भोपाल. गुना जिले के आदिम जाति कल्याण विभाग के संयोजक एलआर मीणा से पिछले साल 5 जनवरी को आईएएस अफसर आशीष उपाध्याय ने रिश्वत में पांच लाख रूपए और महिला उपलब्ध कराने की मांग की थी। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष मानक अग्रवाल ने शनिवार को उक्त आरोप लगाया है !
अग्रवाल ने 25 अक्टूबर 2012 को अवर सचिव आदिम जाति कल्याण विभाग कमला अजीतवार के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि आदेश में कहा गया है कि एलआर मीणा ने विभाग को दिए लिखित कथन में कहा कि आयुक्त आदिवासी विकास आशीष उपाध्याय ने 5 जनवरी 2012 को शिवपुरी में उनसे पांच लाख रूपए और महिला उपलब्ध कराने की मांग की थी, जिसकी पूर्ति नहीं होने पर उनके द्वारा मीणा का स्थानांतरण और निलंबन करवाया गया। कांग्रेस ने आदेश की प्रति भी मीडिया को दी।
इस मामले में अग्रवाल ने कहा कि इतना संगीन आरोप लगने के बाद भी सरकार ने उपाध्याय की जांच नहीं करवाई, जबकि ऎसे मामलों में अधिकारियों को बर्खास्त करने की कार्रवाई की जानी चाहिए थी।
उधर, आशीष उपाध्याय ने कहा कि एलआर मीणा के खिलाफ चार जांचें विभाग में चल रही हैं। मीणा के जाति पमाण पत्र की भी जांच लंबित है। इन जांचों के चलते ही उन्होंने निराधार आरोप लगाए हैं। और उन्होंने अपनी सफाई में सीएस को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि मीणा द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं। उपाध्याय ने पत्र में लिखा है कि मीणा की हर पदस्थापना के दौरान मुख्यालय को उनकी अनियमितताओं और कदाचरण की शिकायतें मिलती रही हैं। अनुसूचित जनजाति विकास निगम ने सिर्फ मीणा के कथनों के आधार पर एक पक्षीय आदेश जारी किया है।
अग्रवाल ने 25 अक्टूबर 2012 को अवर सचिव आदिम जाति कल्याण विभाग कमला अजीतवार के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि आदेश में कहा गया है कि एलआर मीणा ने विभाग को दिए लिखित कथन में कहा कि आयुक्त आदिवासी विकास आशीष उपाध्याय ने 5 जनवरी 2012 को शिवपुरी में उनसे पांच लाख रूपए और महिला उपलब्ध कराने की मांग की थी, जिसकी पूर्ति नहीं होने पर उनके द्वारा मीणा का स्थानांतरण और निलंबन करवाया गया। कांग्रेस ने आदेश की प्रति भी मीडिया को दी।
इस मामले में अग्रवाल ने कहा कि इतना संगीन आरोप लगने के बाद भी सरकार ने उपाध्याय की जांच नहीं करवाई, जबकि ऎसे मामलों में अधिकारियों को बर्खास्त करने की कार्रवाई की जानी चाहिए थी।
उधर, आशीष उपाध्याय ने कहा कि एलआर मीणा के खिलाफ चार जांचें विभाग में चल रही हैं। मीणा के जाति पमाण पत्र की भी जांच लंबित है। इन जांचों के चलते ही उन्होंने निराधार आरोप लगाए हैं। और उन्होंने अपनी सफाई में सीएस को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि मीणा द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं। उपाध्याय ने पत्र में लिखा है कि मीणा की हर पदस्थापना के दौरान मुख्यालय को उनकी अनियमितताओं और कदाचरण की शिकायतें मिलती रही हैं। अनुसूचित जनजाति विकास निगम ने सिर्फ मीणा के कथनों के आधार पर एक पक्षीय आदेश जारी किया है।