-आलोक सिंघई-
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मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष की ओर से लाया गया अविश्वास प्रस्ताव भले ही 63के मुकाबले 149 मतों से गिर गया हो पर इस जद्दोजहद में कांग्रेस ने अपना नेता तलाश लिया है. जिस जांबाजी और दिलेरी के साथ नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने दिग्विजय खेमे के करीबी भाजपाई मंत्री कैलाश विजय वर्गीय की इज्जत का फलूदा बनाया उसे देख सुनकर पूरा सदन क्षण भर के लिए लगभग सिहर उठा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ईमानदार नेता बताते हुए अजय सिंह ने सरकार के भ्रष्ट चेहरे को लगभग बेनकाब कर दिया. राजनीतिक दांवपेंच के इस खेल में अजय सिंह ने अपनी पार्टी के अंदरूनी विरोधियों को जो फोटो फिनिश मात दी उसे देखने के लिए प्रदेश भर के तमाम राजनीतिक योद्धा सदन में मौजूद थे और खचाखच भरे विधानसभा सदन के हरे कालीन पर उस वक्त बिजली सी कौंध गई जब नेता प्रतिपक्ष ने कैलाश विजय वर्गीय को गली के गुंडे की तरह दुत्कार दिया. राजनीतिक शह और मात के इस खेल में एक साथ कई मोर्चों पर फतह की दुंदुभि बज रही थी. विधानसभा में विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ 36 मामलों को आधार बनाकर अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था.
लेकिन सरकार के हस्तक्षेप के बाद चर्चा को वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों के बाद के घटनाक्रम तक ही सीमित कर दिया गया. अजय सिंह ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने वर्ष 2008 के चुनावों में चुनकर आई सरकार पर लगे आरोपों तक बहस सीमित करके सरकार के कई भ्रष्टाचारों पर पर्दा डालने का काम किया है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ही मार्गदर्शन में काम करती रही है इसलिए तमाम मुद्दों पर बहस होनी चाहिए. पर संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने संसदीय प्रक्रियाओं का हवाला देते हुए कहा कि जब सदन का अवसान हो जाता है तो उस कार्यकाल की तमाम बातें भी समाप्त हो जाती हैं इसलिए पुराने मुद्दों पर अविश्वास प्रस्ताव के दौरान चर्चा नहीं होनी चाहिए.
अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी इन दलीलों को मान गए और उन्होंने चर्चा को केवल 2008 तक ही सीमित कर दिया. चार दिनों तक अविश्वास प्रस्ताव पर सदन के तमाम सदस्यों ने अपने विचार रखे. सरकार के मंत्रियों ने अपने अपने विभागों पर लगे आरोपों के जवाब देने की कोशिश की लेकिन मुख्यमंत्री ने आरोपों के विधिवत जवाब दिए बगैर अपनी सरकार की उपलब्धियों का बखान किया. ये एक तरीके से अजय सिंह को अपनी राजनीतिक यात्रा में सफल होने का अवसर देने जैसा भी कदम था. नेता प्रतिपक्ष ने छत्तीस बिंदुओं पर अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था पर चर्चा केवल सत्रह पर ही हो सकी.मुख्यमंत्री ने इनमें से दो आरोप स्वीकार कर लिए, पांच के जवाब दिए लेकिन एक आरोप का भी खंडन नहीं किया. मुख्यमंत्री का कहना था कि चूंकि मंत्रिगण जवाब दे चुके हैं इसलिए उन्हें उन बिंदुओं पर कुछ कहने की जरूरत नहीं है.अजय सिंह की मांग थी कि इन आरोपों की जांच के लिए सरकार को किसी रिटायर जज की अध्यक्षता में बनी कमेटी से जांच करानी चाहिए. चार दिनों तक चली ये बहस मध्यप्रदेश में अविश्वास प्रस्ताव पर अब तक की सबसे लंबी चर्चा थी, जिसमें सरकार के तमाम कार्यों का राजनीतिक नजरिए से विश्लेषण किया गया था.
बहस में सरकार की ओर से दिए गए जवाब में मंत्रियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान में विश्वास जताते हुए अपने विभाग पर लगे आरोपों के जवाब दिए. कुछ मंत्रियों और विधायकों ने जवाब देने के बजाए नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की पारिवारिक पृष्ठभूमि का छिद्रान्वेषण किया और खुद को मुख्यमंत्री का स्वामिभक्त बताने की कोशिश की. राजनीतिक रूप से आगे निकलने की इस होड़ के बीच कई राजनीतिक चालबाजियां भी खेली गईं. इसमें सबसे बड़ा खेल दिग्विजिय सिंह के करीबी रणनीतिकार खेल रहे थे. दिग्विजय समर्थकों के सहयोग से महापौर, विधायक और मंत्री बनकर प्रदेश की व्यापारिक राजधानी इंदौर में सफलता की नई ऊंचाईयां छूने वाले कैलाश विजय वर्गीय ने इस बहस में जो दांव खेला वह उनके ही गाल पर राजनीतिक तमाचा बनकर लौटा. फूट की शिकार मध्यप्रदेश कांग्रेस में सबसे बड़ा दिग्विजय सिंह का खेमा इस राजनीति में यह लक्ष्य साधकर चल रहा था कि ये अविश्वास प्रस्ताव कहीं अजय सिंह को पार्टी का सर्वमान्य नेता न बना दे, इसीलिए इस खेमे ने अजय सिंह का मानमर्दन करने के लिए बड़ा ओछा पांसा फेंका.
बहस में सरकार की ओर से दिए गए जवाब में मंत्रियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान में विश्वास जताते हुए अपने विभाग पर लगे आरोपों के जवाब दिए. कुछ मंत्रियों और विधायकों ने जवाब देने के बजाए नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की पारिवारिक पृष्ठभूमि का छिद्रान्वेषण किया और खुद को मुख्यमंत्री का स्वामिभक्त बताने की कोशिश की. राजनीतिक रूप से आगे निकलने की इस होड़ के बीच कई राजनीतिक चालबाजियां भी खेली गईं. इसमें सबसे बड़ा खेल दिग्विजिय सिंह के करीबी रणनीतिकार खेल रहे थे. दिग्विजय समर्थकों के सहयोग से महापौर, विधायक और मंत्री बनकर प्रदेश की व्यापारिक राजधानी इंदौर में सफलता की नई ऊंचाईयां छूने वाले कैलाश विजय वर्गीय ने इस बहस में जो दांव खेला वह उनके ही गाल पर राजनीतिक तमाचा बनकर लौटा. फूट की शिकार मध्यप्रदेश कांग्रेस में सबसे बड़ा दिग्विजय सिंह का खेमा इस राजनीति में यह लक्ष्य साधकर चल रहा था कि ये अविश्वास प्रस्ताव कहीं अजय सिंह को पार्टी का सर्वमान्य नेता न बना दे, इसीलिए इस खेमे ने अजय सिंह का मानमर्दन करने के लिए बड़ा ओछा पांसा फेंका.
अपने विभाग पर लगे आरोपों के जवाब में उद्योग मंत्री कैलाश विजय वर्गीय ने नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को निशाना बनाया. उन्होंने पूर्व केन्द्रीय मंत्री और देश के शीषस्थ कांग्रेसी नेता अर्जुनसिंह के बेटे अजय सिंह पर आरोप लगाया कि वे मुंह में सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए हैं और अपने अलावा किसी को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते. उनका कहना था कि चूंकि शिवराज सिंह चौहान एक गरीब किसान परिवार में पैदा हुए हैं और आज वे सफल मुख्यमंत्री बनकर सामने आए हैं इसीलिए ईर्ष्यावश उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. उन्होंने कहा कि अजय सिंह के परिवार में तो चार पीढ़ी से राजनीति हो रही है. अब तो उनकी चौथी पीढ़ी के किस्से भी सामने आने लगे हैं. नेता प्रतिपक्ष का बेटा मुंबई में किसके साथ क्या .........कर रहा है उसकी भी खबरें सामने आने लगी हैं.बेटे के चरित्र पर की गई टिप्पणी से सदन में हंगामा मच गया. विपक्ष ने इस टिप्पणी को वापस लेने और मंत्री को खेद प्रकट करने का दबाव बनाया.इस पर विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने ये टिप्पणी सदन की कार्यवाही से निकालवा दी और श्री कैलाश विजय वर्गीय को खेद प्रकट करने के लिए मजबूर भी किया. इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ये शब्द सदन की कार्यवाही से विलोपित न कराए जाएं ताकि आने वाली पीढि़यां इसे पढ़कर जान सकें कि भाजपा के मंत्रीगण किस तरह ओछी टिप्पणियां करते रहे हैं. मुख्यमंत्री के भाषण के बाद नेता प्रतिपक्ष को अपनी बात कहने का अवसर मिलता है.
इस अवसर का लाभ उठाते हुए अजय सिंह ने इंडिया अगेन्स्ट करप्शन से जुड़े कवि कुमार विश्वास की सुनाई घटना का उल्लेख किया कि कुछ समय पहले कुमार विश्वास ने इंदौर के एक व्यक्ति के बदले हुलिए का कारण जानना चाहा कि तुम पहले तो फटेहाल थे अब सोने की घड़ी, मंहगे कपड़े और सोने का चश्मा कहां से पहिनते हो तो उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि वो कुछ नहीं कर करता वो तो कैलाश का पट्ठा है. श्री अजय सिंह ने कहा कि जिस तरह इंदौर में कैलाश विजय वर्गीय ने भूमाफिया के दम पर अपने पट्ठों की फौज खड़ी कर दी है उस तरह यदि पूरे प्रदेश के लोग समृद्ध बन जाएं तो उन्हें कोई शिकायत नहीं रहेगी. सरस्वती शिशु मंदिर के स्कूली शिक्षक से अरबपति खनिज माफिया बने सुधीर शर्मा नाम के व्यक्ति के आडी यू कार में घूमने तक की कहानी सुनाकर नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि सरकार के संरक्षण में कई भाजपाई करोड़पति बन गए हैं और खनिजों की रायल्टी चुराकर प्रदेश के खजाने को चूना लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यदि प्रदेश के सभी शिक्षक इतने अमीर बन जाएं तो उन्हें कोई शिकायत नहीं रहेगी.
इस आरोप के जवाब में कैलाश विजय वर्गीय ने अजय सिंह पर सामंती सोच रखने का आरोप लगाया था. जवाब में अजय सिंह ने कहा कि सरकार के वरिष्ठ मंत्री ने मुझे नेता प्रतिपक्ष की तरह संबोधित नहीं किया बल्कि अपने भाषण में सात बार राहुल भैया कहकर संबोधित किया. उनके भाषण से अहंकार की बू आ रही थी, जो कि सदन की मर्यादा के खिलाफ था. यदि सरकार के मंत्री का ये बर्ताव है तो कल कोई यदि मुझसे पूछे कौन कैलाश और मैं इसके जवाब में कहूं वही केलास इंदौर वाला. उन्होंने ये वाक्य किसी गली के गुंडे को दुत्कारने वाली शैली में कहा.नेता प्रतिपक्ष की ये ललकार इतनी तीखी थी कि कैलाश विजयवर्गीय उठकर लगभग चेतावनी देने वाले अंदाज में कहने लगे कि मैं इसका जवाब जरूर दूंगा, पर विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने बीचबचाव करके बहस को शांत कराया.
इस संवाद के माध्यम से अजय सिंह अपने विरोधियों को डपटने में भी पूरी तरह सफल रहे. मुख्यमंत्री की मौजूदगी में उन्होंने मंत्रियों के जवाब की जो धज्जियां उड़ाईं उससे निरुत्तर होते हुए अपने नेताओं को देखकर सदन में मौजूद भाजपा विधायकों का मनोबल भी लड़खड़ा गया. राहुल अजय सिंह एक तरह से सत्तारूढ़ दल के विधायकों में अपने नेताओं के प्रति अविश्वास के बीज बोने में कामयाब रहे.
इस संवाद के माध्यम से अजय सिंह अपने विरोधियों को डपटने में भी पूरी तरह सफल रहे. मुख्यमंत्री की मौजूदगी में उन्होंने मंत्रियों के जवाब की जो धज्जियां उड़ाईं उससे निरुत्तर होते हुए अपने नेताओं को देखकर सदन में मौजूद भाजपा विधायकों का मनोबल भी लड़खड़ा गया. राहुल अजय सिंह एक तरह से सत्तारूढ़ दल के विधायकों में अपने नेताओं के प्रति अविश्वास के बीज बोने में कामयाब रहे.
उन्होंने खुद को सदन के नेता प्रतिपक्ष के रूप में स्थापित भी किया. नेता प्रतिपक्ष पद के एक अन्य दावेदार चौधरी राकेश सिंह भी अजय सिंह के साथ कदमताल करते नजर आए. सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर विपक्ष ने मत विभाजन की मांग रखी और प्रस्ताव के पक्ष में जिन 63 विधायकों ने अपना समर्थन दिया उनमें बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, और निर्दलीय विधायक भी शामिल थे.इस तरह से तेरहवीं विधानसभा का ये शीतकालीन सत्र विपक्ष को एकजुट करने में कामयाब रहा. इस सत्र ने नेता प्रतिपक्ष को कांग्रेस के सर्वमान्य नेता के रूप में भी स्थापित कर दिया.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने भाषण में कहा कि वे सशक्त विपक्ष के पक्षधर हैं और वे नेता प्रतिपक्ष को सलाह देना चाहते हैं कि वे बेडरूम में बैठकर आरोपपत्र न तैयार करें बल्कि प्रदेश भर में घूमघूमकर जनता से संवाद करें. जो काम नियम विरुद्ध पाए जाएंगे सरकार उन पर सख्त कार्रवाई करेगी. इसके जवाब में श्री अजय सिंह ने कहा कि वे मध्यप्रदेश की नौकरशाही का सम्मान करते हैं और उनके पास जो दस्तावेज आए हैं वे नौकरशाही के पास भी हैं. इसलिए उन्हें कतई खारिज नहीं किया जा सकता. बाद में चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार उन पर लगे आरोपों का जवाब नहीं दे पाई है इसलिए वे प्रदेश भर का दौरा करेंगे और सरकार का भ्रष्ट चेहरा उजागर करेंगे.
लंबे समय से ऊहापोह में भटक रही मध्यप्रदेश कांग्रेस को अजय सिंह के रूप में जो एक सर्वमान्य नेता मिला है ये इस अविश्वास प्रस्ताव की सबसे बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है. भ्रष्ट सरकार देकर कांग्रेस को मटियामेट करने वाले दिग्विजय सिंह जैसे बंटाढार नेता से निजात पाने का ये अनुष्ठान निश्चित रूप से भविष्य में मध्यप्रदेश कांग्रेस को मजबूती प्रदान करेगा. स्पष्ट बहुमत से शासन कर रही भाजपा के लिए ये प्रस्ताव पहले भी कोई खतरा नहीं था पर अब उसके लिए ये भविष्य के खतरे की घंटी जरू बन गया है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने भाषण में कहा कि वे सशक्त विपक्ष के पक्षधर हैं और वे नेता प्रतिपक्ष को सलाह देना चाहते हैं कि वे बेडरूम में बैठकर आरोपपत्र न तैयार करें बल्कि प्रदेश भर में घूमघूमकर जनता से संवाद करें. जो काम नियम विरुद्ध पाए जाएंगे सरकार उन पर सख्त कार्रवाई करेगी. इसके जवाब में श्री अजय सिंह ने कहा कि वे मध्यप्रदेश की नौकरशाही का सम्मान करते हैं और उनके पास जो दस्तावेज आए हैं वे नौकरशाही के पास भी हैं. इसलिए उन्हें कतई खारिज नहीं किया जा सकता. बाद में चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार उन पर लगे आरोपों का जवाब नहीं दे पाई है इसलिए वे प्रदेश भर का दौरा करेंगे और सरकार का भ्रष्ट चेहरा उजागर करेंगे.
लंबे समय से ऊहापोह में भटक रही मध्यप्रदेश कांग्रेस को अजय सिंह के रूप में जो एक सर्वमान्य नेता मिला है ये इस अविश्वास प्रस्ताव की सबसे बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है. भ्रष्ट सरकार देकर कांग्रेस को मटियामेट करने वाले दिग्विजय सिंह जैसे बंटाढार नेता से निजात पाने का ये अनुष्ठान निश्चित रूप से भविष्य में मध्यप्रदेश कांग्रेस को मजबूती प्रदान करेगा. स्पष्ट बहुमत से शासन कर रही भाजपा के लिए ये प्रस्ताव पहले भी कोई खतरा नहीं था पर अब उसके लिए ये भविष्य के खतरे की घंटी जरू बन गया है.