अवधेश पुरोहित // toc news
भोपाल । ज्यों ज्यों सिंहस्थ करीब आता जा रहा है त्यों-त्यों साधु-संतों में शिप्रा भू-गर्भजल से सिंहस्थ में साधु-संतों में स्नान कराने की मांग को लेकर आक्रोश पनपता जा रहा है स्थिति यह है कि इसकी मांग को लेकर संत गणेश प्रसाद जी महाराज अनशन पर बैठ गए हालांकि इसके पहले भी वह इस मुद्दे को लेकर उज्जैन से भोपाल और भोपाल से दिल्ली तक सत्याग्रह कर चुके हैं, लेकिन बार-बार आश्वासन देने के बावजूद भी इस समस्या का स्थाई समाधान अभी तक नहीं निकल पाया। यह उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा शिप्रा के जल की स्थिति को देखते हुए इसक ा एक समाधान निकाला था और शिप्रा में नर्मदा को मिलाने के उद्देश्य से नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना के द्वारा शिप्रा में नर्मदा मिलाकर पर्याप्त जल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई थी लेकिन साधु हैं यह मानने को तैयार नहीं हैं कि वह शिप्रा में मिले नर्मदा जल से स्नान करेंगे हालांकि इस मुद्दे को लेकर तत्काली न सिंहस्थ के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के कार्यकाल के दौरान साधु-संतों ने इसका विरोध किया था तो उस समय विजयगर्वीय ने साधु-संतों को यह आश्वासन देकर शांत कर दिया था कि शिप्रा को जीवित रखने के लिये शिप्रा में कुएं खोदे जाएंगे उससे इस समस्या का हल हो जाएगा लेकिन विजयवर्गीय हट गए तो उनके साथ ही उनका यह आश्वासन की ओर प्रशासन में बैठे अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया, शिप्रा अनुष्ठान से जुड़े लोगों का यह मानना है कि नर्मदा का पानी लाकर शिप्रा के अस्तित्व को समाप्त करने की साजिश है, जबकि पर्यावरणविद् राजेन्द्र सिंह भी इस मामले को लेकर यह कह चुके हैं कि नदियों के संरक्षण के लिये नदियों में कुएं खोदे जाएं उन्होंने शिप्रा के उद्गम स्थल से लेकर उज्जैन तक नदी में कुए खोदकर शिप्रा जल संरक्षण का सुझाव दिया था लेकिन उनके इस सुझाव को भी शासन ने दरकिनार कर दिया और इसको लेकर कोई कार्ययोजना नहीं बनाई गई स्थिति यह है कि ज्यों-ज्यों सिंहस्थ करीब आता जा रहा है त्यों-त्यों साधुओं की यह मांग जोर पकड़ रही है कि शिप्रा भू-गर्भ जल से सिंहस्थ में साधु-संतों को स्नान कराने की व्यवस्था की जाए। यह उल्लेखनीय है कि नागा साधुओं द्वारा नर्मदा को लांघने तक की प्रथा नहीं है तो वह राज्य शासन द्वारा नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना के द्वारा लाये गये नर्मदा का जो पानी शिप्रा में मिलाया जा रहा है उससे कैसे स्नान करेंगे, देखना अब यह है कि शिप्रा जल में स्नान कराने को लेकर जहां साधु-संत अड़े हुए हैं तो वहीं शासन और प्रशासन के पास उन्हें हर बार आश्वासन दिया जा रहा है। अब इस समस्या का हल कब तक निकलता है इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं।
भोपाल । ज्यों ज्यों सिंहस्थ करीब आता जा रहा है त्यों-त्यों साधु-संतों में शिप्रा भू-गर्भजल से सिंहस्थ में साधु-संतों में स्नान कराने की मांग को लेकर आक्रोश पनपता जा रहा है स्थिति यह है कि इसकी मांग को लेकर संत गणेश प्रसाद जी महाराज अनशन पर बैठ गए हालांकि इसके पहले भी वह इस मुद्दे को लेकर उज्जैन से भोपाल और भोपाल से दिल्ली तक सत्याग्रह कर चुके हैं, लेकिन बार-बार आश्वासन देने के बावजूद भी इस समस्या का स्थाई समाधान अभी तक नहीं निकल पाया। यह उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा शिप्रा के जल की स्थिति को देखते हुए इसक ा एक समाधान निकाला था और शिप्रा में नर्मदा को मिलाने के उद्देश्य से नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना के द्वारा शिप्रा में नर्मदा मिलाकर पर्याप्त जल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई थी लेकिन साधु हैं यह मानने को तैयार नहीं हैं कि वह शिप्रा में मिले नर्मदा जल से स्नान करेंगे हालांकि इस मुद्दे को लेकर तत्काली न सिंहस्थ के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के कार्यकाल के दौरान साधु-संतों ने इसका विरोध किया था तो उस समय विजयगर्वीय ने साधु-संतों को यह आश्वासन देकर शांत कर दिया था कि शिप्रा को जीवित रखने के लिये शिप्रा में कुएं खोदे जाएंगे उससे इस समस्या का हल हो जाएगा लेकिन विजयवर्गीय हट गए तो उनके साथ ही उनका यह आश्वासन की ओर प्रशासन में बैठे अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया, शिप्रा अनुष्ठान से जुड़े लोगों का यह मानना है कि नर्मदा का पानी लाकर शिप्रा के अस्तित्व को समाप्त करने की साजिश है, जबकि पर्यावरणविद् राजेन्द्र सिंह भी इस मामले को लेकर यह कह चुके हैं कि नदियों के संरक्षण के लिये नदियों में कुएं खोदे जाएं उन्होंने शिप्रा के उद्गम स्थल से लेकर उज्जैन तक नदी में कुए खोदकर शिप्रा जल संरक्षण का सुझाव दिया था लेकिन उनके इस सुझाव को भी शासन ने दरकिनार कर दिया और इसको लेकर कोई कार्ययोजना नहीं बनाई गई स्थिति यह है कि ज्यों-ज्यों सिंहस्थ करीब आता जा रहा है त्यों-त्यों साधुओं की यह मांग जोर पकड़ रही है कि शिप्रा भू-गर्भ जल से सिंहस्थ में साधु-संतों को स्नान कराने की व्यवस्था की जाए। यह उल्लेखनीय है कि नागा साधुओं द्वारा नर्मदा को लांघने तक की प्रथा नहीं है तो वह राज्य शासन द्वारा नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना के द्वारा लाये गये नर्मदा का जो पानी शिप्रा में मिलाया जा रहा है उससे कैसे स्नान करेंगे, देखना अब यह है कि शिप्रा जल में स्नान कराने को लेकर जहां साधु-संत अड़े हुए हैं तो वहीं शासन और प्रशासन के पास उन्हें हर बार आश्वासन दिया जा रहा है। अब इस समस्या का हल कब तक निकलता है इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं।