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रीवा_ मप्र के प्रसिद्ध रीवा राजघराने की 250 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति पर कब्जे का विवाद आखिरकार खत्म हो गया है। रीवा की जिला अदालत ने 1992 में बने महाराजा गुलाब सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट को अमान्य करार दिया है और 1970 में बने मार्तण्ड सिंह जूदेव ट्रस्ट को 250 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का हकदार बताया है। जिला अदालत के आदेश के बाद रीवा राजघराने के महाराजा और पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह ने दावा किया कि गुलाब सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट रीवा राजघराने की संपत्ति को हथियाने के षडयंत्र के तहत बनाया गया था। उल्लेखनीय है कि रीवा रियासत के गांव मुकुंदपुर में ही मुगल बादशाह अकबर का बचपन बीता था। अकबर के दरबार की शोभा बढ़ाने वाले संगीत के पुरोधा तानसेन भी इसी रियासत की देन थे। अकबर ने तानसेन के बदले में रीवा रियासत को कई मुगल तोपें भेंट की थी।
250 कराेड़ से ज्यादा की संपत्ति.......
1992 में कोर्ट में दाखिल केस के वक्त रीवा राजघराने की संपत्ति करीब 68 करोड़ की आंकी गई थी। महाराजा पुष्पराज सिंह के मुताबिक, इस समय राजघराने की संपत्ति 250 करोड़ से ज्यादा है। जिसमें रीवा का किला, इलाहाबाद का गुलाब मेंशन और मुंबई स्थित रीवा कोठी शामिल है। उल्लेखनीय है कि रीवा के किले में पहली बार देखा गया सफेद बाघ 'मोहन' की खाल आज भी मौजूद है। राजघराने के म्यूजियम में चांदी के सिंहासन, रत्न जड़ित आभूषण समेत कई कीमती वस्तुएं भी रखी हुई हैं।
क्या है मामला......
पुष्पराज सिंह के मुताबिक, स्व. महाराजा मार्तण्ड सिंह ने 1970 में महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव चैरिटेबिल ट्रस्ट बनाया था और उसमें महारानी प्रवीण कुमारी एवं पुष्पराज सिंह नाम भी शामिल है। इसके बाद 1992 में कुछ लोगों ने रीवा राजघराने की संपत्ति को हासिल करने के लिए महाराजा मार्तण्ड सिंह की बीमारी का लाभ उठाकर महाराजा गुलाब सिंह के नाम से ट्रस्ट बनाया था और राजघराने की संपत्ति पर हक जमाया था। 1992 में यह संपत्ति करीब 68 करोड़ की थी। गुलाब सिंह ट्रस्ट के लोगों ने तत्कालीन महाराजा मार्तण्ड सिंह के नाम से फर्जी दस्तावेज एवं रसीद पेश करके संपत्ति को ट्रस्ट में दिए जाने का दावा किया गया था। इस दावे के खिलाफ महारानी प्रवीण कुमारी सिंह ने न्यायालय में केस दायर किया। उनकी मौत के बाद पुष्पराज सिंह यह केस लड़ रहे थे। रीवा की जिला अदालत ने कहा कि महाराजा मार्तण्ड ट्रस्ट चाहे तो गुलाब सिंह ट्रस्ट पर कानूनी कार्रवाई कर सकता है।
म्यूजियम में हो चुकी है लूट, मुंबई का बंगला भी फर्जी तरीके से बेचा
रीवा राजघराने में 2012 में एक बड़ी लूट भी हो चुकी है। इस लूट में लुटरों ने राजघराने के म्यूजियम से करोड़ों के आभूषण और कीमती सामान चुरा लिए थे। वहीं,पुष्पराज सिंह ने 2013 में मुंबई स्थित रीवा कोठी को भी फर्जी तरीके से बेचने की शिकायत की थी। पुष्पराज सिंह ने शिकायत की थी कि मुंबई के पेद्दार रोड स्थित रीवा कोठी को कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से 20 करोड़ रुपए में बेच दिया था। यह रीवा कोठी मुंबई में समुद्र तट पर हाजी अली दरगाह और महालक्ष्मी मंदिर के बीच में स्थित है। मुंबई के जमालुद्दीन शेख ने 2011 में यह सौदा किया था।
रीवा_ मप्र के प्रसिद्ध रीवा राजघराने की 250 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति पर कब्जे का विवाद आखिरकार खत्म हो गया है। रीवा की जिला अदालत ने 1992 में बने महाराजा गुलाब सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट को अमान्य करार दिया है और 1970 में बने मार्तण्ड सिंह जूदेव ट्रस्ट को 250 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का हकदार बताया है। जिला अदालत के आदेश के बाद रीवा राजघराने के महाराजा और पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह ने दावा किया कि गुलाब सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट रीवा राजघराने की संपत्ति को हथियाने के षडयंत्र के तहत बनाया गया था। उल्लेखनीय है कि रीवा रियासत के गांव मुकुंदपुर में ही मुगल बादशाह अकबर का बचपन बीता था। अकबर के दरबार की शोभा बढ़ाने वाले संगीत के पुरोधा तानसेन भी इसी रियासत की देन थे। अकबर ने तानसेन के बदले में रीवा रियासत को कई मुगल तोपें भेंट की थी।
250 कराेड़ से ज्यादा की संपत्ति.......
1992 में कोर्ट में दाखिल केस के वक्त रीवा राजघराने की संपत्ति करीब 68 करोड़ की आंकी गई थी। महाराजा पुष्पराज सिंह के मुताबिक, इस समय राजघराने की संपत्ति 250 करोड़ से ज्यादा है। जिसमें रीवा का किला, इलाहाबाद का गुलाब मेंशन और मुंबई स्थित रीवा कोठी शामिल है। उल्लेखनीय है कि रीवा के किले में पहली बार देखा गया सफेद बाघ 'मोहन' की खाल आज भी मौजूद है। राजघराने के म्यूजियम में चांदी के सिंहासन, रत्न जड़ित आभूषण समेत कई कीमती वस्तुएं भी रखी हुई हैं।
क्या है मामला......
पुष्पराज सिंह के मुताबिक, स्व. महाराजा मार्तण्ड सिंह ने 1970 में महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव चैरिटेबिल ट्रस्ट बनाया था और उसमें महारानी प्रवीण कुमारी एवं पुष्पराज सिंह नाम भी शामिल है। इसके बाद 1992 में कुछ लोगों ने रीवा राजघराने की संपत्ति को हासिल करने के लिए महाराजा मार्तण्ड सिंह की बीमारी का लाभ उठाकर महाराजा गुलाब सिंह के नाम से ट्रस्ट बनाया था और राजघराने की संपत्ति पर हक जमाया था। 1992 में यह संपत्ति करीब 68 करोड़ की थी। गुलाब सिंह ट्रस्ट के लोगों ने तत्कालीन महाराजा मार्तण्ड सिंह के नाम से फर्जी दस्तावेज एवं रसीद पेश करके संपत्ति को ट्रस्ट में दिए जाने का दावा किया गया था। इस दावे के खिलाफ महारानी प्रवीण कुमारी सिंह ने न्यायालय में केस दायर किया। उनकी मौत के बाद पुष्पराज सिंह यह केस लड़ रहे थे। रीवा की जिला अदालत ने कहा कि महाराजा मार्तण्ड ट्रस्ट चाहे तो गुलाब सिंह ट्रस्ट पर कानूनी कार्रवाई कर सकता है।
म्यूजियम में हो चुकी है लूट, मुंबई का बंगला भी फर्जी तरीके से बेचा
रीवा राजघराने में 2012 में एक बड़ी लूट भी हो चुकी है। इस लूट में लुटरों ने राजघराने के म्यूजियम से करोड़ों के आभूषण और कीमती सामान चुरा लिए थे। वहीं,पुष्पराज सिंह ने 2013 में मुंबई स्थित रीवा कोठी को भी फर्जी तरीके से बेचने की शिकायत की थी। पुष्पराज सिंह ने शिकायत की थी कि मुंबई के पेद्दार रोड स्थित रीवा कोठी को कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से 20 करोड़ रुपए में बेच दिया था। यह रीवा कोठी मुंबई में समुद्र तट पर हाजी अली दरगाह और महालक्ष्मी मंदिर के बीच में स्थित है। मुंबई के जमालुद्दीन शेख ने 2011 में यह सौदा किया था।