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राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस आगामी 10 फरवरी को मनाया जाएगा. इस दिवस पर 1 से 2 वर्ष, तथा 2 से 19 वर्ष तक के सभी स्कूली बच्चों व आंगनवाड़ी केन्द्र में कृमि नाशक दवाई बच्चों को खिलाई जायेगी.
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि यह गोली बच्चों के पेट में होने वाले कीड़े (कृमि) से बचाता है. उन्होंने बताया किं प्रत्येक आंगनवाड़ी केन्द्र, स्कूलों में साथ ही शाला त्यागी बच्चों को 10 फरवरी को एल्बेंडाजोल गोली एक साथ खिलाई जायेगी. इसके लिए ब्लॉक स्तर पर भी आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, ए.एन.एम., शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा.
कार्यशाला में मनीष शर्मा ने कृमिनाशक से होने वाले प्रतिकूल प्रभावों के बोरे में बताया किं कृमि होने से बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास में वृद्धि अवरूद्ध हो जाती है. कृमि कई कारणों से बच्चे के पेट पहुंच सकते है जैसे- नंगे पैर खेलने, बिना हाथ धोये खाना खाने, खुले में शौच करने, साफ सफाई ना रखने से होते है.
कृमि होने से खून की कमी (एनीमिया), कुपोषण, भूख न लगना थकान और बेचैनी, पेट में दर्द मिलती, उल्टी और दस्त आना, मल से खून आना, आदि हानिकारक प्रभाव पड़ते है.
बच्चों को कृमि नाशक देने से खून कमी में सुधार आना, बेहतर पोषण स्तर, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद, स्कूल और आंगनवाड़ी केन्द्रों में उपस्थिति तथा सीखने की क्षमता में सुधार लाने में मदद करता है.
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस आगामी 10 फरवरी को मनाया जाएगा. इस दिवस पर 1 से 2 वर्ष, तथा 2 से 19 वर्ष तक के सभी स्कूली बच्चों व आंगनवाड़ी केन्द्र में कृमि नाशक दवाई बच्चों को खिलाई जायेगी.
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि यह गोली बच्चों के पेट में होने वाले कीड़े (कृमि) से बचाता है. उन्होंने बताया किं प्रत्येक आंगनवाड़ी केन्द्र, स्कूलों में साथ ही शाला त्यागी बच्चों को 10 फरवरी को एल्बेंडाजोल गोली एक साथ खिलाई जायेगी. इसके लिए ब्लॉक स्तर पर भी आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, ए.एन.एम., शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा.
कार्यशाला में मनीष शर्मा ने कृमिनाशक से होने वाले प्रतिकूल प्रभावों के बोरे में बताया किं कृमि होने से बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास में वृद्धि अवरूद्ध हो जाती है. कृमि कई कारणों से बच्चे के पेट पहुंच सकते है जैसे- नंगे पैर खेलने, बिना हाथ धोये खाना खाने, खुले में शौच करने, साफ सफाई ना रखने से होते है.
कृमि होने से खून की कमी (एनीमिया), कुपोषण, भूख न लगना थकान और बेचैनी, पेट में दर्द मिलती, उल्टी और दस्त आना, मल से खून आना, आदि हानिकारक प्रभाव पड़ते है.
बच्चों को कृमि नाशक देने से खून कमी में सुधार आना, बेहतर पोषण स्तर, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद, स्कूल और आंगनवाड़ी केन्द्रों में उपस्थिति तथा सीखने की क्षमता में सुधार लाने में मदद करता है.