अवधेश पुरोहित @ toc news
भोपाल। सरकार द्वारा हर स्तर पर सिंहस्थ की तैयारी जोर-शोर से जारी है, लेकिन इसके साथ ही सरकार द्वारा बिल्डरों को लाभ पहुंचाने का भी गोरखधंधा भी जारी है इस सिंहस्थ के लिये तैयार की जा रही सड़कों की स्थिति यह है कि कुछ सड़कें तो इस उद्देश्य से बनाई जा रही हैं कि इससे सिंहस्थ के बाद बिल्डरों को लाभ पहुंचे, ऐसा अरोप वर्षों से सेवा समिति के सदस्य रहे क्रांतिलाल नागर का पांचवां सिंहस्थ है, वे कहते हैं कि जितने नए कामों की शुरुआत की गई है, उसके पीछे बिल्डरों को फायदा पहुंचाने की कोशिश है। जीवनखेड़ी में कुछ समय पहले एक एकड़ का भाव पचास लाख का था, वो सड़क बनते ही एक करोड़ हो हो गया। बिल्डर खान नदी के गंदे पानी को पाइप लाइन के जरिए आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन बामनकुंड के आगे वापस शिप्रा में मिलाने की तैयारी है। शहर की गंदगी को बाहर करने के लिए ९० करोड़ रुपए फूंके जा रहे हैं, जबकि खान नदी के पास के किसानों ने इसे तलाब में डालने का कहा था। दत्त अखाड़ा क्षेत्र और अंकपात क्षेत्र में सिंहस्थ होता आया है, लेकिन अंकपात में कई कॉलोनियंा कट गई हैं और पौधे लगा दिए गए हैं, जिससे जगह की कमी पड़ गई है। रिवाज रहा है कि जिस अखाड़े को जहां जगह दी जाती है, वहीं हर बार मिलती है, लेकिन कुछ लोगों की वजह से अखाड़े वाले नाराज हो रहे हैं। रामदल वालों ने पुरानी जगह नहीं मिलने से आने से मना कर दिया है। कुल मिलाकर सिंहस्थ के पूर्व जिस तरह का माहौल सरकार और उज्जैन के सिंहस्थ से वर्षों से जुड़े लोगों में सरकार के प्रति जिस प्रकार की नाराजगी और असंतोष है, वह भी सरकार के लिये परेशानी का सबक बन सकता है
भोपाल। सरकार द्वारा हर स्तर पर सिंहस्थ की तैयारी जोर-शोर से जारी है, लेकिन इसके साथ ही सरकार द्वारा बिल्डरों को लाभ पहुंचाने का भी गोरखधंधा भी जारी है इस सिंहस्थ के लिये तैयार की जा रही सड़कों की स्थिति यह है कि कुछ सड़कें तो इस उद्देश्य से बनाई जा रही हैं कि इससे सिंहस्थ के बाद बिल्डरों को लाभ पहुंचे, ऐसा अरोप वर्षों से सेवा समिति के सदस्य रहे क्रांतिलाल नागर का पांचवां सिंहस्थ है, वे कहते हैं कि जितने नए कामों की शुरुआत की गई है, उसके पीछे बिल्डरों को फायदा पहुंचाने की कोशिश है। जीवनखेड़ी में कुछ समय पहले एक एकड़ का भाव पचास लाख का था, वो सड़क बनते ही एक करोड़ हो हो गया। बिल्डर खान नदी के गंदे पानी को पाइप लाइन के जरिए आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन बामनकुंड के आगे वापस शिप्रा में मिलाने की तैयारी है। शहर की गंदगी को बाहर करने के लिए ९० करोड़ रुपए फूंके जा रहे हैं, जबकि खान नदी के पास के किसानों ने इसे तलाब में डालने का कहा था। दत्त अखाड़ा क्षेत्र और अंकपात क्षेत्र में सिंहस्थ होता आया है, लेकिन अंकपात में कई कॉलोनियंा कट गई हैं और पौधे लगा दिए गए हैं, जिससे जगह की कमी पड़ गई है। रिवाज रहा है कि जिस अखाड़े को जहां जगह दी जाती है, वहीं हर बार मिलती है, लेकिन कुछ लोगों की वजह से अखाड़े वाले नाराज हो रहे हैं। रामदल वालों ने पुरानी जगह नहीं मिलने से आने से मना कर दिया है। कुल मिलाकर सिंहस्थ के पूर्व जिस तरह का माहौल सरकार और उज्जैन के सिंहस्थ से वर्षों से जुड़े लोगों में सरकार के प्रति जिस प्रकार की नाराजगी और असंतोष है, वह भी सरकार के लिये परेशानी का सबक बन सकता है