ब्यूरो प्रमुख // संतोष प्रजापति (बैतूल// टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल जिले को हाईटेक बनाने में जी जान से जूटे कलैक्टर बी चन्द्रशेखर को शायद पता नहीं होगा कि बैतूल जिले के दुरस्थ ग्रामों में आज भी तराजू और किलो बाट बाबा आदम के जमाने के उपयोग में लाए जा रहे है। मिटट्ी का तेल नापने वाले लीटर का ऊपरी हिस्सा गायब है। किलो ग्राम की स्थिति ऐसी है कि कहां नहीं जा सकता। तराजू में छेंद पड़ गए है जिसके चलते आधी शक्कर तराजू से ही नीचे गिर जाती है।
बैतूल जिले की भैसदेही तहसील के ग्राम पंचायत चांदू की आदिम जाति सहकारी समिति द्वारा संचालित चोहटा पोपटी की दुकान वैसे तो बुधवार गुरूवार के दिन खुलनी चाहिए लेकिन दुकान खुलती है सेल्समेन तुकराम यादव की मनमर्जी पर जिसके कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली अपने मूल उद्देश्य से पूरी तरह भटक चुकी है। दुरस्थ ग्राम होने के कारण इस दुकान का वर्ष 2005 से आज तक न तो निरीक्षण हुआ है और न उसकी शिकायत पुस्तिका में कोई शिकायत दर्ज हुई है। दोनो ही पुस्तिका सेल्समेन के घर पर मौजूद होने के कारण कोई भी किसी भी प्रकार की टीप या शिकायत लिखने की हिमकात नहीं कर सकता। जिले की अंतिम छोर पर ताप्ती के किनारे बसे गांवों के यह हाल है कि यहां तक कोई जांच के बहाने तो आता ही नहीं है। पूरी गांव की दुकान को गांव का साहुकार पंच ही संचालित करता है। इस पंच का गांव इतना आतंक है कि वह स्वंय दुकान से खाली एवं भरे बारदान लेकर जाता है लेकिन कोई ऊफ तक नहीं करता है।
चांदु आदिम जाति सहकारी समिति के प्रबंधक के घर का पूरा खर्च सेल्समेन उठाते है इसलिए वे भी इनकी कथित मोनो पल्ली एवं चौतरफा लूट खसोट पर ध्यान नहीं देते है। कहने को तो सहकारी सामितियों के इंस्पेक्टर और खाद्य विभाग के अधिकारी इन दुकानो की प्रति माह जांच के लिए निर्देशित है लेकिन इन लोगो को घर बैठे सेवा शुल्क मिल जाने के कारण कोई भी इनकी आज तक जांच नहीं कर पाता है। बैतूल जिले के दुरस्थ ग्रामों में आज भी उपभोक्ताओं को यह तक नहीं पता चल पाता है कि उसे मिला पांच लीटर मिटट्ी का तेल घर पहुंचने के पहले ही चार लीटर कैसे हो जाता है। गेंहू शक्कर चावल के नापतौल में भी भारी गड़बड़ी होने के बाद भी कोई शिकायतों को गंभीरता पूर्वक नहीं लेता है जिसके पीछे प्रमुख कारण यह है कि बैतूल जिले का सबसे कमाऊपूत विभाग से जिला प्रशासन के अधिकांश अधिकारियों के घर के खर्चे चलते है।
कहने को तो कलैक्टर के आदेशानुसार दुकान के निरीक्षण के लिए सरपंच, सचिव, स्व सहायता समूह की महिला अध्यक्ष, नेहरू युवक केन्द्र के प्रतिनिधि एक बीपीएल अंत्योदय कार्ड धारक तथा वरिष्ठ प्रधान पाठक समिति के सदस्य है लेकिन किसी के भी दुकान की निरीक्षण पुस्तिका पर हस्ताक्षर नहीं है जिसके पीछे कारण यह बताया जाता है कि चूंहे पुस्तिका खा चुके है इसलिए उसे सेल्समेन ने अपने घर पर सुरक्षित रखी है। जब तक गांव की दशा एवं दिशा में कोई सुधार नहीं आएगा तब तक गांव के बारे में कोई भी विकास के दावे करना न्याय संगत नहीं होगा। सरकार की अति महत्वाकांक्षी फूड फार योजना बैतूल जिले में लागू हो पाना दिन में तारे देखने के समान होगा। बैतूल जिले के हाईटेक कलैक्टर को चाहिए कि वे ग्रामीण क्षेत्रो की दुकानो के नाप तौल के सामानो का भी कभी कभार निरीक्षण कर ले कहीं ऐसा तो नहीं कि एक किलो का बाट पौने एक किलो का हो गया है..?