बालाघाट। शासन द्वारा समर्थन मुल्य पर खरीदी गई धान को गोदामों और ओपन केप से कस्टम मिलिंग के लिये रिलीज आर्डर जारी करने और उसके परिवहन के नाम पर फर्जीवाडा किये जाने की जानकारी प्राप्त हुुुई है। इतना ही नही मप्र राज्य विपणन संघ द्वारा राईस मिलर्स को धान रिलीज करने के लिये जो रिलीज आर्डर जारी किये जा रहे हैं उस धान को खुले बाजार में बेचने की नियत से धान चांवल के दलालों द्वारा आरओ की सौदेबाजी की जा रही है। कमीशन की आड में चल रहे फर्जीवाडे में गोदामों और केप में संग्रहित धान की भारी पैमाने पर अफरातफरी किये जाने की जानकारी हाथ लगी है।
यह उल्लेखनीय है कि गोदामों और ओपन केप से जिन ट्रकों के माध्यम से धान प्रदाय की जाती है उस धान के परिवहन के लिये गोदाम अथवा केप से 8 कि.मी. की दूरी के बाद से गंतव्य स्थल तक का परिवहन विपणन संघ द्वारा वहन किया जाता है। गर्रा, खापा, चिकमारा और किन्ही में स्थित गोदामों और केप से जो धान रिलीज की गई है वह संबंधित राईस मिल के स्थान पर पहुंचने के पहले ही दलालों के मार्फत स्थानीय स्तर पर ही बेच दी गई तथा उसके बदले में कस्टम मिलिंग के नाम पर बाहर से चांवल मंगाकर अथवा राशन में वितरित किये जा रहे अमानक चांवल को खरीदकर रिसाईकिलिंग कर नागरिक आपूर्ति निगम को प्रदाय किया जा रहा है यह कारगुजारी पिछले लंबे अर्से से चल रही है जिस स्थान से धान का परिवहन बताया गया है गंतव्य स्थल से पहुंचने वाले मार्ग में पडने वाले टोल नाकों पर संबंधित ट्रªक की एन्ट्री दर्ज नही है जिसके नाम पर धान की रवानगी दर्शाई गई है। बालाघाट जिले से मंडला और अन्य जिलों में इस तरह धान भेजने की आड में ऐसा ही फर्जीवाडा किया गया है।
इन विसंगतियों के चलते म.प्र. राज्य विपणन संघ मार्कफेड के अधिकारियों एवं कस्टम मिलिंग के लिये अनुबंध करने वाले राईस मिलर्स द्वारा मिलिंग के नाम पर धान जारी करवाकर उसे खुले बाजार में तथा उष्णा मिलों को बेचा जा रहा है जबकी कस्टम मिलिंग के लिये किये गये अनुबंध में इन शर्तों का उल्लेख किया गया है कि राईस मिलर्स उसे प्रदाय किये गये धान के स्टाक को किसी अन्य को ना बेचे गा, ना ही सौपेगा। इन शर्तों का उल्लंघन करते हुये राईस मिलर्स सरकारी धान बेचकर आपूर्ति निगम को घटिया और अमानक चांवल प्रदाय कर रहे है। ट्रªक नंबर के आधार पर यदि टोल नाकों में दर्ज एन्ट्रªी की जांच की जाये करोडों रूपये की धान की अफरातफरी उजागर होगी ऐसा ही फर्जीवाडा सिवनी, नरसिंगपुर जिले में किये जाने की जानकारी मिल रही है।
यह उल्लेखनीय है कि गोदामों और ओपन केप से जिन ट्रकों के माध्यम से धान प्रदाय की जाती है उस धान के परिवहन के लिये गोदाम अथवा केप से 8 कि.मी. की दूरी के बाद से गंतव्य स्थल तक का परिवहन विपणन संघ द्वारा वहन किया जाता है। गर्रा, खापा, चिकमारा और किन्ही में स्थित गोदामों और केप से जो धान रिलीज की गई है वह संबंधित राईस मिल के स्थान पर पहुंचने के पहले ही दलालों के मार्फत स्थानीय स्तर पर ही बेच दी गई तथा उसके बदले में कस्टम मिलिंग के नाम पर बाहर से चांवल मंगाकर अथवा राशन में वितरित किये जा रहे अमानक चांवल को खरीदकर रिसाईकिलिंग कर नागरिक आपूर्ति निगम को प्रदाय किया जा रहा है यह कारगुजारी पिछले लंबे अर्से से चल रही है जिस स्थान से धान का परिवहन बताया गया है गंतव्य स्थल से पहुंचने वाले मार्ग में पडने वाले टोल नाकों पर संबंधित ट्रªक की एन्ट्री दर्ज नही है जिसके नाम पर धान की रवानगी दर्शाई गई है। बालाघाट जिले से मंडला और अन्य जिलों में इस तरह धान भेजने की आड में ऐसा ही फर्जीवाडा किया गया है।
इन विसंगतियों के चलते म.प्र. राज्य विपणन संघ मार्कफेड के अधिकारियों एवं कस्टम मिलिंग के लिये अनुबंध करने वाले राईस मिलर्स द्वारा मिलिंग के नाम पर धान जारी करवाकर उसे खुले बाजार में तथा उष्णा मिलों को बेचा जा रहा है जबकी कस्टम मिलिंग के लिये किये गये अनुबंध में इन शर्तों का उल्लेख किया गया है कि राईस मिलर्स उसे प्रदाय किये गये धान के स्टाक को किसी अन्य को ना बेचे गा, ना ही सौपेगा। इन शर्तों का उल्लंघन करते हुये राईस मिलर्स सरकारी धान बेचकर आपूर्ति निगम को घटिया और अमानक चांवल प्रदाय कर रहे है। ट्रªक नंबर के आधार पर यदि टोल नाकों में दर्ज एन्ट्रªी की जांच की जाये करोडों रूपये की धान की अफरातफरी उजागर होगी ऐसा ही फर्जीवाडा सिवनी, नरसिंगपुर जिले में किये जाने की जानकारी मिल रही है।