मूवी रिव्यू : नफरत से भरे प्यार की कहानी 'इशकज़ादे'
मुंबई। चुनावी परिदृश्य पर बनी यशराज फिल्मस की
'इशकज़ादे' उत्तरप्रदेश के अलमोर इलाके के दो दबंग खानदानों की कहानी है।
जो कि चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं। इन दोनो परिवारों के दो युवाओं ने
चुनाव की कमान संभालें हुएं हैं जिसमें जोया यानि परिणिती चोपड़ ने कुरैशी
खानदान के चुनाव प्रचार की बागडोर संभाल रखी है तो वहीं परमा यानि अर्जुन
कपूर ने चौहान खानदा कीं बागडोर को थामें रखा है। चुनावी दृश्यों के बीच
जोया और परमा के बीच इश्क की चिंगारी में आखिर आग लग ही जाती है और उन्हें
इस बीच प्यार हो जाता है।
डायलॉग राइटर हबीब फैसल ने 'इशकज़ादे' में बहुत ही स्ट्रांग करेक्टर्स
और सीन क्रिएट किए है। जोया बोल्ड लड़की है जो बैखोफ वाणी में लोगों को
मोहने में सफल रही है तो दूसरी और वो बेहद गुस्सैल लड़की है। उसका गुस्सा
इतना है हमेशा उसके सिर पर बंदूक तनी रहती है। वही परमा आवारा और दिलेर
लड़का है जो बदले के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए हमेशा तैयार रहता है।
नफरत और इश्क के ये दो रंग परिणिती चोपड़ा और अर्जुन कपूर ने खूब दिखाए।
खासकर परिनीति की एक्टिंग की तो दाद देनी पड़ेगी।
इस फिल्म में हबीब ने देहात से शहर में बदलते इलाके की मामूली से मामूली
बारीकियां को बखूभी दिखाया है। फिल्म के एक सीन में बेटा मुंह नहीं खोलता
जब दादा उसकी मां को गोली मार देता है। और इसके साथ ही तवायफ के नाच के लिए
जेनरेटर और डीजल के जुगाड़, बात-बात पर गोली चलने...और खानदानी इज्जत के
लिए मर मिट जाने के जॉबाज दृश्य आपको सी ठेठ यूपी की उन गलियों के नजारों
में ले जाएंगे जहां इस फिल्म के नायक और नायिका का इश्क परवान चढ़
इश्कज़ादे का रूपल लेता है।
संगीत/डायलॉग्स
फिल्म में अमित त्रिवेदी का कर्णप्रिय संगीत आपका बोर नहीं होने देता इस
बीच इसी संगीत के बीच फैसल के मजेदार डायलॉग्स आपको गुदगुदाएंगे भी और
हंसाएंगे भी।
हालांकि सेकेंड हाफ की केमिस्ट्री फिल्म में थोड़ी स्लो दिखलाई पड़ती है इस बीच गोलीबारी के लम्बे सीन्स और पुलिस का नदारद होना थोड़ा असमंजस में जरुर डाल दे पर फिल्म का क्लाईमेक्स दिल की गहराई मे जाकर झकझोर देता है जो कि इश्कज़ादे के नायक और नायिका की प्रेम कहानी का अटूट रिश्ता पेश करता है।