जानिए, क्या है लोकपाल बिल में
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नई दिल्ली। लोकपाल बिल बुधवार को लोकसभा में पारित हो गया। बिल राज्यसभा में मंगलवार को ही पास हो गया था। अब बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बिल कानून का रूप ले लेगा। इसके लिए अन्ना हजारे ने कई बार अनशन किया तब जाकर ये हकीकत बन पाया। जानिए क्या है लोकपाल बिल और ये कैसे भ्रष्टाचार को रोकने में कारगर होगा।
1.लोकायुक्त
बिल में प्रावधान है कि 365 दिन के भीतर राज्यों में लोकायुक्तों का गठन करना होगा। राज्यों को लोकायुक्तों की प्रकृति और प्रकार की स्वतंत्रता दी गई है।
क्या था पुराने बिल में
राज्यों की सहमति के बाद ही कानून लागू होगा। केन्द्र सरकार को राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति का अधिकार दिया गया था, जबकि नए बिल में यह अधिकार राज्यों को दिया गया है।
2.लोकपाल का संविधान
लोकपाल में एक चेयरमैन और अधिकतम आठ सदस्य होंगे। इनमें से चार न्यायिक सदस्य होंगे। चार अन्य सदस्य एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों और महिलाओं में से होने चाहिए।
यह था पुराने बिल में
चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय के मौजूदा या पूर्व न्यायाधीश या गैर न्यायिक सदस्य को बनाने की बात कही गई थी।
3.लोकपाल का चयन
लोकपाल का चयन करने वाली समिति में प्रधानमंत्री, विपक्ष का नेता, लोकसभा अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल होंगे। समिति का पांचवा सदस्य एमिनेंट जयूरी श्रेणी से होगा। पांचवे सदस्य को राष्ट्रपति या चयन समिति के पहले चार सदस्यों की सिफारिश पर नामित किया जा सकता है।
यह था पुराने बिल में
पुराने बिल में पांचवे सदस्य का चयन पूरी तरह राष्ट्रपति पर छोड़ दिया गया था।
4.धार्मिक संगठन और ट्रस्ट
नए बिल में उन सोसायटियों और ट्रस्ट को शामिल किया गया है जो जनता से पैसा लेते हैं। विदेशी स्त्रोतों से फंडिंग लेते हैं या जिनकी आय का स्तर एक निश्चित सीमा से ज्यादा होगा।
यह था पुराने बिल में
इसमें पब्लिक सर्वेट की परिभाषा का विस्तार किया गया था। लोकपाल के दायरे में उन सोसायटियों और ट्रस्ट को लाया गया था जो जनता से दान लेते हैं। उन संगठनों को भी लोकपाल के दायरे में लाया गया था जिनको विदेशी चंदा (10 लाख से ऊपर) प्राप्त होता है।
5.अभियोजन
जांच रिपोर्ट पर विचार के बाद ही किसी मामले में चार्जशीट दाखिल की जा सकेगी। लोकपाल की अभियोजन शाखा होगी या लोकपाल संबंधित जांच एजेंसी को विशेष अदालतों में अभियोजन चलाने के लिए कह सकता है।
पुराने बिल में यह था
इसमें लोकपाल की अभियोजन शाखा को ही किसी मामले में अभियोजन चलाने का अधिकार दिया गया था।
6.सीबीआई
अभियोजन के लिए निदेशालय स्थापित होगा। निदेशक की नियुक्ति के लिए सीवीसी की सिफारिश के आधार पर होगी। लोकपाल जिन मामलों की जांच के लिए सीबीआई को कहेगा,उस जांच में शामिल अधिकारियों का ट्रांसफर लोकपाल की मंजूरी के बाद ही होगा। जिन मामलों की जांच सीबीआई को दी जाएगी उनकी लोकपाल निगरानी करेगा।
7.प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री भी लोकपाल के दायरे में होंगे।
8.सुनवाई
नए बिल में प्रावधान है कि लोकपाल के फैसले से पहले सरकारी कर्मचारी की भी बात सुनी जाएगी।
9.जांच
इनक्वायरी 60 दिन में और जांच 6 महीने में पूरी होनी चाहिए। सरकारी कर्मचारी का पक्ष सुनने के बाद ही लोकपाल जांच का आदेश देगा। प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच कैमरे के सामने होगी। पीएम के खिलाफ जांच तभी होगी जब लोकपाल की बैंच के दो तिहाई सदस्य मंजूरी देंगे।
10.पैनल्टी
बिल में झूठी और फर्जी शिकायतें करने वालों को एक साल की सजा और एक लाख रूपए के जुर्माने का प्रावधान है। सरकारी कर्मचारियों के लिए सात साल की सजा का प्रावधान है। आपराधिक कदाचार और आदतन भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले को दस साल की सजा होगी।
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नई दिल्ली। लोकपाल बिल बुधवार को लोकसभा में पारित हो गया। बिल राज्यसभा में मंगलवार को ही पास हो गया था। अब बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बिल कानून का रूप ले लेगा। इसके लिए अन्ना हजारे ने कई बार अनशन किया तब जाकर ये हकीकत बन पाया। जानिए क्या है लोकपाल बिल और ये कैसे भ्रष्टाचार को रोकने में कारगर होगा।
1.लोकायुक्त
बिल में प्रावधान है कि 365 दिन के भीतर राज्यों में लोकायुक्तों का गठन करना होगा। राज्यों को लोकायुक्तों की प्रकृति और प्रकार की स्वतंत्रता दी गई है।
क्या था पुराने बिल में
राज्यों की सहमति के बाद ही कानून लागू होगा। केन्द्र सरकार को राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति का अधिकार दिया गया था, जबकि नए बिल में यह अधिकार राज्यों को दिया गया है।
2.लोकपाल का संविधान
लोकपाल में एक चेयरमैन और अधिकतम आठ सदस्य होंगे। इनमें से चार न्यायिक सदस्य होंगे। चार अन्य सदस्य एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों और महिलाओं में से होने चाहिए।
यह था पुराने बिल में
चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय के मौजूदा या पूर्व न्यायाधीश या गैर न्यायिक सदस्य को बनाने की बात कही गई थी।
3.लोकपाल का चयन
लोकपाल का चयन करने वाली समिति में प्रधानमंत्री, विपक्ष का नेता, लोकसभा अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल होंगे। समिति का पांचवा सदस्य एमिनेंट जयूरी श्रेणी से होगा। पांचवे सदस्य को राष्ट्रपति या चयन समिति के पहले चार सदस्यों की सिफारिश पर नामित किया जा सकता है।
यह था पुराने बिल में
पुराने बिल में पांचवे सदस्य का चयन पूरी तरह राष्ट्रपति पर छोड़ दिया गया था।
4.धार्मिक संगठन और ट्रस्ट
नए बिल में उन सोसायटियों और ट्रस्ट को शामिल किया गया है जो जनता से पैसा लेते हैं। विदेशी स्त्रोतों से फंडिंग लेते हैं या जिनकी आय का स्तर एक निश्चित सीमा से ज्यादा होगा।
यह था पुराने बिल में
इसमें पब्लिक सर्वेट की परिभाषा का विस्तार किया गया था। लोकपाल के दायरे में उन सोसायटियों और ट्रस्ट को लाया गया था जो जनता से दान लेते हैं। उन संगठनों को भी लोकपाल के दायरे में लाया गया था जिनको विदेशी चंदा (10 लाख से ऊपर) प्राप्त होता है।
5.अभियोजन
जांच रिपोर्ट पर विचार के बाद ही किसी मामले में चार्जशीट दाखिल की जा सकेगी। लोकपाल की अभियोजन शाखा होगी या लोकपाल संबंधित जांच एजेंसी को विशेष अदालतों में अभियोजन चलाने के लिए कह सकता है।
पुराने बिल में यह था
इसमें लोकपाल की अभियोजन शाखा को ही किसी मामले में अभियोजन चलाने का अधिकार दिया गया था।
6.सीबीआई
अभियोजन के लिए निदेशालय स्थापित होगा। निदेशक की नियुक्ति के लिए सीवीसी की सिफारिश के आधार पर होगी। लोकपाल जिन मामलों की जांच के लिए सीबीआई को कहेगा,उस जांच में शामिल अधिकारियों का ट्रांसफर लोकपाल की मंजूरी के बाद ही होगा। जिन मामलों की जांच सीबीआई को दी जाएगी उनकी लोकपाल निगरानी करेगा।
7.प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री भी लोकपाल के दायरे में होंगे।
8.सुनवाई
नए बिल में प्रावधान है कि लोकपाल के फैसले से पहले सरकारी कर्मचारी की भी बात सुनी जाएगी।
9.जांच
इनक्वायरी 60 दिन में और जांच 6 महीने में पूरी होनी चाहिए। सरकारी कर्मचारी का पक्ष सुनने के बाद ही लोकपाल जांच का आदेश देगा। प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच कैमरे के सामने होगी। पीएम के खिलाफ जांच तभी होगी जब लोकपाल की बैंच के दो तिहाई सदस्य मंजूरी देंगे।
10.पैनल्टी
बिल में झूठी और फर्जी शिकायतें करने वालों को एक साल की सजा और एक लाख रूपए के जुर्माने का प्रावधान है। सरकारी कर्मचारियों के लिए सात साल की सजा का प्रावधान है। आपराधिक कदाचार और आदतन भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले को दस साल की सजा होगी।