(आकाश कुमार)
toc news internet channal
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में 2003 से लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार काबिज है। भाजपा में यशस्वी निजाम शिवराज सिंह चौहान ने बड़े ही जतन के साथ जनकल्याणकारी योजनाएं बनाई और उन्हें लागू किया। शिवराज की योजनाएं आज लोगों की जुबान पर हैं, पर चुनावी साल में शिवराज सिंह चौहान के गण अचानक ही निष्क्रिय नजर आ रहे हैं। लगने लगा है मानो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राज्य की प्रशासनिक कमान संभाल ली हो और सारे सरकारी मुलाजिम उनके कहने पर ही शिवराज सिंह चौहान के साथ ही साथ भाजपा संगठन से भी दूरी बनाने में लग गए हों।
दिल्ली में पदस्थ एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि यह घोर आश्चर्य और आपत्तिजनक है कि वर्ष 2012 में गणतंत्र दिवस पर मध्य प्रदेश की झांकी शामिल ना की गई हो। और तो और इस साल तो हद ही हो गई है। मध्य प्रदेश की ओर से गणतंत्र दिवस पर झांकी का ना तो प्रस्ताव आया और ना ही किसी ने सुध ली।
उन्होंने कहा कि झांकी की तैयारी के लिए मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग की क्षेत्रीय प्रचार इकाई जी पूरी तरह जवाबदेह है, जिसकी कमान सुरेश तिवारी के हाथों में है। इसके अलावा प्रदेश के मुख्य सचिव का कार्यालय और आवासीय आयुक्त दिल्ली का कार्यालय इसके लिए जवाबदेह है।
मजे की बात तो यह है कि इस साल ना तो कोई वीर बच्चे को मध्य प्रदेश कोटे से पुरूस्कार मिला और ना ही कोई कल्चरल टीम ने ही गणतंत्र दिवस पर अपनी भागीदारी दी है दिल्ली में। यह वाकई अपने आप में अजब और अनोखा माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि अधिकारियों का मन भारतीय जनता पार्टी से भर चुका है और अधिकारी अब भाजपा से निजात पाना चाह रहे हैं।
उक्त अधिकारी ने साई न्यूज से चर्चा के दौरान यह भी कहा कि क्या भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों को यह नहीं लग रहा है कि आखिर एक साथ मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव सहित वीर बच्चों के प्रस्ताव ना भेजने पर गृह विभाग, कलाकारों की टीम ना भेजने पर संस्कृति विभाग और सबसे महत्वपूर्ण झांकी ना भेजने पर जनसंपर्क विभाग अचानक ही असहयोगात्मक रवैए में कैसे आ गया है?
उक्त अधिकारी ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को संकेत दिए कि प्रदेश में देखा जाए तो दिग्विजय ंिसह के मुख्यमंत्री रहते हुए जो अधिकारी उनके सचिवालय अथवा निवास कार्यालय में पदस्थ थे, वे आज भी मलाईदार पदों पर पदस्थ हैं जिससे आप स्थिति का सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह के मुख्मयंत्रित्व काल में उनके सचिवालय में पदस्थ रहे अनेक अधिकारी एक बार फिर सक्रिय हो चुके हैं। शिवराज सिंह की प्रशासनिक सर्जरी की संभावनाओं के बाद भी उनके चेहरों पर चिंता की लकीरें नहीं हैं। इसका कारण यह है कि 2013 में राजा दिग्विजय ंिसह का वनवास पूरा हो रहा है और एक बार फिर ये अधिकारी भाजपा के बजाए कांग्रेस को सत्तारूढ़ होता देख रहे हैं। संभवतः यही कारण है कि अब चंद मीडिया पर ही अफसरों का ध्यान है जबकि सोशल मीडिया में सरकार के प्रति तल्खी बढ़ती जा रही है। (साई)