Mar 27, 2016 @ toc news
मध्यप्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) फर्जीवाड़े की जांच सीबीआई के हाथों में पहुंचने के बाद पहली बार किसी दोषी को सजा मिली है. शनिवार को ही विशेष अदालत ने यह फैसला सुनाया है.
दरअसल, व्यापमं की आरक्षक भर्ती परीक्षा में खुद के स्थान पर किसी दूसरे व्यक्ति को रुपए देकर बिठाने वाले युवक राहुल सिंह को सत्र न्यायालय ने 5 साल कैद और 4 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है.
हालांकि, वर्ष 2015 के नवंबर माह में इसी मामले को लेकर कोर्ट फर्जी परीक्षार्थी हरेंद्र सिंह को 5 साल की सजा सुना चुका है. उस दौरान एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने हरेंद्र और राहुल के खिलाफ मामला कोर्ट तक पहुंचाया था. तब कोर्ट ने सशर्त राहुल को जमानत दे दी थी, लेकिन वह फरार हो गया था.
सीबीआई ने दिखाई सक्रियता
जांच में लेटलतीफी के आरोप झेल रही सीबीआई ने व्यापमं की जांच की जिम्मेदारी मिलते ही फरारी काट रहे राहुल को भिंड से गिरफ्तार कर लिया था. जांच एजेंसी ने कोर्ट के साथ वादाखिलाफी करने के आरोप में राहुल पर एक और केस दर्ज कराया था. आईपीसी की धारा 291-ए के तहत दर्ज इस केस में राहुल को 6 माह तक की सजा हो सकती है.
क्या है व्यापमं
ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश में जिन सरकारी पदों की भर्ती लोक सेवा आयोग नहीं करता, उन पदों पर व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) द्वारा भर्तियां की जाती हैं.
व्यापमं मेडिकल, इंजिनियरिंग समेत विभिन्न कोर्सेस की प्रवेश परीक्षा भी आयोजित कराता है. व्यापमं भर्ती व प्रवेश परीक्षा में फर्जीवाड़ा सामने आया. जुलाई 2013 में खुलासा होने के बाद जांच का जिम्मा अगस्त 2013 एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) को सौंपा गया था.
सीबीआई का कसा शिकंजा
अब मामला सीबीआई के पास है. जांच एजेंसी ने 13 जुलाई 2015 को भोपाल पहुंचकर जांच शुरू कर दी थी. व्यापमं मामले में एसटीएफ की जांच शुरू होने से लेकर तक तक कथित तौर पर 48 संदिग्ध मौत होने की बात सामने आई थी. सुप्रीम कोर्ट ने उसी वर्ष 9 जुलाई को व्यापमं की जांच सीबीआई को सौंपी थी
मध्यप्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) फर्जीवाड़े की जांच सीबीआई के हाथों में पहुंचने के बाद पहली बार किसी दोषी को सजा मिली है. शनिवार को ही विशेष अदालत ने यह फैसला सुनाया है.
दरअसल, व्यापमं की आरक्षक भर्ती परीक्षा में खुद के स्थान पर किसी दूसरे व्यक्ति को रुपए देकर बिठाने वाले युवक राहुल सिंह को सत्र न्यायालय ने 5 साल कैद और 4 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है.
हालांकि, वर्ष 2015 के नवंबर माह में इसी मामले को लेकर कोर्ट फर्जी परीक्षार्थी हरेंद्र सिंह को 5 साल की सजा सुना चुका है. उस दौरान एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने हरेंद्र और राहुल के खिलाफ मामला कोर्ट तक पहुंचाया था. तब कोर्ट ने सशर्त राहुल को जमानत दे दी थी, लेकिन वह फरार हो गया था.
सीबीआई ने दिखाई सक्रियता
जांच में लेटलतीफी के आरोप झेल रही सीबीआई ने व्यापमं की जांच की जिम्मेदारी मिलते ही फरारी काट रहे राहुल को भिंड से गिरफ्तार कर लिया था. जांच एजेंसी ने कोर्ट के साथ वादाखिलाफी करने के आरोप में राहुल पर एक और केस दर्ज कराया था. आईपीसी की धारा 291-ए के तहत दर्ज इस केस में राहुल को 6 माह तक की सजा हो सकती है.
क्या है व्यापमं
ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश में जिन सरकारी पदों की भर्ती लोक सेवा आयोग नहीं करता, उन पदों पर व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) द्वारा भर्तियां की जाती हैं.
व्यापमं मेडिकल, इंजिनियरिंग समेत विभिन्न कोर्सेस की प्रवेश परीक्षा भी आयोजित कराता है. व्यापमं भर्ती व प्रवेश परीक्षा में फर्जीवाड़ा सामने आया. जुलाई 2013 में खुलासा होने के बाद जांच का जिम्मा अगस्त 2013 एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) को सौंपा गया था.
सीबीआई का कसा शिकंजा
अब मामला सीबीआई के पास है. जांच एजेंसी ने 13 जुलाई 2015 को भोपाल पहुंचकर जांच शुरू कर दी थी. व्यापमं मामले में एसटीएफ की जांच शुरू होने से लेकर तक तक कथित तौर पर 48 संदिग्ध मौत होने की बात सामने आई थी. सुप्रीम कोर्ट ने उसी वर्ष 9 जुलाई को व्यापमं की जांच सीबीआई को सौंपी थी