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भोपाल- मप्र सरकार ने तीन बीज कंपनियाें का लाइसेंस निरस्त करते हुए उनके खिलाफ एफआईआर करवाई है। इसमें प्रदेश की सबसे बड़ी बीज कंपनी ईगल सीड्स भी शामिल है। एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट ने दो कंपनियों के लाइसेंस भी रद्द कर दिए हैं, वहीं एक कंपनी का लाइसेंस निलंबित किया गया है। ये कंपनियां अब मप्र में बीज नहीं बेच पाएंगी। एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव राजेश राजौरा के मुताबिक, बीज प्रमाणीकरण अधिकारियों को छापे के दौरान इन कंपनियों के पास सर्टिफाइड बीज के नकली टैग मिले थे। मप्र की सबसे बड़ी बीज कंपनी ईगल सीड्स और सेठी सीड्स के खिलाफ खंडवा में एफआईआर हुई है,
वहीं अंबिका सीड्स एंड एग्रोटेक के खिलाफ खंडवा में एफआईआर दर्ज की गई है। इन कंपनियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3 और 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है। सबसे बड़ी सोयाबीन बीज उत्पादक कंपनी ईगल सीड्स देश की सबसे बड़ी बीज उत्पादक कंपनी है। इस कंपनी के पास भी फर्जी टैग मिले थे। बीज बेचने के लिए कंपनी का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। यह कंपनी गुजरात, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में व्यापार करती थी। राजेश राजौरा ने बताया कि ये कंपनियां मप्र में व्यापार नहीं कर सकें, इसके लिए सभी जिलों के कलेक्टर को लेटर लिखा गया है।
भोपाल- मप्र सरकार ने तीन बीज कंपनियाें का लाइसेंस निरस्त करते हुए उनके खिलाफ एफआईआर करवाई है। इसमें प्रदेश की सबसे बड़ी बीज कंपनी ईगल सीड्स भी शामिल है। एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट ने दो कंपनियों के लाइसेंस भी रद्द कर दिए हैं, वहीं एक कंपनी का लाइसेंस निलंबित किया गया है। ये कंपनियां अब मप्र में बीज नहीं बेच पाएंगी। एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव राजेश राजौरा के मुताबिक, बीज प्रमाणीकरण अधिकारियों को छापे के दौरान इन कंपनियों के पास सर्टिफाइड बीज के नकली टैग मिले थे। मप्र की सबसे बड़ी बीज कंपनी ईगल सीड्स और सेठी सीड्स के खिलाफ खंडवा में एफआईआर हुई है,
वहीं अंबिका सीड्स एंड एग्रोटेक के खिलाफ खंडवा में एफआईआर दर्ज की गई है। इन कंपनियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3 और 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है। सबसे बड़ी सोयाबीन बीज उत्पादक कंपनी ईगल सीड्स देश की सबसे बड़ी बीज उत्पादक कंपनी है। इस कंपनी के पास भी फर्जी टैग मिले थे। बीज बेचने के लिए कंपनी का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। यह कंपनी गुजरात, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में व्यापार करती थी। राजेश राजौरा ने बताया कि ये कंपनियां मप्र में व्यापार नहीं कर सकें, इसके लिए सभी जिलों के कलेक्टर को लेटर लिखा गया है।