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उज्जैन में आयोजित विचार कुंभ का हुआ शुभारंभ
उज्जैन। उज्जैन के निनौरा में तीन दिनी वैचारिक महाकुंभ का शुभारंभ गुरुवार को हुआ। विचार मंथन को संबोधित करते हुए स्वामी अवधेशानंद गिरी ने समाज में बढ़ रहे उपभोक्तावाद और अंग प्रदर्शन पर चिंता जताई और सकारात्मकता का संदेश दिया।
उज्जैन। उज्जैन के निनौरा में तीन दिनी वैचारिक महाकुंभ का शुभारंभ गुरुवार को हुआ। विचार मंथन को संबोधित करते हुए स्वामी अवधेशानंद गिरी ने समाज में बढ़ रहे उपभोक्तावाद और अंग प्रदर्शन पर चिंता जताई और सकारात्मकता का संदेश दिया।
विचार कुंभ की खास बातें...
– विचार कुंभ का शुभारंभ वंदे मातरम् से हुआ। मंच पर संघ प्रमुख मोहन भागवत, सीएम शिवराजसिंह चौहान, जूना अखाड़े के पीठाधीश अवधेशानंद गिरि, गायत्री परिवार के प्रमुंख डॉ. प्रणव पंड्या, बौद्ध गुरु बेन बानगल थेरो और सांसद अनिल दवे मौजूद थे।
– विचार कुंभ का शुभारंभ वंदे मातरम् से हुआ। मंच पर संघ प्रमुख मोहन भागवत, सीएम शिवराजसिंह चौहान, जूना अखाड़े के पीठाधीश अवधेशानंद गिरि, गायत्री परिवार के प्रमुंख डॉ. प्रणव पंड्या, बौद्ध गुरु बेन बानगल थेरो और सांसद अनिल दवे मौजूद थे।
स्वामी अवधेशानंद बोले..
भारतीय समाज में बढ़ रहा उपभोक्तावाद और अंगप्रदर्शन चिंता का विषय है। हमें समाज को सकारात्मक दिशा देनी होगी। उन्होंने नदी औश्र पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करने की जरूरत बताई। साथ ही कहा कि हमारे पास 5 लाख साधु-संत है। नदी बचाने और पौधे लगाने के लिए ये सब सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तत्पर हैं।
संघ प्रमुख् बोले…
भारत भूमि में सभी संप्रदायों को समेटने की ताकत और सामर्थ्य है। भारत माता हमारी जीवन दायिनी है। इसलिए भारत की विविधता को अलंकार के रूप में देखना चाहिए। विविधता का सम्मान किय जाना चाहिए। व्यवस्था शोषण मुक्त होनी चाहिए।
डॉ. प्रणव पंड्या ने कहा…
विचार कुंभ के आयोजन के लिए सीएम शिवराजसिंह चौहान को बधाई दी। इस विचार मंथन से निकलने निष्कर्ष ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी मानवता के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगीं।
भारतीय समाज में बढ़ रहा उपभोक्तावाद और अंगप्रदर्शन चिंता का विषय है। हमें समाज को सकारात्मक दिशा देनी होगी। उन्होंने नदी औश्र पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करने की जरूरत बताई। साथ ही कहा कि हमारे पास 5 लाख साधु-संत है। नदी बचाने और पौधे लगाने के लिए ये सब सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तत्पर हैं।
संघ प्रमुख् बोले…
भारत भूमि में सभी संप्रदायों को समेटने की ताकत और सामर्थ्य है। भारत माता हमारी जीवन दायिनी है। इसलिए भारत की विविधता को अलंकार के रूप में देखना चाहिए। विविधता का सम्मान किय जाना चाहिए। व्यवस्था शोषण मुक्त होनी चाहिए।
डॉ. प्रणव पंड्या ने कहा…
विचार कुंभ के आयोजन के लिए सीएम शिवराजसिंह चौहान को बधाई दी। इस विचार मंथन से निकलने निष्कर्ष ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी मानवता के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगीं।
ये हैं विचार के चार कुंभ
शक्ति कुंभ- 70 से ज्यादा देशों में असंतुलित लिंगानुपात की चुनौती।
स्वच्छता कुंभ- विश्व की 40 फीसदी आबादी अभी तक बुनियादी स्वच्छता के बगैर।
कृषि कुंभ- मिट्टी की उर्वरता, संरचना व संरक्षण व क्षरण।
कुटीर कुंभ- कुटीर उद्योगों की स्थिति व विकास।
शक्ति कुंभ- 70 से ज्यादा देशों में असंतुलित लिंगानुपात की चुनौती।
स्वच्छता कुंभ- विश्व की 40 फीसदी आबादी अभी तक बुनियादी स्वच्छता के बगैर।
कृषि कुंभ- मिट्टी की उर्वरता, संरचना व संरक्षण व क्षरण।
कुटीर कुंभ- कुटीर उद्योगों की स्थिति व विकास।