अवैध होर्डिंग के डिफॉल्टरों की सूची भोपाल नगर निगम ने की जारी
भोपाल। राजधानी में अवैध होर्डिंग्स के मामले में सिर्फ होर्डिंग संचालक ही नहीं राष्ट्रीयकृत बैंक, बीमा कंपनी और बीएसएनएल सहित 5 सरकारी विभाग भी डिफॉल्टर हैं। अवैध होर्डिंग के मामले में बकाया वसूली के लिए निगम ने इन्हें भी नोटिस जारी किया है। इन पर करीब 2 करोड़ 15 लाख रुपए की वसूली निकाली गई है। निगम ने 79 होर्डिंग संचालकों को 128 करोड़ रुपए की वसूली के लिए नोटिस जारी किया है।
जानकारी के मुताबिक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) हेड ऑफिस को 80 लाख 99 हजार 775, भारतीय जीवन बीमा निगम लिमिटेड (एलआईसी) को 30 लाख 20 हजार, भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) पर 80 लाख 89 हजार, राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी पर 14 लाख 32 हजार और मप्र गृह निर्माण मंडल पर 7 लाख 24 हजार रुपए की वसूली निकाली गई है। इसके अलावा बघीरा अपार्टमेंट को भी 25 लाख रुपए वसूली का नोटिस दिया गया है। इन सभी को अंतिम नोटिस व्यक्तिगत व सार्वजनिक रूप से दिए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) हेड ऑफिस को 80 लाख 99 हजार 775, भारतीय जीवन बीमा निगम लिमिटेड (एलआईसी) को 30 लाख 20 हजार, भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) पर 80 लाख 89 हजार, राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी पर 14 लाख 32 हजार और मप्र गृह निर्माण मंडल पर 7 लाख 24 हजार रुपए की वसूली निकाली गई है। इसके अलावा बघीरा अपार्टमेंट को भी 25 लाख रुपए वसूली का नोटिस दिया गया है। इन सभी को अंतिम नोटिस व्यक्तिगत व सार्वजनिक रूप से दिए गए हैं।
पांच साल से नहीं दिया टैक्स
इन सभी पर निगम ने 2008-09 से 2014-15 तक का बकाया निकाला है। इन संस्थाओं और विज्ञापन संचालकों ने विज्ञापन टैक्स, किराया, पूर्व बकाया पर ब्याज और अग्रिम राशि जमा नहीं कराई है। जिसके बाद निगम ने इन्हें नोटिस थमाए हैं। नगर निगम के जनसंपर्क प्रभारी प्रेमशंकर शुक्ला ने बताया कि पैसा जमा करने के लिए सभी को 7 दिन की मोहलत दी गई है। इसके बाद होर्डिंग संचालकों की चल-अचल संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई होगी। नोटिस नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 के तहत जारी हुए हैं।
इन सभी पर निगम ने 2008-09 से 2014-15 तक का बकाया निकाला है। इन संस्थाओं और विज्ञापन संचालकों ने विज्ञापन टैक्स, किराया, पूर्व बकाया पर ब्याज और अग्रिम राशि जमा नहीं कराई है। जिसके बाद निगम ने इन्हें नोटिस थमाए हैं। नगर निगम के जनसंपर्क प्रभारी प्रेमशंकर शुक्ला ने बताया कि पैसा जमा करने के लिए सभी को 7 दिन की मोहलत दी गई है। इसके बाद होर्डिंग संचालकों की चल-अचल संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई होगी। नोटिस नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 के तहत जारी हुए हैं।
जोनल अधिकारियों को संपत्ति पता लगाने के निर्देश
नोटिस जारी करने से पहले निगम ने सभी 19 जोन के जोनल अधिकारियों को होर्डिंग संचालकों की संपत्ति पता लगाने व इसका ब्यौरा निगम प्रशासन को देने को कहा है। ताकी नोटिस की मियाद खत्म होते ही होर्डिंग संचालकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जा सके।
नोटिस जारी करने से पहले निगम ने सभी 19 जोन के जोनल अधिकारियों को होर्डिंग संचालकों की संपत्ति पता लगाने व इसका ब्यौरा निगम प्रशासन को देने को कहा है। ताकी नोटिस की मियाद खत्म होते ही होर्डिंग संचालकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जा सके।
अनुमति जारी हुई नहीं फिर भी बढ़ गई होर्डिंग की संख्या
निगम के रिकॉर्ड में 2008 से अभी तक करीब 700 अवैध होर्डिंग होने की बात कही गई है। इनमें से हटाने की कार्रवाई सिर्फ 250 पर ही हुई। जबकि तब शहर में वैध 1078 होर्डिंग लगे हुए थे। यह होर्डिंग 2004 से 2008 के दौरान लगे थे। इसके बाद एक भी होर्डिंग को अनुमति जारी नहीं हुई। होर्डिंग पर कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार टैक्स लगाया गया था। इससे नाराज 2008 में होर्डिंग संचालक हाई कोर्ट चले गए थे। तब अभी तक नए होर्डिंग लगाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। प्राइम लोकेशन पर होर्डिंग का साल भर का किराया औसतन तीन लाख रुपए है। इस हिसाब से 700 होर्डिंग का एक साल का किराया 21 करोड़ रुपए होता है। पांच साल में यह राशि 105 करोड़ रुपए होती है। उल्लेखनीय है कि अवैध होर्डिंग के मामले में हाई कोर्ट ने 5 मार्च को कोर्ट ने निगम के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बाद निगम ने 19 मार्च को कार्रवाई कर पूरे शहर को होर्डिंग मुक्त कर दिया और होर्डिंग संचालकों पर रिकवरी निकाल दी।
निगम के रिकॉर्ड में 2008 से अभी तक करीब 700 अवैध होर्डिंग होने की बात कही गई है। इनमें से हटाने की कार्रवाई सिर्फ 250 पर ही हुई। जबकि तब शहर में वैध 1078 होर्डिंग लगे हुए थे। यह होर्डिंग 2004 से 2008 के दौरान लगे थे। इसके बाद एक भी होर्डिंग को अनुमति जारी नहीं हुई। होर्डिंग पर कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार टैक्स लगाया गया था। इससे नाराज 2008 में होर्डिंग संचालक हाई कोर्ट चले गए थे। तब अभी तक नए होर्डिंग लगाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। प्राइम लोकेशन पर होर्डिंग का साल भर का किराया औसतन तीन लाख रुपए है। इस हिसाब से 700 होर्डिंग का एक साल का किराया 21 करोड़ रुपए होता है। पांच साल में यह राशि 105 करोड़ रुपए होती है। उल्लेखनीय है कि अवैध होर्डिंग के मामले में हाई कोर्ट ने 5 मार्च को कोर्ट ने निगम के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बाद निगम ने 19 मार्च को कार्रवाई कर पूरे शहर को होर्डिंग मुक्त कर दिया और होर्डिंग संचालकों पर रिकवरी निकाल दी।
कब, क्या हुआ
– शहर में 2008 के बाद निगम ने एक भी होर्डिंग को परमिशन जारी नहीं की
– 2004 से 2008 के दौरान शहर में 1078 होर्डिग वैध थे।
– 2008 में निगम ने होर्डिंग नीति बनाई और किराया कलेक्टर गाइड लाइन के तहत तय कर दिया।
– इसकेबाद होर्डिंग संचालक हाई कोर्ट चले गए
– 2008 से निगम को होर्डिंग से राजस्व मिलना बंद है
– निगम 2012-13 में निगम द्वारा कराए गए सर्वे में करीब 500 अवैध पाए गए
– हाई कोर्ट के आदेश के बाद निगम ने पिछले महीने करीब 250 होर्डिंग हटाए
– शहर में 2008 के बाद निगम ने एक भी होर्डिंग को परमिशन जारी नहीं की
– 2004 से 2008 के दौरान शहर में 1078 होर्डिग वैध थे।
– 2008 में निगम ने होर्डिंग नीति बनाई और किराया कलेक्टर गाइड लाइन के तहत तय कर दिया।
– इसकेबाद होर्डिंग संचालक हाई कोर्ट चले गए
– 2008 से निगम को होर्डिंग से राजस्व मिलना बंद है
– निगम 2012-13 में निगम द्वारा कराए गए सर्वे में करीब 500 अवैध पाए गए
– हाई कोर्ट के आदेश के बाद निगम ने पिछले महीने करीब 250 होर्डिंग हटाए