शलभ भदौरिया की अधिमान्यता समाप्त
03 जून 2015 Toc News @ Bhopal
भोपाल. आज मध्य प्रदेश जनसम्पर्क संचालनालय भोपाल में अधिमान्यता समिति की बैठक हुई बैठक में मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रांताध्यक्ष शलभ भदौरिया की अधिमान्यता निलम्बित कर दी. वही राधा वल्लभ शारदा की निलम्बित अधिमान्यता को बहाल कर दी गई है..
ज्ञात हो पत्रकार शलभ भदौरिया, विष्णु वर्मा पर धारा 120 बी, 420, 467, 468, 471 भादवि में मामला ई.ओ.डब्ल्यू. में पंजीबध्द प्रकरण राज्य आर्थिक अनवेषण ब्यूरो भोपाल में प्रकरण क्रमांक 0506 पंजीयन दिनांक 23.2.06 को दर्ज हुआ था। प्रकरण का घटना स्थल पत्रकार भवन रह
प्रकरण में फरियादी गुलाबसिंह राजपूत थाना प्रभारी रा.आ.अप. अन्वेषण ब्यूरो भोपाल रहे जिसमें संदेही आरोपी शलभ भदौरिया एवं विष्णु वर्मा विद्रोही है जिसकी विवेचना 30.10.2007 को पूर्व कर पुलिस अधीक्षक सुधीर लाड़ ब्यूरो इकाई भोपाल ने की थी ब्यूरो में पंजीबध्द प्रकरण में श्रमजीवी पत्रकार मासिक पत्र का आर.एन.आई. प्रमाण पत्र क्र. 327672 दिनांक 12.8.72 दिया वह स्पूतनिक तेलगू पाक्षिक राजमून्दरी आंध्र प्रदेश का पाया गया था।
उक्त प्रमाण फर्जी पत्र के आधार पर शलभ भदौरिया( एवं विष्णु वर्मा विद्रोही ने डाक पंजीयन कराकर जनवरी 2003 से अगस्त 2003 तक 34.755 रु. का अवैध रूप से आर्थिक लाभ लिया।
बुक पोस्ट की दरों में वृध्दि के कारण राशि 1,40625 हुई। अत: प्रथम दृष्टा अंतर्गत धारा 120 बी, 420, 467, 468, 471 भादवि का दण्डनीय पाये जाने से प्रकरण पंजीबध्द किया गया। पत्र के संबंध्द में विष्णु वर्मा ने जानकारी दी कि श्रमजीवी पत्रकार की 4500 प्रतियां प्रतिमाह सदस्यों को भेजी जाती है। झूठे प्रमाण पत्र के आधार पर आरोपी शलभ भदौरिया एवं विष्णु वर्मा द्वारा सांठगांठ कर कूट रचना की। जप्त दस्तावेजों के आधार एवं शलभ भदौरिया एवं विष्णु वर्मा के द्वारा दिये दस्तावेज एवं मौखिक साक्ष्य के आधार पर आरोप पूर्ण रूप से सत्य पाये गये.
जनसम्पर्क विभाग की सक्रियता एवं नियमों का पालन करने के कारण विभाग ने समस्त समाचार पत्र पत्रिकाओं मासिक एवं साप्ताहिक को विज्ञापन नीति के परिपालन के लिये आर.एन.आई. प्रमाण पत्र मांगे तब श्रमजीवी पत्रकार मासिक पत्र के प्रमाण पत्र की प्रति विष्णु वर्मा द्वारा दी गई 15.5.2002 को जांच में पाया गया कि वर्ष 1999 से 2003 तक श्रमजीवी पत्रकार समाचार पत्र के प्रधान संपादक शलभ भदौरिया थे तथा इनके द्वारा कार्यालय कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी भोपाल, प्रवर अधीक्षक डाक घर भोपाल में भी शलभ भदौरिया द्वारा हस्ताक्षरित दस्तावेज प्रस्तुत किये। फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर आर्थिक लाभ प्राप्त कर भारत शासन के साथ धोखाधड़ी कर शासन को 1,74970 रुपये की आर्थिक क्षति की।
इस दौरान डाक शुल्क में छूट पाने के लिए उन्होंने एक दूसरी पत्रिका की पंजीकरण संख्या का इस्तेमाल किया। इस संबंध में शिकायत होने पर आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो ने प्राथमिक जांच के बाद प्रकरण दर्ज किया था। जांच में स्पष्ट हुआ कि भदौरिया और साथियों ने डाक शुल्क में छूट लेकर शासन को करीब दो लाख का चूना लगाया है। शलभ ने चालान पेश होने के बाद पहले अग्रिम जमानत कराई और अब नियमित जमानत पर है। मामला 120बी, 420, 467, 468, 471 भादवि धाराओं में दर्ज किया गया है।
मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ (एस) के नाम लिये लाखों के विज्ञापन और चैक
आरोप यह भी है कि जनसम्पर्क विभाग से स्मारिका के नाम पर भी भदौरिया ने एक वर्ष में कई बार विज्ञापन लिये और उनका भुगतान भी चैक से प्राप्त किया। जिसकी राशि लगभग रुपये चार लाख है।प्राप्त जानकारी में यह तथ्य निकल कर आया कि सारे चैक एमपी श्रमजीवी पत्रकार संघ एस के नाम पर तैयार किए गए जबकि इस नाम की कोई संस्था मध्यप्रदेश में है ही नहीं।
03 जून 2015 Toc News @ Bhopal
भोपाल. आज मध्य प्रदेश जनसम्पर्क संचालनालय भोपाल में अधिमान्यता समिति की बैठक हुई बैठक में मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रांताध्यक्ष शलभ भदौरिया की अधिमान्यता निलम्बित कर दी. वही राधा वल्लभ शारदा की निलम्बित अधिमान्यता को बहाल कर दी गई है..
ज्ञात हो पत्रकार शलभ भदौरिया, विष्णु वर्मा पर धारा 120 बी, 420, 467, 468, 471 भादवि में मामला ई.ओ.डब्ल्यू. में पंजीबध्द प्रकरण राज्य आर्थिक अनवेषण ब्यूरो भोपाल में प्रकरण क्रमांक 0506 पंजीयन दिनांक 23.2.06 को दर्ज हुआ था। प्रकरण का घटना स्थल पत्रकार भवन रह
प्रकरण में फरियादी गुलाबसिंह राजपूत थाना प्रभारी रा.आ.अप. अन्वेषण ब्यूरो भोपाल रहे जिसमें संदेही आरोपी शलभ भदौरिया एवं विष्णु वर्मा विद्रोही है जिसकी विवेचना 30.10.2007 को पूर्व कर पुलिस अधीक्षक सुधीर लाड़ ब्यूरो इकाई भोपाल ने की थी ब्यूरो में पंजीबध्द प्रकरण में श्रमजीवी पत्रकार मासिक पत्र का आर.एन.आई. प्रमाण पत्र क्र. 327672 दिनांक 12.8.72 दिया वह स्पूतनिक तेलगू पाक्षिक राजमून्दरी आंध्र प्रदेश का पाया गया था।
उक्त प्रमाण फर्जी पत्र के आधार पर शलभ भदौरिया( एवं विष्णु वर्मा विद्रोही ने डाक पंजीयन कराकर जनवरी 2003 से अगस्त 2003 तक 34.755 रु. का अवैध रूप से आर्थिक लाभ लिया।
बुक पोस्ट की दरों में वृध्दि के कारण राशि 1,40625 हुई। अत: प्रथम दृष्टा अंतर्गत धारा 120 बी, 420, 467, 468, 471 भादवि का दण्डनीय पाये जाने से प्रकरण पंजीबध्द किया गया। पत्र के संबंध्द में विष्णु वर्मा ने जानकारी दी कि श्रमजीवी पत्रकार की 4500 प्रतियां प्रतिमाह सदस्यों को भेजी जाती है। झूठे प्रमाण पत्र के आधार पर आरोपी शलभ भदौरिया एवं विष्णु वर्मा द्वारा सांठगांठ कर कूट रचना की। जप्त दस्तावेजों के आधार एवं शलभ भदौरिया एवं विष्णु वर्मा के द्वारा दिये दस्तावेज एवं मौखिक साक्ष्य के आधार पर आरोप पूर्ण रूप से सत्य पाये गये.
जनसम्पर्क विभाग की सक्रियता एवं नियमों का पालन करने के कारण विभाग ने समस्त समाचार पत्र पत्रिकाओं मासिक एवं साप्ताहिक को विज्ञापन नीति के परिपालन के लिये आर.एन.आई. प्रमाण पत्र मांगे तब श्रमजीवी पत्रकार मासिक पत्र के प्रमाण पत्र की प्रति विष्णु वर्मा द्वारा दी गई 15.5.2002 को जांच में पाया गया कि वर्ष 1999 से 2003 तक श्रमजीवी पत्रकार समाचार पत्र के प्रधान संपादक शलभ भदौरिया थे तथा इनके द्वारा कार्यालय कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी भोपाल, प्रवर अधीक्षक डाक घर भोपाल में भी शलभ भदौरिया द्वारा हस्ताक्षरित दस्तावेज प्रस्तुत किये। फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर आर्थिक लाभ प्राप्त कर भारत शासन के साथ धोखाधड़ी कर शासन को 1,74970 रुपये की आर्थिक क्षति की।
इस दौरान डाक शुल्क में छूट पाने के लिए उन्होंने एक दूसरी पत्रिका की पंजीकरण संख्या का इस्तेमाल किया। इस संबंध में शिकायत होने पर आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो ने प्राथमिक जांच के बाद प्रकरण दर्ज किया था। जांच में स्पष्ट हुआ कि भदौरिया और साथियों ने डाक शुल्क में छूट लेकर शासन को करीब दो लाख का चूना लगाया है। शलभ ने चालान पेश होने के बाद पहले अग्रिम जमानत कराई और अब नियमित जमानत पर है। मामला 120बी, 420, 467, 468, 471 भादवि धाराओं में दर्ज किया गया है।
मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ (एस) के नाम लिये लाखों के विज्ञापन और चैक
आरोप यह भी है कि जनसम्पर्क विभाग से स्मारिका के नाम पर भी भदौरिया ने एक वर्ष में कई बार विज्ञापन लिये और उनका भुगतान भी चैक से प्राप्त किया। जिसकी राशि लगभग रुपये चार लाख है।प्राप्त जानकारी में यह तथ्य निकल कर आया कि सारे चैक एमपी श्रमजीवी पत्रकार संघ एस के नाम पर तैयार किए गए जबकि इस नाम की कोई संस्था मध्यप्रदेश में है ही नहीं।