केदारनाथ राहत कार्यों में सामने आए कांग्रेसियो के करोड़ों के घोटाले!
ये खबर कोई अजूबा नहीं हे जहा का राजा चोर होता हे वहा के अधिकारी [,प्रजा ] चोरी करने से क्यों चुके...चोरी कांग्रेस के रग रग में रच बस गयी हे ..ये चोरी तभी रुकेगी जब ये नहीं रहेंगे...
केदारनाथ में लोग मरते रहे, और कोंग्रेसी अधिकारी मौज करते रहे!
केदारनाथ त्रासदी के बाद चलाए गए राहत कार्यों में बड़े घोटाले का खुलासा एक आरटीआई से हुआ है। ये सच सामने आया है कि हादसे के बाद यहां ड्यूटी पर लगाए गए एक-एक अधिकारी एक दिन में 900 रुपए का खाना खा गए, दिखाए गए खर्च के मुताबिक कोई दिन ऐसा नहीं था जब अधिकारियों ने चिकन- मटन खाने का बिल ना लगाया हो। होटलों में रहने का बिल एक दिन का 7-7 हजार रुपए का है।
केदारनाथ में जून 2013 में आई आपदा अफसरों के लिए कमाई का जरिया बन गई। लोग मरते रहे, मदद के लिए चीखते रहे लेकिन अफसर मौज करते रहे। लोग एक टुकड़ा रोटी और बूंद- बूंद पानी के लिए तरस रहे थे। तमाम लोग भूखे मर गए, किसी के सिर पर छत नहीं थी तो कोई ठंड से मर गया। लेकिन मदद के लिए भेजे गए अफसर इस त्रासदी को पिकनिक समझ बैठे थे।
अधिकारियों को लग रहा था कि मौज मस्ती का वक्त आ गया है और हुआ भी यही। जिस आपदा के लिए अफसरों को पैसा दिया गया वो अफसर इस पैसे से नॉनवेज खा रहे थे। होटलों में आराम फरमा रहे थे। हैरानी की बात ये है कि जिस पहाड़ पर स्कूटर से चढ़ना तो दूर की बात सोचना भी नामुमकिन है उस पहाड़ पर अधिकारी स्कूटर से लोगों को राहत पहुंचा रहे थे। जी हां यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है आरटीआई के जरिए।
आरटीआई से ये भी खुलासा हुआ है कि राहत कार्यों में इस्तेमाल एक हेलीकॉप्टर का बिल 90 लाख का है और सबसे ज्यादा अचंभे वाली बात है कि डीजल के जो बिल दिए गए उनमें दर्ज वाहनों के नंबर, स्कूटर के नंबर निकले जबकि स्कूटरों में डीजल भरवाया नहीं जा सकता और पहाड़ों पर उससे राहत सामग्री पहुंचाई नहीं जा सकती। राज्य सूचना आयोग ने इस मामले में करोड़ों के घपले की आशंका जाहिर की है।
ये खबर कोई अजूबा नहीं हे जहा का राजा चोर होता हे वहा के अधिकारी [,प्रजा ] चोरी करने से क्यों चुके...चोरी कांग्रेस के रग रग में रच बस गयी हे ..ये चोरी तभी रुकेगी जब ये नहीं रहेंगे...
केदारनाथ में लोग मरते रहे, और कोंग्रेसी अधिकारी मौज करते रहे!
केदारनाथ त्रासदी के बाद चलाए गए राहत कार्यों में बड़े घोटाले का खुलासा एक आरटीआई से हुआ है। ये सच सामने आया है कि हादसे के बाद यहां ड्यूटी पर लगाए गए एक-एक अधिकारी एक दिन में 900 रुपए का खाना खा गए, दिखाए गए खर्च के मुताबिक कोई दिन ऐसा नहीं था जब अधिकारियों ने चिकन- मटन खाने का बिल ना लगाया हो। होटलों में रहने का बिल एक दिन का 7-7 हजार रुपए का है।
केदारनाथ में जून 2013 में आई आपदा अफसरों के लिए कमाई का जरिया बन गई। लोग मरते रहे, मदद के लिए चीखते रहे लेकिन अफसर मौज करते रहे। लोग एक टुकड़ा रोटी और बूंद- बूंद पानी के लिए तरस रहे थे। तमाम लोग भूखे मर गए, किसी के सिर पर छत नहीं थी तो कोई ठंड से मर गया। लेकिन मदद के लिए भेजे गए अफसर इस त्रासदी को पिकनिक समझ बैठे थे।
अधिकारियों को लग रहा था कि मौज मस्ती का वक्त आ गया है और हुआ भी यही। जिस आपदा के लिए अफसरों को पैसा दिया गया वो अफसर इस पैसे से नॉनवेज खा रहे थे। होटलों में आराम फरमा रहे थे। हैरानी की बात ये है कि जिस पहाड़ पर स्कूटर से चढ़ना तो दूर की बात सोचना भी नामुमकिन है उस पहाड़ पर अधिकारी स्कूटर से लोगों को राहत पहुंचा रहे थे। जी हां यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है आरटीआई के जरिए।
आरटीआई से ये भी खुलासा हुआ है कि राहत कार्यों में इस्तेमाल एक हेलीकॉप्टर का बिल 90 लाख का है और सबसे ज्यादा अचंभे वाली बात है कि डीजल के जो बिल दिए गए उनमें दर्ज वाहनों के नंबर, स्कूटर के नंबर निकले जबकि स्कूटरों में डीजल भरवाया नहीं जा सकता और पहाड़ों पर उससे राहत सामग्री पहुंचाई नहीं जा सकती। राज्य सूचना आयोग ने इस मामले में करोड़ों के घपले की आशंका जाहिर की है।