुशहाली का अनुसरण जहाँ तक सार्वजनिक कल्याण में हस्तक्षेप नहीं करेंगे कानून निर्माण व अन्य राजकीय मामलात में सर्वोच्च होंगे|
कानून
के अधीन सभी लोग समान हैं और उनमें राजनैतिक, आर्थिक या जाति, वंश, लिंग,
सामाजिक हैसियत, या परिवार के उद्भव के सामाजिक संबंधों के आधार पर भेदभाव
नहीं किया जायेगा| किसी सम्मान, अलंकरण या अन्य भेदभाव का कोई विशेषाधिकार
नहीं होगा और न ही ऐसा पारितोषिक जिसे दिया जाता है या इसके बाद प्राप्त
किया जाता है ऐसे व्यक्ति के जीवन के पश्चात वैध होगा| लोगों को अपने लोक
पदाधिकारी चुनने और निरस्त करने का अहस्तांतरणीय
अधिकार देते हैं| समस्त लोक पदाधिकारी सम्पूर्ण समाज के लोक सेवक होंगे और
किसी समूह के नहीं| [जबकि भारत में प्रतिनिधि का चुनाव निरस्त करने का जनता को अधिकार नहीं है|]
लोक
पदाधिकारियों के चयन में सार्वभौमिक वयस्कता की गारंटी होगी| समस्त
चुनावों में मतपत्र की गोपनीयता का उल्लंघन नहीं होगा| एक मतदाता अपने
द्वारा दी गयी पसंद के लिए, व्यक्तिगत या सार्वजनिक रूप से, जवाबदेय नहीं होगा|
आगे अनुच्छेद 16 में कहा गया है कि प्रत्येक नागरिक को हानि के निवारण, लोक पदाधिकारी को हटाने, कानून, अध्यादेश या विनियमों तथा अन्य मामलों में परिवर्तन, बनाने या निरस्त करने के
लिए शांतिपूर्ण तरीके से मांग करने का अधिकार होगा, ऐसी याचिका के
प्रयोजन, में किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं किया जायेगा| [भारत में रामदेव बाबा और अन्ना के साथ एक ही मुद्दे के लिए हुए भिन्न भिन्न व्यवहार जनता के सामने हैं|]
यदि किसी लोक पदाधिकारी के अवैध कृत्य से किसी नागरिक को हानि पहुंची हो
तो वह राज्य या लोक अधिकारी के विरुद्ध प्रतितोष के लिए दवा कर सकेगा| [भारतीय संविधान में ऐसे सुन्दर प्रावधान का अभाव खलता है|] किसी भी व्यक्ति को किसी प्रकार से बंधुआ नहीं रखा जायेगा| अपराध के लिए दण्ड के अतिरिक्त किसी से भी बेगार नहीं ली जायेगी|
विचार
एवं अंतरात्मा की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं होगा| धर्म की स्वतंत्रता की
सभी को गारंटी दी जाती है| कोई भी धार्मिक संगठन राज्य से कोई विशेषाधिकार
प्राप्त नहीं करेगा और न ही कोई राजनैतिक प्राधिकार का प्रयोग करेगा| [हमारी कायर व कथित धर्म निरपेक्ष सरकारें तो धार्मिक यात्राओं के लिए राजकीय अनुदान तक देती हैं|] किसी भी व्यक्ति को किसी
धार्मिक कार्य, उत्सव, संस्कार, या रिवाज़ में भाग लेने के लिए विवश नहीं
किया जायेगा| राज्य और उसके अंग धार्मिक शिक्षा देने या अन्य धार्मिक
गतिविधि से दूर रहेंगे| भाषण के साथ साथ सभा तथा संगठन बनाने, प्रेस और
अभिव्यक्ति के अन्य प्रारूपों की गारंटी होगी| न तो कोई सेंसरशिप लगायी
जायेगी और न ही संचार के किसी साधन में गोपनीयता का अतिक्रमण होगा| [सेंसरशिप और पुलिस बल की कर्कश आवाज़ और क्रूरता का उपयोग तो हमारी सरकारों की आधारसिला है, भला इन सबके बिना सरकारें चल ही कैसे सकती हैं|]
प्रत्येक
व्यक्ति को अपना निवास चुनने और परिवर्तित करने का तथा इस सीमा तक व्यवसाय
चुनने की स्वतंत्रता होगी जहाँ तक यह सार्वजनिक कल्याण में हस्तक्षेप नहीं
करता है| समस्त लोगों की विदेश जाने और अपनी राष्ट्रीयता छोडने की
स्वतंत्रता का अतिक्रमण नहीं किया जायेगा| शिक्षा की स्वतंत्रता की गारंटी
है| विवाह दोनों लिंगों की सहमति पर आधारित होगा तथा यह पति-पत्नी के समान
अधिकारों पर पारस्परिक सहयोग पर बनाये रखा जायेगा| जीवन साथी का चयन,
सम्पति सम्बंधित अधिकार, विरासत, अधिवास का चयन, तलाक तथा विवाह व परिवार
सम्बन्धित अन्य मामलों में दोनों लिंगों की समानता तथा गरिमा को दृष्टिगत
रखते हुए कानून बनाये जायेंगे|
आगे अनुच्छेद 25
में कहा गया है कि सभी लोगों को न्यूनतम हितकर स्तर और सांस्कृतिक जीवन
धारित करने का अधिकार है| राज्य जीवन के सभी क्षेत्रों में समाज कल्याण व
सुरक्षा तथा जन स्वास्थ्य का विस्तार और प्रोन्नति करने का हर
संभव प्रयास करेगा| विधि के प्रावधानों के अनुसार सभी लोगों को अपनी
क्षमता के अनुसार समान शिक्षा का अधिकार होगा| सभी लोगों का यह दायित्व
होगा कि उनके संरक्षण के अधीन सभी लडकियों और लड़कों को कानून के अनुसार
सामान्य शिक्षा दिलवाएं| ऐसी अनिवार्य शिक्षा निःशुल्क होगी| सभी लोगों का
कार्य करना दायित्व व अधिकार है| मजदूरी का स्तर, घंटे, और अन्य कार्य
दशाएं, कानून द्वारा निर्धारित की जाएँगी| बच्चों का शोषण नहीं होगा|
आगे अनुच्छेद 28
में कहा गया है कि श्रमिकों के संगठित होने और सौदेबाजी करने व सामूहिक
कार्य करने के अधिकार की गारंटी है| सम्पति धारण करने या रखने के अधिकार का
अतिक्रमण नहीं होगा| [सम्पति सम्बंधित अधिकार अब भारतीय संविधान में समाहित मूल अधिकारों की सूची में से हटा दिया गया है|] सम्पति की परिभाषा समाज कल्याण के अनुरूप विधि द्वरा परिभाषित होगी| [भारत
में सार्वजनिक सम्पति टू जी जैसे घोटालों के माध्यम से लुटा दी जाती है और
हमारे माननीय प्रधान मंत्री इसे गठबंधन की विवशता कहकर पल्ला झाड लेते
हैं| हमारे नेतृत्व के लिए देश और संविधान से बड़ी सरकार है|] किसी भी व्यक्ति को न्यायालय तक पहुँच मना नहीं की जायेगी| [भारत में तो न्यायालय के लिपिक ही न्यायालय तक पहुँच को बाधित करने के लिए सशक्त
हैं| कई मामलों में राजीनामा करते समय या अन्यथा सरकारें या उनकी
एजेंसियां न्यायालय में नहीं जाने के लिए नागरिकों से लिखित अंडरटेकिंग ले
लेती हैं और सरकार का पक्षपोषण करने वाले माननीय न्यायालय उन विधि विरुद्ध
अंडरटेकिंग दस्तावेजों को मान्यता भी दे देते हैं|]
किसी भी व्यक्ति को सक्षम न्यायिक अधिकारी द्वारा वारंट जारी किये बिना
जिसमें कि आरोपित व्यक्ति पर अपराध को बताया गया हो, व यदि उसे पकड़ा नहीं
जाता, तो अपराध हो जाता, गिरफ्तार नहीं किया जायेगा| [भारत
में तो पुलिस सर्वशक्तिमान है वह जब, जहां चाहे, जिसे किसी भी बनावटी आरोप
में गिरफ्तार कर सकती है और न्यायालय में जाने पर भी ऐसे पुलिस अधिकारी का
कुछ नहीं बिगडता है|]
मनीराम शर्मा एडवोकेट
सरदारशहर