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ग्वालियर। तीन दिन की जांच के बाद पुलिस की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा [ईओडब्ल्यू] ने सहकारी समितियों के तीन अफसरों सहित आठ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। इस कार्रवाई में करोड़ों की संपत्तिका राज उजागर हुआ है। साथ में अफसरों के बैंक खातों में लाखों रुपये का लेनदेन उजागर हुआ है। इसके बावजूद भी सहकारी बैंक ने अभी तक अपने अफसरों के खिलाफ किसी किस्म की कार्रवाई नहीं की है।
इस बारे में ईओडब्ल्यू के एसपी ओपी मित्ताल ने बताया कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अधिकारियों व चार्टर्ड एकाउंटेंट सहित आठ के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। इसमें कालीचरण गौतम के साथ उनके पुत्र शातिशरण गौतम, भग्गूराम खिरेश्वर [सेवानिवृत्ता], मुकेश माथुर, द्वारिका प्रसाद शर्मा उनके भाई शीतल प्रसाद शर्मा व चार्टर्ड एकाउंटेंट राजेश गुप्ता व कपिल आहूजा के खिलाफ धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120 बी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया है। ब्यूरो को जांच के दौरान शातिशरण गौतम की रामेश्वर शिक्षा प्रसार समिति के नाम पर रायरू में लगभग 12 बीघा जमीन के दस्तावेज मिले हैं। इस भूमि की कीमत करीब दो करोड़ रुपये बताई गई है। यह जमीन चंदा लेने से पहले खरीदी गई थी। छापे में चार्टर्ड एकाउंटेंट के यहा से चंदे की रसीदें भी जब्त की गई हैं, जो फर्जी तौर से बनाई गई हैं। इसके अलावा चीनौर बैंक के दो खातों में 35 लाख रुपये का हिसाब भी मिला है। द्वारिका प्रसाद के दो खातों में 84 लाख रुपये का हिसाब मिला है।
इस जांच के बाद जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की चीनौर शाखा में ऋण वितरण व माफी दोनों की ही प्रक्रिया संदिग्ध हो गई है। ईओडब्ल्यू की छापामार कार्रवाई में बैंक के जो दस्तावेज जब्त हुए हैं, उनसे घोटाले को लेकर बैंक के उच्च प्रबंधन की मंशा भी सवालों के घेरे में आ गई है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इस मामले में बैंक प्रबंधन के अधिकारी बात करने को तैयार नहीं है व न ही घोटाला करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
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