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बैतूल // रामकिशोर पंवार
लोभ - लालच में गरीब वर्ग घर बैठे लखपति बनने के चक्कर में अपने पास का जमा एवं कर्जे पर उस सब्जबाग का शिकार बनने के बाद जब ठगा हुआ पुलिस के पास पहुंचता है तो वहां पर पुलिस उनकी रिर्पोट पर कार्रवाई करने के बजाय फर्जीवाड़े में लगे लोगो की आवाभगत में ऐसे मशगुल हो जाती है कि उन्हे पता ही नहीं चलता कि उनके दरवाजे पर कोई फरियाद लेकर भी आया है। कोयलाचंल पाथाखेड़ा में आयुष इलेक्ट्रीकल्र्स एण्ड इलेक्ट्रानिक्स टेक्रालाजी प्रायवेट लिमीटेड नामक एक कंपनी ने स्वंय भारत सरकार के कंपनी रजिस्ट्रार कार्यालय ग्वालियर से पंजीकृत करवाया है लेकिन पंजीयन प्रमाण पत्र में किसी भी जवाबदेह अधिकारी के सिल एवं साइन नहीं है।
4 अक्टुबर 2012 को को कंपनी पंजीकरण अधिनियम की धारा 1956 के तहत स्वंय को पंजीकृत करवाने वाले इस कंपनी के पंजीयन प्रमाण पत्र पर भारत सरकार का प्रतिक चिन्ह जरूर है लेकिन पंजीयक के हस्ताक्षर एवं मोहर न होने से कंपनी ने स्वंय का फर्जीवाड़ा उजागर कर दिया है। कंपनी ने अपने पते में आजाद वार्ड पाथाखेड़ा का पता अंकित किया है लेकिन आयकर विभाग में कंपनी का पता किसी संतोषदास पिता श्यामलदास एलआईजी 55 सबरी काम्लेक्स एम पी नगर भोपाल बताया गया है। आयकर में कपंनी के संचालक ने 31 मार्च मार्च 2011 एवं 12 में पेश आयकर रिर्टन में दर्ज पते पर कंपनी का संचालक स्वंय को भोपाल का निवासी बताता है वहीं दुसरी ओर 17 नवम्बर को आयुष इलेक्ट्रीकल्र्स एण्ड इलेक्ट्रानिक्स टेक्रालाजी प्रायवेट लिमीटेड नामक कंपनी की ओर संतोषदास पिता श्यामलदास ने आजाद नगर पाथाखेड़ा जिला बैतूल के पते पर आयकर रिर्टन भरा है। सवाल यह उठता है कि जब कंपनी 4 अक्टुबर 2012 को पंजीकृत हुई है तब वह वर्ष 2009 से बिना पंजीयन के ही काम कर रही थी।
आय से अधिक मुनाफा का लालच देकर वर्ष 2009 से काम कर रही कंपनी ने स्वंय का पंजीयन तीन साल बाद ग्वालियर से करवाना बताया जिससे कंपनी के फर्जीवाड़े का पता चलता है। इसके पूर्व भी पाथाखेड़ा में आकाश टे्रडिंग कंपनी इसी प्रकार का लोगो को लालच का लालीपाप देकर ठगी का शिकार बना चुकी है हालांकि उस समय सिर्फ कंपनी के संचालक आकाश सिंह के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज किया गया था शेष सभी आरोपियों को पुलिस विभाग द्वारा ले देकर बचा लिया गया था।
इस कंपनी के खिलाफ दक्षिण भारत सहित विदेशी कंपनी ने स्वंय का साफ्टवेयर इंटरनेट से डाऊनलोड़ कर उसकी चोरी की एक रिर्पोट सीबीआई को दी थी जिसकी सीबीआई ने जांच तो की लेकिन उस समय सीबीआई भी करोड़ो के साफ्टवेयर की चोरी के मामले में ले देकर शांत हो गई। सीबीआई ने साफ्टवेयर की चोरी के मामले को साइबर सेल का मामला बता कर अपना पल्ला झाड़ लिया था। सवाल यह उठता है कि बरसो से एक कंपनी इंटरनेट से साफ्टवेयर की चोरी करके उसे अपनी कंपनी के नाम से पंजीकृत करवा कर बाजार में बेच रही है लेकिन साइबर सेल से लेकर लोकल पुलिस तक इंतजार कर रही है कि ठोस प्रमाण के साथ ठगी के शिकार व्यक्तियों की सामुहिक शिकायते हो तब जाकर वह मामले की जांच करेगी। सबसे बेहद चौकान्ने वाला तथ्य यह है कि जौनपुर एवं गोरखपुर उतरप्रदेश एक कंपनी संभव बीपीओ सर्विस से व्यवसायिक साझेदारी का अनुबंध पत्र 8 अक्टुबर 2009 को हुआ है लेकिन कंपनी का अनुबंध पत्र में दर्ज मोबाइल, ,फोन नम्बर गलत है तथा एक मोबाइल नम्बर सहारा इंडिया के लखनऊ पत्रकार संजय अग्रवाल के नाम पर दर्ज है। दो अन्य मोबाइल नम्बर स्थसी रूप बंद है तथा नम्बर भी गलत बता रहे है।
सवाल यह उठता है कि इतने बड़े फर्जीवाड़े के बारे में अनेकोबार समाचार पत्रो में खबरे प्रकाशित हुई लेकिन पुलिस पूरे मामले में चुप्पी साधे रही। अगर जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन का फर्जी कंपनियों के प्रति यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब किसी प्रकार की अप्रिय घटना जन्म ले लेगी वैसे भी सूदखोरो एवं साहुकारो की प्रताडऩा के चलते बैतूल जिले में दर्जनो आत्महत्याए हो चुकी है। हाल ही में बैतूल जिला मुख्यालय पर एक व्यक्ति ने सूदखोर की प्रताडऩा से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी।