Friday, May 25, 2012

भारत को डसता आरक्षण का नाग

(डा. शशि तिवारी)
संविधान निर्माता बाबा भीमराव अम्बेडकर ने सपने में भी कभी नहीं सोचा होगा जिस दलित पिछडे, दबे-कुचलों के लिए जीवन भर संघर्ष कर संविधान में विशेष प्रावधानों का उपयोग कर इन्हें मुख्यधारा में लाने का जो संकल्प किया था आज उसी का दुरूपयोग उन्हीं के अनुयायी अम्बेडकर के नाम पर अपनी-अपनी निहितार्थों की रोटियां सेंकने में मशगूल होंगे। आज आरक्षण प्राप्त एक अभिजात्य वर्ग सांसद, मंत्री, विधायक आई..एस., प्रोफेसर, इंजीनियर, डाॅक्टर एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारी तीन पीढियों से आरक्षण पर अपना एकाधिकार जमाए बैठा है। अब ये वास्तविकों का हक मार उन्हें मुख्य धारा में आने से रोकने के लिए उच्च वर्ग की तरह व्यवहार कर रहा है। उसे डर है कि कही ये आरक्षण का मीठा फल उससे छिन न जायें?
वैसे देखा जाए भारत कई वर्षों तक गुलाम रहा इसलिए यहां के लोग प्रेम की भाषा कम और भय की भाषा ज्यादा समझते है? तथाकथित नेताओं ने स्वतंत्रता के बाद इन 65 वर्षों में विभिन्न जाति समुदायों को जोड़ने का कम तोड़ने का ही ज्यादा काम किया है। इन्हें दंडित कौन करेगा? समतामूलक समाज की जगह विषमतामूलक समाज नित नई समस्याओं को राष्ट्र के सामने खडा कर रहा है जिससे न केवल देश की प्रगति रूक रही है बल्कि देश, जाति, धर्म के ही चक्रव्यूह में बुरी तरह उलझ सा गया है। फिर बात चाहे अनुसूचित जाति/जनजाति/पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक के नाम पर केवल सवर्ण जाति धर्म की ही क्यों न हो?

आरक्षण का यह जिन्न हाल ही में आया निर्णय सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के. एस. राधाकृष्णन और दीपक मिश्रा की खण्डपीठ ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण न देने के फैसले को बसपा सुप्रीमों बहिन मायावती ने अनुचित बताया। न्यायालय के अनुसार पदोन्नति में आरक्षण तभी दिया जा सकता है जब इसकी जरूरत को जायज ठहराने के लिए समुचित आंकड़े और प्रमाण हो।
सुप्रीम अदालत के इस फैसले से आरक्षण के औचित्य पर एक नई बहस छिड गई है। मसलन आरक्षण क्यों? किसे? कैसे? कब तक? भारत का संविधान क्या कहता है? सर्वोच्च न्यायालय क्या करता है? आरक्षण प्राप्त और वंचित कितने? आंकड़ो पर कार्य करने से अब तक क्यों बचते रहे? आरक्षण के अलावा अन्य विकल्प क्या है? राजनीतिक पार्टियों, जाति के ठेकेदार यदि अनुचित संविधान विरूद्ध बात कर जनता को भड़काता है तो कौन जवाबदेह होगा? आदि-आदि हाल ही में न्यायालय ने एक नेता को भडकाऊ भाषण देने पर 3 वर्ष की सजा सुनाई। गरीब दलितो के नाम पर धनाढ्य दलित कब तक महत्वपूर्ण पदों पर कब्जा बनाए रखेगा? जवाबदेह कौन? आरक्षण की वकालत करने वाले ठेकेदार इस मुद्दे पर मौन क्यों
 
आरक्षण का सही अर्थ उस ‘‘वर्ग का प्रतिनिधित्व हैं।’’ आरक्षण प्रत्येक को नही दिया जा सकता। डाॅ. अम्बेडकर का कहना था कि दलितों के बुद्धिजीवियों को समाज को उठाने के लिए जो सक्रिय भूमिका निभाना चाहिए नही निभा रहे हैं और इस तरह से वह अपने दलित भाईयों से दूर होते जा रहे है। आरक्षण को दलितों के लिए गरीबोत्थान का कार्यक्रम नहीं समझा जाना चाहिए। टाॅप दलित ब्यूरोक्रेट समाज से कटते जा रहे है। यही कारण है कि आज 65 वर्षों में भी गांव के दलित समाज में कोई भारी परिवर्तन नहीं आया है।

 जब तक इन कड़वे मुद्दों पर खुले एवं स्वस्थ्य मन से सभी के बीच चर्चा नहीं होगी तब तक आरक्षण का राग अलापना कोरी बेमानी होगा। अब तो नित नई जातियां आरक्षण की श्रेणी में खुद को लाने के लिए उग्र आंदोलन भी कर रही है फिर बात चाहे जाट आंदोलन की ही क्यों न हो? यहां मुझे बाबा साहब अम्बेडकर पुनः याद आ रहे हैं। 8 अगस्त 1930 को शोषित वर्ग के सम्मेलन में अम्बेडकर ने कहा था ‘‘हमें अपना रास्ता स्वयं बनाना होगा और स्वयं राजनीतिक शक्ति शोषितों की समस्या का निवारण नहीं हो सकती, उनका उद्धार समाज में उनका उचित स्थान पाने में निहित हेैं। उनको अपना बुरा रहने का, बुरा तरीका बदलना होगा, उनको शिक्षित होना चाहिए।’’ एक बडी आवश्यकता उनकी हीनता की भावना को झकझौरने और उनके अंदर उस दैवीय असंतोष की स्थापना करने की है जो सभी ऊंचाईयों की सौगात हैं। समता मूलक समाज कैसे बनेगा? विशेष के नाम पर भेद कब तक? अब तो संविधान का अनुच्छेद 14 अनुच्छेद 16 भावना का विपरीत जान पडता है जहां अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समता राज्य भारत के राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति को निधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करे गये अर्थात् समानता की बात करता है। वही अनुच्छेद 16 (1) (2) (3) भी लोक नियोजन के विषय में अवसर समता की बात करता है तो 16 (4) राज्य को पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग के पक्ष में जिनका प्रतिनिधित्व राज्य की राय में राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त नहीं है, नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिए उपबंध करने से निर्धारित नहीं करेगी। 16 (4 ) राज्य के अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के पक्ष में जिनका प्रतिनिधित्व राज्य की राय में राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त नहीं है। राज्य के अधीन सेवाओं में सी किसी वर्ग या वर्गों के पदों पर अनुवर्ती वरिष्ठता सहित प्रोन्नति के मामलों में आरक्षण के लिए उपबंध करने से निर्धारित नहीं होगी। 
 
16 (4 ) इस अनुच्छेद की बात राज्य को किसी एक वर्ष में न भरी गई रिक्तियां जिसे उक्त वर्ष में आरक्षित किया गया था। खण्ड (4 ) में उपबंधों के अंतर्गत आरक्षण के किसी उपबंध के अनुसार उस वर्ष भरे जाने के लिए आरक्षित किया गया था। खण्ड (4) के अंतर्गत पृथक रिक्तियां मानी जावेगी और अगले वर्ष या वर्षों में भरा जाएगा। वक्त आ गया है कि संविधान के अनुच्छेद 16(4) से आंकडों के आधार पर न केवल तर्क संगत बनाने, एक बार सुविधा प्राप्त लोगों को इस श्रेणी से बाहर रखने समाज के अंतर्गत व्यक्ति को इस सुविधा का लाभ मिलने के लिये, संशोधन के लिए कानूनविदों, जनप्रतिनिधियों की उच्च स्तरीय समिति बना आवश्यक संशोधन की पहल करना होगी। तब कहीं जाकर बाबा अम्बेडकर का समता मूलक समाज का निर्माण का सपना पूरा होगा।

CCH ADD

CCH ADD
CCH ADD

dhamaal Posts

जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

ANI NEWS INDIA

‘‘ANI NEWS INDIA’’ सर्वश्रेष्ठ, निर्भीक, निष्पक्ष व खोजपूर्ण ‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया ऑनलाइन नेटवर्क’’ हेतु को स्थानीय स्तर पर कर्मठ, ईमानदार एवं जुझारू कर्मचारियों की सम्पूर्ण मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले एवं तहसीलों में जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / पंचायत स्तर पर क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों / संवाददाताओं की आवश्यकता है।

कार्य क्षेत्र :- जो अपने कार्य क्षेत्र में समाचार / विज्ञापन सम्बन्धी नेटवर्क का संचालन कर सके । आवेदक के आवासीय क्षेत्र के समीपस्थ स्थानीय नियुक्ति।
आवेदन आमन्त्रित :- सम्पूर्ण विवरण बायोडाटा, योग्यता प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार के स्मार्ट नवीनतम 2 फोटोग्राफ सहित अधिकतम अन्तिम तिथि 30 मई 2019 शाम 5 बजे तक स्वंय / डाक / कोरियर द्वारा आवेदन करें।
नियुक्ति :- सामान्य कार्य परीक्षण, सीधे प्रवेश ( प्रथम आये प्रथम पाये )

पारिश्रमिक :- पारिश्रमिक क्षेत्रिय स्तरीय योग्यतानुसार। ( पांच अंकों मे + )

कार्य :- उम्मीदवार को समाचार तैयार करना आना चाहिए प्रतिदिन न्यूज़ कवरेज अनिवार्य / विज्ञापन (व्यापार) मे रूचि होना अनिवार्य है.
आवश्यक सामग्री :- संसथान तय नियमों के अनुसार आवश्यक सामग्री देगा, परिचय पत्र, पीआरओ लेटर, व्यूज हेतु माइक एवं माइक आईडी दी जाएगी।
प्रशिक्षण :- चयनित उम्मीदवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण भोपाल स्थानीय कार्यालय मे दिया जायेगा, प्रशिक्षण के उपरांत ही तय कार्यक्षेत्र की जबाबदारी दी जावेगी।
पता :- ‘‘ANI NEWS INDIA’’
‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया नेटवर्क’’
23/टी-7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, प्रेस काम्पलेक्स,
नीयर दैनिक भास्कर प्रेस, जोन-1, एम. पी. नगर, भोपाल (म.प्र.)
मोबाइल : 098932 21036


क्र. पद का नाम योग्यता
1. जिला ब्यूरो प्रमुख स्नातक
2. तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / हायर सेकेंडरी (12 वीं )
3. क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
4. क्राइम रिपोर्टरों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
5. ग्रामीण संवाददाता हाई स्कूल (10 वीं )

SUPER HIT POSTS

TIOC

''टाइम्स ऑफ क्राइम''

''टाइम्स ऑफ क्राइम''


23/टी -7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, जोन-1,

प्रेस कॉम्पलेक्स, एम.पी. नगर, भोपाल (म.प्र.) 462011

Mobile No

98932 21036, 8989655519

किसी भी प्रकार की सूचना, जानकारी अपराधिक घटना एवं विज्ञापन, समाचार, एजेंसी और समाचार-पत्र प्राप्ति के लिए हमारे क्षेत्रिय संवाददाताओं से सम्पर्क करें।

http://tocnewsindia.blogspot.com




यदि आपको किसी विभाग में हुए भ्रष्टाचार या फिर मीडिया जगत में खबरों को लेकर हुई सौदेबाजी की खबर है तो हमें जानकारी मेल करें. हम उसे वेबसाइट पर प्रमुखता से स्थान देंगे. किसी भी तरह की जानकारी देने वाले का नाम गोपनीय रखा जायेगा.
हमारा mob no 09893221036, 8989655519 & हमारा मेल है E-mail: timesofcrime@gmail.com, toc_news@yahoo.co.in, toc_news@rediffmail.com

''टाइम्स ऑफ क्राइम''

23/टी -7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, जोन-1, प्रेस कॉम्पलेक्स, एम.पी. नगर, भोपाल (म.प्र.) 462011
फोन नं. - 98932 21036, 8989655519

किसी भी प्रकार की सूचना, जानकारी अपराधिक घटना एवं विज्ञापन, समाचार, एजेंसी और समाचार-पत्र प्राप्ति के लिए हमारे क्षेत्रिय संवाददाताओं से सम्पर्क करें।





Followers

toc news