Friday, May 22, 2015

रिपोर्टिंग के दौरान कैसे करें – पीटूसी (पीस टू कैमरा)

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हमारे देश में इस वक्त सैकड़ों की तादाद में न्यूज़ चैनल हैं। हजारों रिपोर्टर हैं। पहले केवल राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल्स की ही तूती बोला करती थी, अब क्षेत्रीय न्यूज चैनल भी बहुत मजबूत हो गए हैं। आर्थिक मोर्चे पर भी, तकनीकी मोर्चे पर भी और मानव संसाधन के मोर्चे पर भी। ठीक से कहें तो मीडिया जगत में बड़ी तेजी से विस्तार हुआ है। लेकिन इस बदलते वक्त में रिपोर्टिंग भी चुनौती पूर्ण होती जा रही है। प्रतिस्पर्धा बढ़ने के चलते एक संवाददाता को अपनी खबरें बिल्कुल अलग और बेहतरीन अंदाज़ में पेश करनी होती है।

जो जनता तक ना केवल सहज तरीके से अपना मैसेज पहुंचा सके, बल्कि उनके दिल पर छाप भी छोड़ सके।हमारे पास तकनीक तो पहुंच रही है, लेकिन दूर-दराज़ के संवाददाता उतनी कुशलता के साथ रिपोर्टिंग नहीं कर पाते, जितनी चैनल के दफ्तर में बैठे असाइनमेंट और आउटपुट एडिटर को जरूरत होती है। इसकी कई वजह हैं। कहीं रिपोर्टर तकनीकी और एडिटोरियल लिहाज से कुशल नहीं होता, कहीं रिपोर्टिंग के दौरान भय का साया रहता है, तो कहीं झिझक आड़े आ जाती है।

और जब बात पीटीसी यानी पीस टू कैमरा की आती है तो हालत और खराब हो जाती है। इसकी मुख्य वजह निम्नहैं –

1.ठीक है काम चल जाएगा – ये हमारे देश के 60 फीसदी संवाददाताओं में पाई जाने वाली बीमारी है। काम टालने वाली प्रवृतिके चलते संवाददाता पीटीसी देने  से बचते हैं।
2.मुझे छपास में नहीं पड़ना- ये अक्सर संवाददाताओं को कहते सुना जा सकता है।  जिसके चलते वो कैमरे के सामने कम आना चाहते।

3.मैं बोलने में एक्सपर्ट नहीं हूं – जब राष्ट्रीय और
अंतर्राष्ट्रीय चैनल्स के संवाददाता साथ हों, या बड़े पत्रकार साथ हों, तो बहुत से रिपोर्टर पीटीसी से बचते हैं।

4.मेरा चेहरा ज्यादा आकर्षक नहीं – कुछ संवाददाता जिनको कुदरत ने थोड़ा कम सुन्दर बनाया है, वो इस तरह की बातें ज्यादा सोचते हैं। और फेस के चलते पीटीसी देने से बचते हैं।लेकिन चूंकि आप टीवी रिपोर्टर हैं। जनता तक आपको बात पहुँचानी है। अपनी नौकरी भी संभालनी है। तो करना ही पड़ेगा।लिहाजा कुछ का कुछ हो जाता है। कई बार कुछ पत्रकार मजाक भी बन जाते हैं। लेकिन हम उन संवाददाताओं को बेहतरीन पीटीसी देने लायक बनाने के लिये कुछ टिप्स दे रहे हैं। ताकि वो विजुअल मीडिया में अपनी पहचान मजबूत बना सकें।पीटीसी यानी पीस टू कैमरा के जरिये दर्शकों तक अपनी बात ज्यादा प्रभाव और रौचकता के साथ पहुंचायी जा सकती है।

आमतौर पर किसी टीवी कार्यक्रम या रिपोर्ट के लिये संवाददाता तीन तरह की पीटीसी करते हैं

1.ओपनिंग पीटीसी(खबर की शुरूआत)- जिसमें संवाददाता अपनी खबर की शुरुआत जनता के सामने रखता है।
2.मिड(ब्रिज)पीटीसी– ये पीटीसी स्टोरी के बीच के स्थान की पूर्ति के लिये की जाती है। अमूमन ये बाइट्स कम होने या स्टोरी को हल्का सा टर्न देने के काम आती है।

3.क्लोजिंग पीटीसी– ये पीटीसी किसी न्यूज स्टोरी को कनक्लूजन तक पहुंचाने के काम आती है। इसके जरिये रिपोर्टर साइनिंग ऑफ भी करता है।संपादकीय टीम की जरूरत और अपनी समझ से रिपोर्टर किसी भी तरह की पीटीसी कर सकता है।

लेकिन कैमरे के सामने आने से पहले तकनीकी तौर पर कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। मसलन-

1.सबसे पहले अपने पहनावे पर ध्यान देना चाहिए। अपनी ओर से सब कुछ ठीक है, ऐसा कहने से कुछ ठीक नहीं होने वाला। चैनल की साख आपसे जुड़ी है।लिहाजा अपनी पोशाक की शालीनता परखनी चाहिए।किसी की मौत पर पीटीसी करते वक्त ओवर फैशन आपकी छवि बिगाड़ सकता है।

2.पीटीसी के वक्त आदर्श परिस्थितियां नहीं हो सकती हैं।फिर भी लाइट्स का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अगर संवाददाता के पीछे (बैकलाइट) लाइट ज्यादा है, तो उसे भरने के लिये सामने से लाइट (फिललाइट) का इस्तेमाल या सफेद रंग के पेपर को काम में लेकर संवाददाता के चेहरे पर परछाई कम की जा सकती है।स्थान बदलने पर विचार किया जा सकता है।

3.अपने शर्ट का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। प्लेन शर्ट हो तो बेहतर है। शर्ट के एक हाथ का बाजू ऊपर चढ़ा रखा है,  तो दूसरे हाथ का भी चढ़ा लें। वर्ना फुल स्लीव में रहेंगे, तो बेहतर दिखेगा। किसी फैशन इवेंट या स्पोर्ट्स इवेंट को कवर करते वक्त टी शर्ट अच्छा साबित हो सकती है। अगर आप टी शर्ट में ठीक नजर आते हों तो ही।

4.कैमरा चालू करने से पहले कैमरा स्क्रीन पर अपनी प्रजेंस देख लें। मतलब फ्रेमिंग ठीक तो है। वर्ना बाद में पछताना पड़ सकता है।पीटीसी के दौरान मूवमेंट है, तो कैमरामेन को पहले से बता दें। पहले और आखिरी स्टेप तक कैमरे पर एक बार परख लें। वैसे मूविंग पीटीसी का खास मकसद होना चाहिये, वरना पीटीसी एक स्थान पर खड़े होकर ही करनी चाहिये। जैसे आपको किसी स्थान को एक छोर से दूसरे छोर तक दिखाना है, तभी ऐसा करना चाहिये।

5.कैमरे पर जाने से पहले अपने बाल और शर्ट का कोलर ज़रूर देखें। क्योंकि अक्सर ये आपको शर्मिंदा कर सकते हैं।

6.जब आप कैमरे पर हों तो एक बार कैमरामेन को आवाज़ का परीक्षण (ऑडियो टेस्ट) करने के लिये ज़रूर कहें, क्योंकि क्लियर साउण्ड रिकॉर्डिंग के अभाव में आपका सब किया धरा का धरा रह जाएगा।

7.पीटीसीके दौरान आपकी आँखें सिर्फ कैमरे पर होनी चाहिये। इधर-उधर देखने वाली स्थिति में आपके दर्शकों का ध्यान उसी दिशा में जाएगा। किसी ओर इंगित करने के लिये ऐसा किया जा सकता है। लेकिन ठीक उसी वक्त कैमरा भी उसी दिशा में मूव करना चाहिये, वर्ना ये आपके लिये घातक साबित हो सकता है।कैमरा चालू होने से पहले ये सारी बातें आपको बहुत सहुलियत दे सकती हैं।

लेकिन असली मुद्दा है, आपकी संपादकीय समझ का  जो पीटीसी में बहुत काम आती है।

1.जो बातें आपने अपनी रिपोर्ट में शामिल कर दी हैं या एन्करइन्ट्रो में शामिल हैं, वो अपनी पीटीसी में शामिल नहीं करें। इससे रिपीटेशन होगा। जो बोरिंगहोता है।लिहाजा पीटीसी में कुछ अलग बातें होनी चाहिए।

2.रिपोर्ट को नेचुरल बनाने के लिये विषय से जुड़ी चीजों से सीधे जुड़कर बात करने चाहिए। जैसे पेट्रोल की कीमतों पर पीटीसी करते वक्त पेट्रोल पंप पररिफ्यूलर और कार के पास खड़े होकर उनकी ओर हाथ से इशारा करते हुए पीटीसी करनी चाहिये। राजनीतिक पीटीसी करते वक्त बैकग्राउण्ड में राजनीतिक दल का दफ्तर, बैनर या उनसे जुड़ी संवैधानिक संस्था के भवन को रखा जा सकता है।

3.पीटीसी के वक्त आपके भाव बहुत काम करते हैं। मसलन मौत पर पीटीसी  के दौरान थोड़ा नरम रवैय्या और खेल से जुड़ी खबर पर ज्यादा चुस्ती दिखाना पीटीसी में प्रभाव डालता है। रक्षा जगत से जुड़ी पीटीसी में बुलंद आवाज़ बहुत मायने रखती है।

4.पीटीसी करने से पहले लिखना अच्छी बात है। लेकिन उसे कैमरे पर पढ़ना बहुत बुरी। मुख्य प्वाइंट्स याद रख लेना चाहिये। जो सिलसिले वार वर्णितकर देना चाहिये।

5.शायरी, कविता की पंक्तियां पीटीसी में नई जान डालने का काम करती हैं, अगर वो आपके विषय से इत्तेफ़ाक रखती हों। बिना मतलब इनका इस्तेमाल काम खराब कर सकता है।

6.पीटीसी बेहद आसान और शालीन भाषा में होनी चाहिए। जैसे आप अपने दोस्त से बात कर रहे हों। भीड़ और शोरगुल हो तो अपनी आवाज़ तेज की जा सकती है। ये बातें आपकी रिपोर्टिंग को सुधारने में कुछ कारगर साबित हो सकती हैं

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जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

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