Present by Toc News
भोपाल @अवधेश पुरोहित
यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान भारतीय जनता पार्टी के प्रादेशिक नेता राज्य की तमाम योजनाओं एवं बिजली खाद सहित कई योजनाओं के साथ केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए एक बार नहीं अनेकों बार धरने, रैलियां यात्राओं की नौटंकी की लेकिन सच्चाई यह है कि वर्तमान केन्द्र सरकार की तुलना में उस समय राज्य को जितनी राशि तमाम योजनाओं के लिए दी गई शायद इस समय इतनी नहीं मिल रही होगी। तभी तो मुख्यमंत्री यूपीए सरकार की तरह बार-बार प्रदेश की योजनाओं के लिए राशि लेने के लिए बार-बार दिल्ली में दस्तक दे रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें सफलता नहीं मिल रही है, यही वजह है कि प्रदेश की योजनाओं और जरूरी खर्च के लिए उन्हें बार-बार बाजार से कर्ज उठाना पड़ रहा है,
लेकिन यदि यूपीए सरकार के समय की तुलना करें तो उस समय भले ही सत्ता और संगठन में बैठे नेताओं ने केन्द्र की यूपीए सरकार को बदनाम करने के लिये रैलियों और धरने की नौटंकी की लेकिन हकीकत यह है कि उन्हें आज की तुलना उस समय प्रदेश को पर्याप्त धन मिला लेकिन उसका वह सही उपयोग नहीं कर सके, केन्द्र की तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा बुंदेलखण्ड की दशा सुधारने के लिये एक विशेष पैकेज दिया गया उसी पैकेज के एक हिस्से में से १०० करोड़ रुपए की राशि बुंदेलखण्ड के छ: जिलों में १२६९ नलजल योजनाओं का निर्माण किया गया था लेकिन प्रदेश में मंत्रियों, अधिकारियों सत्ता के दलालों और ठेकेदारों का जो रैकेट सक्रिय है उस रैकेट के चलते इन निर्माण कार्यों में गोलमाल कर यह राशि की लीपापोती कर दी गई।
इस बुंदेलखण्ड पैकेज में नलजल योजना के घोटाले की जांच जब हाईकोर्ट के निर्देश पर मुख्य सचिव ने पीएचई के मुख्य अभियंता जीएस डामोर की अध्यक्षता में जांच कराई गई तो जांच में यह पाया गया कि नलजल योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार हुआ डामोर ने यह जांच शासन को भेज दी है, छतरपुर जिले के घुवारा के सामाजिक कार्यकर्ता पवन घुवारा ने बुंदेलखण्ड के छ: जिलों पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, सागर और दतिया जिले के गांव में बुंदेलखण्ड पैकेज के नाम पर नलजल योजनाओं में हुए भ्रष्टाचार को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई थी इस याचिका के आधार पर कोर्ट ने मुख्य सचिव से जांच रिपेार्ट मंगवाई मुख्य सचिव ने पीएचई के प्रमुख अभियंता जीएस डामोर की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय दल का गठन किया गया इस दल ने बुंदेलखण्ड के छ: जिलों में १२६९ नलजल योजनाओं के निरीक्षण करने के बाद जो रिपोर्ट तैयार की है वह काफी चौंकाने वाली है सूत्रों के अनुसार इस रिपोर्ट में बताया गया कि ७८ प्रतिशत बुंदेलखण्ड पैकेज के तहत योजनाओं में जमकर भ्रष्टाचार हुआ,
स्थिति यह रही कि ९९६ योजनाएं शुरू ही नहीं हो पाई जबकि २७२ योजनाएं आंशिक रूप से चालू पाई गईं, बुंदेलखण्ड पैकेज की नलजल योजनाओं में करीब ७० करोड़ रुपये का गोलमाल होने का अनुमान इस टीम ने लगाया है, टीम द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि पन्ना में २८०, दमोह में २४९, छतरपुर में १५०, टीकमगढ़ में २००, सागर में ३५० और दतिया जिले के लिये ५८ योजनाएं स्वीकृत हुई थीं उनमें से आज एक भी योजना एसी नहीं है जो किसी गांव के निवासी को पानी पिलाकर उसकी प्यास बुझा रही हो इस योजना में नलजल योजनाओं में तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी एनके कश्यप ने लघु उद्योग निगम से जो सामग्री का क्रय किया था,
जांच में वह सामग्री घटिया और निम्न स्तर की पाई गई जांच के दौरान टीम ने यह भी पाया कि कई उपकरण ऐसे खरीदे गए जिनका उपयोग आज तक नहीं हो पाया है खास बात यह है कि इस योजना में पानी के स्त्रोत तैयार करने के पहले ही भ्रष्टाचार के स्त्रोत की शुरुआत हो गई और ५० करोड़ की सामग्री खरीद ली गई कुल मिलाकर इस योजना में जहां पीएचई के अधिकारी तो शामिल थे ही तो वहीं लघु उद्योग निगम भी इसमें शामिल हो गया। कुल मिलाकर मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के चलते ऐसी एक नहीं अनेकों योजनाएं हैं जिनमें जमकर भ्रष्टाचार हुआ है लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा के नेता प्रदेश के विकास को लेकर ढिंढौरा पीटते रहते हैं लेकिन इसकी जमीनी हकीकत यह है कि आज भी तत्कालीन यूपीए सरकार के द्वारा प्रदेश की एक नहीं अनेकों योजनाओं के लिए भरपूर धनराशि दी गई जिसका उपयोग संबंधित योजनाओं में नहीं बल्कि गोलमाल की भेंट चढ़ गई।
भोपाल @अवधेश पुरोहित
यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान भारतीय जनता पार्टी के प्रादेशिक नेता राज्य की तमाम योजनाओं एवं बिजली खाद सहित कई योजनाओं के साथ केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए एक बार नहीं अनेकों बार धरने, रैलियां यात्राओं की नौटंकी की लेकिन सच्चाई यह है कि वर्तमान केन्द्र सरकार की तुलना में उस समय राज्य को जितनी राशि तमाम योजनाओं के लिए दी गई शायद इस समय इतनी नहीं मिल रही होगी। तभी तो मुख्यमंत्री यूपीए सरकार की तरह बार-बार प्रदेश की योजनाओं के लिए राशि लेने के लिए बार-बार दिल्ली में दस्तक दे रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें सफलता नहीं मिल रही है, यही वजह है कि प्रदेश की योजनाओं और जरूरी खर्च के लिए उन्हें बार-बार बाजार से कर्ज उठाना पड़ रहा है,
लेकिन यदि यूपीए सरकार के समय की तुलना करें तो उस समय भले ही सत्ता और संगठन में बैठे नेताओं ने केन्द्र की यूपीए सरकार को बदनाम करने के लिये रैलियों और धरने की नौटंकी की लेकिन हकीकत यह है कि उन्हें आज की तुलना उस समय प्रदेश को पर्याप्त धन मिला लेकिन उसका वह सही उपयोग नहीं कर सके, केन्द्र की तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा बुंदेलखण्ड की दशा सुधारने के लिये एक विशेष पैकेज दिया गया उसी पैकेज के एक हिस्से में से १०० करोड़ रुपए की राशि बुंदेलखण्ड के छ: जिलों में १२६९ नलजल योजनाओं का निर्माण किया गया था लेकिन प्रदेश में मंत्रियों, अधिकारियों सत्ता के दलालों और ठेकेदारों का जो रैकेट सक्रिय है उस रैकेट के चलते इन निर्माण कार्यों में गोलमाल कर यह राशि की लीपापोती कर दी गई।
इस बुंदेलखण्ड पैकेज में नलजल योजना के घोटाले की जांच जब हाईकोर्ट के निर्देश पर मुख्य सचिव ने पीएचई के मुख्य अभियंता जीएस डामोर की अध्यक्षता में जांच कराई गई तो जांच में यह पाया गया कि नलजल योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार हुआ डामोर ने यह जांच शासन को भेज दी है, छतरपुर जिले के घुवारा के सामाजिक कार्यकर्ता पवन घुवारा ने बुंदेलखण्ड के छ: जिलों पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, सागर और दतिया जिले के गांव में बुंदेलखण्ड पैकेज के नाम पर नलजल योजनाओं में हुए भ्रष्टाचार को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई थी इस याचिका के आधार पर कोर्ट ने मुख्य सचिव से जांच रिपेार्ट मंगवाई मुख्य सचिव ने पीएचई के प्रमुख अभियंता जीएस डामोर की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय दल का गठन किया गया इस दल ने बुंदेलखण्ड के छ: जिलों में १२६९ नलजल योजनाओं के निरीक्षण करने के बाद जो रिपोर्ट तैयार की है वह काफी चौंकाने वाली है सूत्रों के अनुसार इस रिपोर्ट में बताया गया कि ७८ प्रतिशत बुंदेलखण्ड पैकेज के तहत योजनाओं में जमकर भ्रष्टाचार हुआ,
स्थिति यह रही कि ९९६ योजनाएं शुरू ही नहीं हो पाई जबकि २७२ योजनाएं आंशिक रूप से चालू पाई गईं, बुंदेलखण्ड पैकेज की नलजल योजनाओं में करीब ७० करोड़ रुपये का गोलमाल होने का अनुमान इस टीम ने लगाया है, टीम द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि पन्ना में २८०, दमोह में २४९, छतरपुर में १५०, टीकमगढ़ में २००, सागर में ३५० और दतिया जिले के लिये ५८ योजनाएं स्वीकृत हुई थीं उनमें से आज एक भी योजना एसी नहीं है जो किसी गांव के निवासी को पानी पिलाकर उसकी प्यास बुझा रही हो इस योजना में नलजल योजनाओं में तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी एनके कश्यप ने लघु उद्योग निगम से जो सामग्री का क्रय किया था,
जांच में वह सामग्री घटिया और निम्न स्तर की पाई गई जांच के दौरान टीम ने यह भी पाया कि कई उपकरण ऐसे खरीदे गए जिनका उपयोग आज तक नहीं हो पाया है खास बात यह है कि इस योजना में पानी के स्त्रोत तैयार करने के पहले ही भ्रष्टाचार के स्त्रोत की शुरुआत हो गई और ५० करोड़ की सामग्री खरीद ली गई कुल मिलाकर इस योजना में जहां पीएचई के अधिकारी तो शामिल थे ही तो वहीं लघु उद्योग निगम भी इसमें शामिल हो गया। कुल मिलाकर मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के चलते ऐसी एक नहीं अनेकों योजनाएं हैं जिनमें जमकर भ्रष्टाचार हुआ है लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा के नेता प्रदेश के विकास को लेकर ढिंढौरा पीटते रहते हैं लेकिन इसकी जमीनी हकीकत यह है कि आज भी तत्कालीन यूपीए सरकार के द्वारा प्रदेश की एक नहीं अनेकों योजनाओं के लिए भरपूर धनराशि दी गई जिसका उपयोग संबंधित योजनाओं में नहीं बल्कि गोलमाल की भेंट चढ़ गई।