एक अखबार है,सॉध्य कालीन " प्रदेश टु डे", मुख्यमंत्री जी की भी नजर पडती है,राजधानी के अधिकारियों की भी रोज नजर पड़ती है, पत्रकार बन्धुओं की भी, राजधानी के हर चौराहे मैं 8 से 10 वर्ष की उम्र के बच्चे इस अखबार का बन्डल टॉगे हर चौराहे पर गिड़गिड़ा कर अखबार बेचते हैं, तुन्तु किसी को भी ये बाल श्रम नजर नहीं आता। शायद ये रसूखदारों की बात हो। अखबार मालिक और मोटा होता जा रहा है, इन बच्चों का रक्त चूस चूस कर,,, कृपा कर के अॉखों पर चढ़ा चश्मा उतारिये, इन बरबाद होते नौनिहालों को बचाइये, इनका बचपन संवारिये,,,,जागिये,, हरकत में आइये,,,
भ्रष्ट अधिकारियों को कुछ नही दिखता और जनता को कोई मतलब नही बालश्रम कानून का पालन राजधानी में न होना इस बात को दर्शाता है की शिवराज सरकार को क्षेत्र के अधिकारी उल्लू बना रहें है....
भ्रष्ट अधिकारियों को कुछ नही दिखता और जनता को कोई मतलब नही बालश्रम कानून का पालन राजधानी में न होना इस बात को दर्शाता है की शिवराज सरकार को क्षेत्र के अधिकारी उल्लू बना रहें है....