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आजकल पूरे देश में ज्वेलरी सामान पर सरकार द्वारा मामूली एक्साइज ड्यूटी लगाये जाने के विरोध में हड़ताल कर चले गए सराफा व्यापारियों ने अपनी प्रतिदिन की कमाई को लात मार कर सरकारी जेबों में टैक्स के रूप में पैसा न जाए और पूरा माल हजम कर जाए इस मंशा के चलते सरकार से पंगा लेकर स्वंय का लाखो - करोड़ो का कारोबार बंद करके स्वंय को जल बिन मछली जैसा कर लिया है। सराफा व्यापारी अब तक जो भी करोड़ो का व्यापार करते थे उस व्यापार पर सरकारी पैनी नज़र से काला सोना भी सफेद बन सकता है यदि सराफा व्यापारी स्वार्थ और लाभ को छोड़ कर देशहित की बात करने लगे। सराफा व्यापारी अपने हित के लिए वित्तमंत्री के पुतले भी जला रहे भाजपा विरोधी नारे लगा रहे है लेकिन सराफा व्यापारी समाज यह कैसे भूल जाता है कि व्यापारियों की पार्टी के रूप में पहचान बना चुकी भाजपा के अच्छे दिन लाने में उनका कितना बड़ा योगदान है? तन - मन - धन से भाजपा को मजबुती प्रदान करने व्यापारी को क्या केन्द्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद अपने बुरे दिन आने के संकेत मिलने लग गए है? क्या सराफा व्यापारी का भाजपा पर से विश्वास घट गया है या उठ गया है जो उस सरकार का विरोध करने पर आमदा है जो सदैव व्यापारी का हित साधने का काम करने लगी रहती है। लोगो का ऐसा मानना है कि बिना बिल के माल बेचने वाले भाजपा समर्थक व्यापारियों ने क्या ये सोचा है की अपने 50 टंच चाँदी के माल को 80 टंच बताकर उसकी आभुषण के रूप में बनवाई को 100 टंच खरा बता कर जनता को उल्लू बनाने का उनका धंधा बिल बनते ही उन्हे जेल की हवा खिला सकता है क्योकि साठ को सौ बना कर बेचना कानूनी अपराध है और वह जालसाजी की श्रेणी में आता है। ठीक इसी तरह बिलो पर सामानो की बिक्री से सोने के 70 से 75 टंच माल को 90 टंच बताकर उसकी आभुषण के रूप में बनवाई के बाद उसे पूरा 100 टंच बता कर बिल पर बेचने और खरीददार द्वारा उसकी प्रमाणिकता की जांच के बाद सच के सामने आने के बाद उनकी हवालात में उपस्थिति को कोई नहीं रोक सकता और ऐसा करने से उनके करोड़पति से अरबपति बनने के सपने चकना चूर हो जाएगें और बाजार में बनी बनाई साख भी मिट्टी में मिल जाएगी। पूरा सच उस समय सामने आ जाएगा जब बिल पर खरीदीे गए माल को आधे दाम पर गिरवी रखने पर उपभोक्ता सवाल कर सकता है कि बाजार में सामान की कीमत वर्तमान में क्या है तथा उसने कितने में रूपये में खरीदा है? ऐसी स्थिति में बेचने वाले और गिरवी रखने वाले दोनो ही बेनकाब हो जाएगें। आज के समय सराफा ही एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें कोई भी एरा - गैरा मात्र साल दो साल में सड़कछाप से करोड़पति बन जाता है। बैतूल जिले के सराफा व्यापारियों के परिवारीक बेक ग्राऊण्ड की जांच की जाए तो कई ऐसे चहरे बेनकाब हो जाएगें जो पारधियों से बड़े धोखेबाज एवं जालसाज है। बिल पर आभुषणो की बिक्री में विकेत्रा को उसके सौ प्रतिशत सोना होने की ग्यारंटी और वारंटी दोनो ही देनी होगी। साथ ही पेनकार्ड धारक उपभोक्ता को भी सोना से लेकर चाँदी तक का हिसाब किताब आयकर रिर्टन में देना होगा जिससे सराफा व्यापार के बेचने वाले एवं गिरवी रखने वाले दोनो पक्षो के तोते उडऩे लगे है। सराफा व्यापारियों का यह कहना कि टैक्स जमा करने या बिल पर सामान बेचने या पेन कार्ड धारक से धंधा करने वाले से सोना - चांदी या आभुषण मंहगे हो जाएगें लेकिन ऐसा करने से सराफा व्यापारियों के अनुचित व्यापार पर नकेल कसी जाएगी तथा लोगो को सौ प्रतिशत शुद्ध एवं मानक मापदण्डो पर खरे आभुषण मिलेगें जो वजन एवं मूल्य में भिन्न नहीं होगें। बहुुंत कम लोगो को पता होगा कि संपूर्ण भारत देश के कुछ ही महानगरो में सोना - चांदी की शुद्धता जांच की सुविधा है। जब बिलो पर पेन कार्ड लेकर व्यापार किया जाएगा तब व्यापारी को ही सोने की या चाँदी या आभुषण की सौ प्रतिशत शुद्ध एवं खरा तथा वजन के होने का प्रमाण बाजारू मूल्य पर देना होगा। वास्तव में ज्वेलरी कालेधन को बढ़ावा देती है । यह पूर्णरूपेण से अनुत्पादक निरुपयोगी व असृजनात्मक व्यापार है। यह समाज में एक गहन आर्थिक असंतुलन को जन्म देती है।
आजकल पूरे देश में ज्वेलरी सामान पर सरकार द्वारा मामूली एक्साइज ड्यूटी लगाये जाने के विरोध में हड़ताल कर चले गए सराफा व्यापारियों ने अपनी प्रतिदिन की कमाई को लात मार कर सरकारी जेबों में टैक्स के रूप में पैसा न जाए और पूरा माल हजम कर जाए इस मंशा के चलते सरकार से पंगा लेकर स्वंय का लाखो - करोड़ो का कारोबार बंद करके स्वंय को जल बिन मछली जैसा कर लिया है। सराफा व्यापारी अब तक जो भी करोड़ो का व्यापार करते थे उस व्यापार पर सरकारी पैनी नज़र से काला सोना भी सफेद बन सकता है यदि सराफा व्यापारी स्वार्थ और लाभ को छोड़ कर देशहित की बात करने लगे। सराफा व्यापारी अपने हित के लिए वित्तमंत्री के पुतले भी जला रहे भाजपा विरोधी नारे लगा रहे है लेकिन सराफा व्यापारी समाज यह कैसे भूल जाता है कि व्यापारियों की पार्टी के रूप में पहचान बना चुकी भाजपा के अच्छे दिन लाने में उनका कितना बड़ा योगदान है? तन - मन - धन से भाजपा को मजबुती प्रदान करने व्यापारी को क्या केन्द्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद अपने बुरे दिन आने के संकेत मिलने लग गए है? क्या सराफा व्यापारी का भाजपा पर से विश्वास घट गया है या उठ गया है जो उस सरकार का विरोध करने पर आमदा है जो सदैव व्यापारी का हित साधने का काम करने लगी रहती है। लोगो का ऐसा मानना है कि बिना बिल के माल बेचने वाले भाजपा समर्थक व्यापारियों ने क्या ये सोचा है की अपने 50 टंच चाँदी के माल को 80 टंच बताकर उसकी आभुषण के रूप में बनवाई को 100 टंच खरा बता कर जनता को उल्लू बनाने का उनका धंधा बिल बनते ही उन्हे जेल की हवा खिला सकता है क्योकि साठ को सौ बना कर बेचना कानूनी अपराध है और वह जालसाजी की श्रेणी में आता है। ठीक इसी तरह बिलो पर सामानो की बिक्री से सोने के 70 से 75 टंच माल को 90 टंच बताकर उसकी आभुषण के रूप में बनवाई के बाद उसे पूरा 100 टंच बता कर बिल पर बेचने और खरीददार द्वारा उसकी प्रमाणिकता की जांच के बाद सच के सामने आने के बाद उनकी हवालात में उपस्थिति को कोई नहीं रोक सकता और ऐसा करने से उनके करोड़पति से अरबपति बनने के सपने चकना चूर हो जाएगें और बाजार में बनी बनाई साख भी मिट्टी में मिल जाएगी। पूरा सच उस समय सामने आ जाएगा जब बिल पर खरीदीे गए माल को आधे दाम पर गिरवी रखने पर उपभोक्ता सवाल कर सकता है कि बाजार में सामान की कीमत वर्तमान में क्या है तथा उसने कितने में रूपये में खरीदा है? ऐसी स्थिति में बेचने वाले और गिरवी रखने वाले दोनो ही बेनकाब हो जाएगें। आज के समय सराफा ही एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें कोई भी एरा - गैरा मात्र साल दो साल में सड़कछाप से करोड़पति बन जाता है। बैतूल जिले के सराफा व्यापारियों के परिवारीक बेक ग्राऊण्ड की जांच की जाए तो कई ऐसे चहरे बेनकाब हो जाएगें जो पारधियों से बड़े धोखेबाज एवं जालसाज है। बिल पर आभुषणो की बिक्री में विकेत्रा को उसके सौ प्रतिशत सोना होने की ग्यारंटी और वारंटी दोनो ही देनी होगी। साथ ही पेनकार्ड धारक उपभोक्ता को भी सोना से लेकर चाँदी तक का हिसाब किताब आयकर रिर्टन में देना होगा जिससे सराफा व्यापार के बेचने वाले एवं गिरवी रखने वाले दोनो पक्षो के तोते उडऩे लगे है। सराफा व्यापारियों का यह कहना कि टैक्स जमा करने या बिल पर सामान बेचने या पेन कार्ड धारक से धंधा करने वाले से सोना - चांदी या आभुषण मंहगे हो जाएगें लेकिन ऐसा करने से सराफा व्यापारियों के अनुचित व्यापार पर नकेल कसी जाएगी तथा लोगो को सौ प्रतिशत शुद्ध एवं मानक मापदण्डो पर खरे आभुषण मिलेगें जो वजन एवं मूल्य में भिन्न नहीं होगें। बहुुंत कम लोगो को पता होगा कि संपूर्ण भारत देश के कुछ ही महानगरो में सोना - चांदी की शुद्धता जांच की सुविधा है। जब बिलो पर पेन कार्ड लेकर व्यापार किया जाएगा तब व्यापारी को ही सोने की या चाँदी या आभुषण की सौ प्रतिशत शुद्ध एवं खरा तथा वजन के होने का प्रमाण बाजारू मूल्य पर देना होगा। वास्तव में ज्वेलरी कालेधन को बढ़ावा देती है । यह पूर्णरूपेण से अनुत्पादक निरुपयोगी व असृजनात्मक व्यापार है। यह समाज में एक गहन आर्थिक असंतुलन को जन्म देती है।