अवधेश पुरोहित @ toc news
भोपाल. लोकतंत्र में भले ही हमारे जनप्रतिनिधि यह ढिंढोरा पीटते नजर आएं कि वह राजनीति में सेवा करने के लिए आये हैं और उनकी दरिद्र नारायण की सेवा करने का ही संकल्प है, लेकिन यह संकल्प और दरिद्र नारायण की सेवा का ढिंढोरा पीटने वाले जनप्रतिनिधियों की क्या स्थिति है इसका जीता-जागता उदाहरण है मध्यप्रदेश जो कि पहले से ही कर्ज की मार झेल रहा है और ऐसी स्थिति में हमारे लोकतंत्र के आधुनिक राजा जो कि जनता हमारी भगवान है और हम उनके सेवक होने का ढिंढोरा पीटते रहते हैं वह आधुनिक सामंत सुख सुविधाएं भोगने के लिए कितने आतुर रहते हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण है मध्यप्रदेश सरकार के मुखिया जो पिछले दिनों तक यह घोषणा कर चुके थे कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मद्देनजर रखते हुए वह अपने वेतनवृद्धि का प्रस्ताव नहीं लाएंगे, यही नहीं किसान फसल बर्बादी से परेशान हैं इस पर ओलावृष्टि के कारण उसकी खड़ी फसल बर्बाद हो गई इन किसानों को मुआवजा देना है, सिंहस्थ में बड़ी राशि खर्च करनी है, ऐसे हालत में प्रदेश की तंगहाली हालत और कर्ज की फिक्र नहीं बल्कि हमारे ये जनप्रतिनिधि जो कि जनता का हितैषी होने का ढिंढोरा पीटते हैं वह तमाम ना नुकुर करने की नौटंकी करने के बावजूद भी अपनी वेतनवृद्धि करने जा रहे हैं इससे खस्ताहाल दौर से गुजर रहे राज्य पर एक बोझ हमारे इन आधुनिक सामंत जो कि जनता के हितैषी होने का दावा करते हैं उनका बोझ भी इस प्रदेश की जनता को झेलना पड़ेगा। मजे की बात यह है कि यह जनता के सेवक होने का दावा करने वाले जनप्रतिनिधियों की स्थिति यह है कि हाल ही में प्रदेश के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के हित में न्यायालय के इस निर्णय को भी दरकिनार करते हुए कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को वेतन दिया जाए लेकिन उन हजारों दैवेभो की रोजी रोटी की परवाह न करते हुए, सबसे पहले इन जनता के सेवकों यानि हमारे जनप्रतिनिधियों ने अपनी वेतनवृद्धि बढ़ाने में ज्यादा रुचि ली। मजे की बात यह है कि जहां एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर वित्तमंत्री और संसदीय सचिव विधायकों की वेतनवृद्धि करने की तैयारी में हैं तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश के कई विधायक इस वृद्धि का विरोध भी करते नजर आए हैं इन विधायकों में कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के कई विधायक भी शामिल हैं इन विधायकों का कहना है कि पहले ही हम अपने कारोबार का हिसाब रखते-रखते इनकम टैक्स से परेशान हैं और अब इसका भी हिसाब रखना पड़ता है, तो कई विधायकों को जब उनकी वेतनवृद्धि बढऩे को लेकर जब लोग उन्हें बधाई देते नजर आए तो कई विधायक हाथ जोड़कर यह भी कहते नजर आए कि भैया हमें नहीं चाहिए बढ़ी हुई वेतन, क्योंकि राज्य की क्या स्थिति है इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है और ऐसी स्थिति में हमारा वेतन बढ़ाने को हम लोग कतई उचित नहीं मान रहे हैं, इस तरह की बात कहने वालों में कांग्रेस के नहीं बल्कि भाजपा के विधायक भी शामिल हैं और इन विधायकों की संख्या काफी अधिक है जो प्रदेश की वर्तमान हालत और राज्य की परिस्थितियों को देखकर यह कहते दिखाई दे रहे हैं लेकिन मजे की बात यह है कि लोकतंत्र के यह सामंत जो अपने आपको जनता का हितैषी और दरिद्र नारायण की सेवा करने का ढिंढोरा पीट नौटंकी करते दिखाई देते हैं, उन्हें शायद इस राज्य की ना तो आर्थिक स्थिति का ध्यान है औरन इस वेतनवृद्धि से पडऩे वाले बोझ का, हाँ यह जरूर है कि इसके लिये और कर्ज ले लिया जाएगा और परसम्पत्ति गिरवी रखी जाएगी या बेची जाएगी मगर अपनी सुख सुविधाओं में कमी नहीं आने देंगे।
🇮🇳मप्र:-मालामाल होंगे मंत्री और विधायक, वेतन-भत्ते बढ़ाने को कैबिनेट की मंजूरी
🔴मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट ने मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायकों के वेतन-भत्ते बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. मुख्यमंत्री का वेतन अब 1.43 लाख रुपए से बढ़कर दो लाख रुपए हो जाएगा.
आज हुयी कैबिनेट की बैठक में वेतन-भत्ते को मिली मंजूरी के बाद अब मंत्रियों और विधायको का वेतन इस प्रकार होगा:-
🔴मुख्यमंत्री का वेतन 1.43 लाख से बढ़कर 2 लाख
🔴विधायकों का वेतन 71 हजार से बढ़कर 1 लाख 10 हजार
🔴मंत्रियों का वेतन 1.20 लाख से 1.70 लाख हुआ
🔴राज्यमंत्रियों का वेतन 1.3 लाख से बढ़कर 1.50 लाख
🔴विस अध्यक्ष का वेतन 1.20 लाख से बढ़कर 1.85 लाख
भोपाल. लोकतंत्र में भले ही हमारे जनप्रतिनिधि यह ढिंढोरा पीटते नजर आएं कि वह राजनीति में सेवा करने के लिए आये हैं और उनकी दरिद्र नारायण की सेवा करने का ही संकल्प है, लेकिन यह संकल्प और दरिद्र नारायण की सेवा का ढिंढोरा पीटने वाले जनप्रतिनिधियों की क्या स्थिति है इसका जीता-जागता उदाहरण है मध्यप्रदेश जो कि पहले से ही कर्ज की मार झेल रहा है और ऐसी स्थिति में हमारे लोकतंत्र के आधुनिक राजा जो कि जनता हमारी भगवान है और हम उनके सेवक होने का ढिंढोरा पीटते रहते हैं वह आधुनिक सामंत सुख सुविधाएं भोगने के लिए कितने आतुर रहते हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण है मध्यप्रदेश सरकार के मुखिया जो पिछले दिनों तक यह घोषणा कर चुके थे कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मद्देनजर रखते हुए वह अपने वेतनवृद्धि का प्रस्ताव नहीं लाएंगे, यही नहीं किसान फसल बर्बादी से परेशान हैं इस पर ओलावृष्टि के कारण उसकी खड़ी फसल बर्बाद हो गई इन किसानों को मुआवजा देना है, सिंहस्थ में बड़ी राशि खर्च करनी है, ऐसे हालत में प्रदेश की तंगहाली हालत और कर्ज की फिक्र नहीं बल्कि हमारे ये जनप्रतिनिधि जो कि जनता का हितैषी होने का ढिंढोरा पीटते हैं वह तमाम ना नुकुर करने की नौटंकी करने के बावजूद भी अपनी वेतनवृद्धि करने जा रहे हैं इससे खस्ताहाल दौर से गुजर रहे राज्य पर एक बोझ हमारे इन आधुनिक सामंत जो कि जनता के हितैषी होने का दावा करते हैं उनका बोझ भी इस प्रदेश की जनता को झेलना पड़ेगा। मजे की बात यह है कि यह जनता के सेवक होने का दावा करने वाले जनप्रतिनिधियों की स्थिति यह है कि हाल ही में प्रदेश के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के हित में न्यायालय के इस निर्णय को भी दरकिनार करते हुए कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को वेतन दिया जाए लेकिन उन हजारों दैवेभो की रोजी रोटी की परवाह न करते हुए, सबसे पहले इन जनता के सेवकों यानि हमारे जनप्रतिनिधियों ने अपनी वेतनवृद्धि बढ़ाने में ज्यादा रुचि ली। मजे की बात यह है कि जहां एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर वित्तमंत्री और संसदीय सचिव विधायकों की वेतनवृद्धि करने की तैयारी में हैं तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश के कई विधायक इस वृद्धि का विरोध भी करते नजर आए हैं इन विधायकों में कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के कई विधायक भी शामिल हैं इन विधायकों का कहना है कि पहले ही हम अपने कारोबार का हिसाब रखते-रखते इनकम टैक्स से परेशान हैं और अब इसका भी हिसाब रखना पड़ता है, तो कई विधायकों को जब उनकी वेतनवृद्धि बढऩे को लेकर जब लोग उन्हें बधाई देते नजर आए तो कई विधायक हाथ जोड़कर यह भी कहते नजर आए कि भैया हमें नहीं चाहिए बढ़ी हुई वेतन, क्योंकि राज्य की क्या स्थिति है इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है और ऐसी स्थिति में हमारा वेतन बढ़ाने को हम लोग कतई उचित नहीं मान रहे हैं, इस तरह की बात कहने वालों में कांग्रेस के नहीं बल्कि भाजपा के विधायक भी शामिल हैं और इन विधायकों की संख्या काफी अधिक है जो प्रदेश की वर्तमान हालत और राज्य की परिस्थितियों को देखकर यह कहते दिखाई दे रहे हैं लेकिन मजे की बात यह है कि लोकतंत्र के यह सामंत जो अपने आपको जनता का हितैषी और दरिद्र नारायण की सेवा करने का ढिंढोरा पीट नौटंकी करते दिखाई देते हैं, उन्हें शायद इस राज्य की ना तो आर्थिक स्थिति का ध्यान है औरन इस वेतनवृद्धि से पडऩे वाले बोझ का, हाँ यह जरूर है कि इसके लिये और कर्ज ले लिया जाएगा और परसम्पत्ति गिरवी रखी जाएगी या बेची जाएगी मगर अपनी सुख सुविधाओं में कमी नहीं आने देंगे।
🇮🇳मप्र:-मालामाल होंगे मंत्री और विधायक, वेतन-भत्ते बढ़ाने को कैबिनेट की मंजूरी
🔴मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट ने मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायकों के वेतन-भत्ते बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. मुख्यमंत्री का वेतन अब 1.43 लाख रुपए से बढ़कर दो लाख रुपए हो जाएगा.
आज हुयी कैबिनेट की बैठक में वेतन-भत्ते को मिली मंजूरी के बाद अब मंत्रियों और विधायको का वेतन इस प्रकार होगा:-
🔴मुख्यमंत्री का वेतन 1.43 लाख से बढ़कर 2 लाख
🔴विधायकों का वेतन 71 हजार से बढ़कर 1 लाख 10 हजार
🔴मंत्रियों का वेतन 1.20 लाख से 1.70 लाख हुआ
🔴राज्यमंत्रियों का वेतन 1.3 लाख से बढ़कर 1.50 लाख
🔴विस अध्यक्ष का वेतन 1.20 लाख से बढ़कर 1.85 लाख