अवधेश पुरोहित @ Toc News
भोपाल । पिछले कुछ दिनों से राज्य में भ्रष्टाचार और भ्रष्ट नौकरशाही को लेकर तमाम तरह की बातें सामने आई, एक ओर जहां राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुखाग्र बिन्दु से भ्रष्ट अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा का जुमला लोग वर्षों से सुन रहे हैं लेकिन अभी तक कितने भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही की गई और कितने भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही किये जाने की स्वीकृति की लोकायुक्त द्वारा भेजी गई फाइल मुख्यमंत्री क्यों दबाकर बैठे हैं?
यह सवाल भी खड़ा होता है। यदि मुख्यमंत्री यह चाहते हैं कि भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही हो तो लोकायुक्त की फाइल कई महीनों से क्यों उनके कार्यालय में पड़ी हुई है। इसको लेकर भी तमाम तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं, मजे की बात यह है कि पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार और भ्रष्ट नौकरशाही का अलाप संघ से लेकर शिवराज मंत्रीमण्डल के मंत्री और जनप्रतिनिधि तक अलापे हुए हैं, तो वहीं राज्य के तेजतर्रार ग्रामीण विकास मंत्री का यह दावा कि वह वर्षों तक विपक्ष में रहे हैं लेकिन इतना भ्रष्टाचार कभी नहीं देखा? यह सवाल खड़े करता है कि जो भाजपा पूर्व कांग्रेसी शासनकाल में व्याप्त भ्रश्टाचार से त्रस्त इस प्रदेश की जनता से यह वायदा करके सत्ता में काबिज हुई थी कि वह भय भूख और भ्रष्टाचार मुक्त इस प्रदेश को प्रशासन दिलायेंगे? लेकिन २००३ से लेकर आज तक भारतीय जनता पार्टी को सरकार पर प्रदेश की सत्ता में काबिज हुए लगभग १३ वर्ष का समय बीत गया है,
ऐसा नहीं कि इन १३ वर्षों में भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर उनके मंत्रीमण्डल के सदस्यों द्वारा भ्रष्टाचार के बारे में समय-समय पर कुछ न कुछ बोला हो, लेकिन यह सब बयानबाजी तक ही सीमित रही, कोई ऐसा सार्थक कदम इस सरकार द्वारा नहीं उठाया गया कि प्रदेश की जनता से किये गये भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाया गया कोई कदम इस प्रदेश की जनता को दिखाई दिया हो, आज जब भाजपा की सरकार की कार्यप्रणाली और उसकी गिरती साख को लेकर जब संघ की नींद खुली और यह परिणाम सामने आए कि यदि यही स्थिति रही तो प्रदेश में २०१८ के चुनाव में इस प्रदेश से भाजपा की विदाई लगभग तय है।
भाजपा की साख गिरते देख और भाजपा सरकार के पतन के आभास को देख अब सभी की नींद उड़ गई है और हर कोई भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार का राग अलापने लगा है। मजे की बात यह है कि भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री जो कि वर्षों तक इस प्रदेश में सत्ता के भागीदार रहे हैं उन्होंनें भी इसी दौर में यह कहने में परहेज नहीं किया कि मध्यप्रदेश में ऊपर से लेकर नीचे तक सभी भ्रष्ट हैं, कैलाश विजयवर्गीय के इस बयान के बाद यह सवाल उठता है कि आखिर प्रदेश में ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार की गंगोत्री किसके संरक्षण में बह रही है आखिर इसके पीछे कौन है? इसको लेकर जहां संघ चिंतित है तो प्रदेश के सत्ताधीश भी चिंतित हैं।
ऐसा नहीं है कि २००३ से लेकर आज तक प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री का ध्यान आखिर सिद्ध न कराया हो लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर मुख्यमंत्री के द्वारा भ्रष्टाचार को लेकर संघ के नेताओं और जनप्रतिनिधियों के द्वारा उठाये गये मामलों को गंभीरता से क्यों नहीं लिया, इसके पीछे क्या कारण रहे यह मुख्यमंत्री ही जाने, मगर आज जब भाजपा सरकार की गिरती साख का सवाल आया तो सभी एक ही स्वर में भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार चिल्लाने लगे।
सवाल यह उठता है कि इस प्रदेश में जहां भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान सदी का सबसे बड़ा महाघोटाला व्यापमं घोटाले से लेकर शायद ही ऐसी कोई सरकारी योजना बची हो जो भ्रष्टाचार से अछूती रही हो, ऐसा दिखाई नहीं देता, मजे की बात यह है कि जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जाएगा का राग अलापते रहते हैं उन्हीं मुख्यमंत्री की विधानसभा क्षेत्र बुदनी में भी कई ऐसे घोटाले हुए हैं तो वहीं उनके जिले से किसानों के लिये चलाये गई योजना बलराम तालाब के तहत ३९ बलराम तालाब कागजों में बन गए इसके बाद भी इन भ्रष्टाचारों से जुड़े अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं होना इस बात का सूचक है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भ्रष्टाचार के प्रति कितने गंभीर हैं,
इन्हीं भ्रष्टाचार के खिलाफ राग अलापने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बुधनी क्षेत्र में बनी लोक निर्माण विभाग की सड़कों के निर्माण में जिस अधिकारी ने करोड़ों के घोटाले को अंजाम दिया, उस अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने की बजाए उसे सिंहस्थ में करोड़ों के काम कराने की जिम्मेदारी देना इस बात का संकेत है कि मुख्यमंत्री स्वयं भ्रष्टाचारियों के संरक्षक हैं। हालांकि यह सब मुख्यमंत्री के सत्ता पर १२ साल काबिज होने के बाद सामने आ रहा है लेकिन मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का जैसे आरोप २८ सितम्बर २००७ को राज्य के तत्कालीन भारतीय जनशक्ति के महामंत्री प्रहलाद पटैल द्वारा लिखे गये मुख्यमंत्री को एक पत्र में यह साफ कहा गया था कि आप बहुरूपिये हो गये हैं मैं तो मानता था कि आप स्वयं दागदार नहीं हैं। लेकिन आज के बाद मेरी धारणा बदल गई है आप स्वयं भ्रष्टाचार के जनक हैं, आपकी कमजोरी, आपके निर्णय न कर पाने की प्रवृत्ति और अब झूठ बोलना, आर्थिक अपराधियों को खुला संरक्षण दे रहा है, आपका विकास का ढोल भूखों की भूख तो भले ही समाप्त नहीं कर पा रहा हो लेकिन भ्रष्टाचािरयों को संरक्षण जरूर दे रहा है,
२००७ में लिखे मुख्यमंत्री को प्रहलाद पटेल के इस पत्र के एक-एक शब्द आज भी इस बात का संकेत दे रहे हैं कि मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कितने गंभीर हैं, अब सवाल यह उठता है कि जब राज्य के उनके मंत्रमण्डल के सदस्य गोपाल भार्गव का यह कहना कि वह विपक्ष में रहे लेकिन इतना भ्रष्टाचार तब नहीं देखा यह बात प्रमाणित करता है कि जिस कांग्रेसी शासन के भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा के नेता सड़क से लेकर सदन तक हंगामा किया करते थे आज वह जब सत्ता में हैं तो भ्रष्टाचार अब उनके लिये कोई मायने नहीं रखता, इसका जीता जागता उदाहरण है राज्य में शिवराज सरकार के दौरान ऐसे भाजपाई नेताओं और सत्ताधीशों की आय में लगातार वृद्धि होना इस बात का प्रमाण है कि यह सब खेल भ्रष्टाचार की बदौलती ही धड़ल्ले से चल रहा है लेकिन इस सबके बीच यह सवाल उठता है कि जब वर्षों बाद संघ के कर्ताधर्ता और भाजपा सरकार के मुखिया और उनके मंत्रीमण्डल के सदस्य और राज्य के जनप्रतिनिधि राज्य की नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर चिंतित हैं तो भ्रष्टाचार की इस गंगोत्री को रोकने की दिशा में कोई सार्थक कदम उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
सवाल यह भी उठता है कि जब इस प्रदेश में न तो मुख्यमंत्री भ्रष्टाचारियों के संरक्षक हैं और न ही उनके मंत्रीमण्डल के सदस्य और जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ संघ भी भ्रष्टाचार को लेकर इतनी चिंतित है तो आखिर वह कौनसी अदृश्य शक्ति है जिसके संरक्षण में इस प्रदेश में भ्रष्टाचार दिन दूना रात चौगुना पनप रहा है और राज्य के सत्ताधीश उस पर लगाम नहीं कस पा रहे हैं। इस अदृश्य शक्ति की खोज में हर कोई लगा हुआ है कि आखिर राज्य में भ्रष्टाचार को पनपाने वाली हव अदृश्य शक्ति कौन है जिसके संरक्षण में इस प्रदेश में भ्रष्टाचार पनप रहा है। पाठकों से भी विनम्र अनुरोध है कि इस राज्य की आम जनता की भलाई को देखते हुए वह भी उस अदृश्य शक्ति की खोज में शासन में बैठे सत्ताधीशों की मदद करने में आगे आएं और इस प्रदेश से भ्रष्टाचार को समाप्त करने में राज्य के सत्ताधीशों को सहयोग करें ?
भोपाल । पिछले कुछ दिनों से राज्य में भ्रष्टाचार और भ्रष्ट नौकरशाही को लेकर तमाम तरह की बातें सामने आई, एक ओर जहां राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुखाग्र बिन्दु से भ्रष्ट अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा का जुमला लोग वर्षों से सुन रहे हैं लेकिन अभी तक कितने भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही की गई और कितने भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही किये जाने की स्वीकृति की लोकायुक्त द्वारा भेजी गई फाइल मुख्यमंत्री क्यों दबाकर बैठे हैं?
यह सवाल भी खड़ा होता है। यदि मुख्यमंत्री यह चाहते हैं कि भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही हो तो लोकायुक्त की फाइल कई महीनों से क्यों उनके कार्यालय में पड़ी हुई है। इसको लेकर भी तमाम तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं, मजे की बात यह है कि पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार और भ्रष्ट नौकरशाही का अलाप संघ से लेकर शिवराज मंत्रीमण्डल के मंत्री और जनप्रतिनिधि तक अलापे हुए हैं, तो वहीं राज्य के तेजतर्रार ग्रामीण विकास मंत्री का यह दावा कि वह वर्षों तक विपक्ष में रहे हैं लेकिन इतना भ्रष्टाचार कभी नहीं देखा? यह सवाल खड़े करता है कि जो भाजपा पूर्व कांग्रेसी शासनकाल में व्याप्त भ्रश्टाचार से त्रस्त इस प्रदेश की जनता से यह वायदा करके सत्ता में काबिज हुई थी कि वह भय भूख और भ्रष्टाचार मुक्त इस प्रदेश को प्रशासन दिलायेंगे? लेकिन २००३ से लेकर आज तक भारतीय जनता पार्टी को सरकार पर प्रदेश की सत्ता में काबिज हुए लगभग १३ वर्ष का समय बीत गया है,
ऐसा नहीं कि इन १३ वर्षों में भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर उनके मंत्रीमण्डल के सदस्यों द्वारा भ्रष्टाचार के बारे में समय-समय पर कुछ न कुछ बोला हो, लेकिन यह सब बयानबाजी तक ही सीमित रही, कोई ऐसा सार्थक कदम इस सरकार द्वारा नहीं उठाया गया कि प्रदेश की जनता से किये गये भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाया गया कोई कदम इस प्रदेश की जनता को दिखाई दिया हो, आज जब भाजपा की सरकार की कार्यप्रणाली और उसकी गिरती साख को लेकर जब संघ की नींद खुली और यह परिणाम सामने आए कि यदि यही स्थिति रही तो प्रदेश में २०१८ के चुनाव में इस प्रदेश से भाजपा की विदाई लगभग तय है।
भाजपा की साख गिरते देख और भाजपा सरकार के पतन के आभास को देख अब सभी की नींद उड़ गई है और हर कोई भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार का राग अलापने लगा है। मजे की बात यह है कि भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री जो कि वर्षों तक इस प्रदेश में सत्ता के भागीदार रहे हैं उन्होंनें भी इसी दौर में यह कहने में परहेज नहीं किया कि मध्यप्रदेश में ऊपर से लेकर नीचे तक सभी भ्रष्ट हैं, कैलाश विजयवर्गीय के इस बयान के बाद यह सवाल उठता है कि आखिर प्रदेश में ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार की गंगोत्री किसके संरक्षण में बह रही है आखिर इसके पीछे कौन है? इसको लेकर जहां संघ चिंतित है तो प्रदेश के सत्ताधीश भी चिंतित हैं।
ऐसा नहीं है कि २००३ से लेकर आज तक प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री का ध्यान आखिर सिद्ध न कराया हो लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर मुख्यमंत्री के द्वारा भ्रष्टाचार को लेकर संघ के नेताओं और जनप्रतिनिधियों के द्वारा उठाये गये मामलों को गंभीरता से क्यों नहीं लिया, इसके पीछे क्या कारण रहे यह मुख्यमंत्री ही जाने, मगर आज जब भाजपा सरकार की गिरती साख का सवाल आया तो सभी एक ही स्वर में भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार चिल्लाने लगे।
सवाल यह उठता है कि इस प्रदेश में जहां भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान सदी का सबसे बड़ा महाघोटाला व्यापमं घोटाले से लेकर शायद ही ऐसी कोई सरकारी योजना बची हो जो भ्रष्टाचार से अछूती रही हो, ऐसा दिखाई नहीं देता, मजे की बात यह है कि जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जाएगा का राग अलापते रहते हैं उन्हीं मुख्यमंत्री की विधानसभा क्षेत्र बुदनी में भी कई ऐसे घोटाले हुए हैं तो वहीं उनके जिले से किसानों के लिये चलाये गई योजना बलराम तालाब के तहत ३९ बलराम तालाब कागजों में बन गए इसके बाद भी इन भ्रष्टाचारों से जुड़े अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं होना इस बात का सूचक है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भ्रष्टाचार के प्रति कितने गंभीर हैं,
इन्हीं भ्रष्टाचार के खिलाफ राग अलापने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बुधनी क्षेत्र में बनी लोक निर्माण विभाग की सड़कों के निर्माण में जिस अधिकारी ने करोड़ों के घोटाले को अंजाम दिया, उस अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने की बजाए उसे सिंहस्थ में करोड़ों के काम कराने की जिम्मेदारी देना इस बात का संकेत है कि मुख्यमंत्री स्वयं भ्रष्टाचारियों के संरक्षक हैं। हालांकि यह सब मुख्यमंत्री के सत्ता पर १२ साल काबिज होने के बाद सामने आ रहा है लेकिन मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का जैसे आरोप २८ सितम्बर २००७ को राज्य के तत्कालीन भारतीय जनशक्ति के महामंत्री प्रहलाद पटैल द्वारा लिखे गये मुख्यमंत्री को एक पत्र में यह साफ कहा गया था कि आप बहुरूपिये हो गये हैं मैं तो मानता था कि आप स्वयं दागदार नहीं हैं। लेकिन आज के बाद मेरी धारणा बदल गई है आप स्वयं भ्रष्टाचार के जनक हैं, आपकी कमजोरी, आपके निर्णय न कर पाने की प्रवृत्ति और अब झूठ बोलना, आर्थिक अपराधियों को खुला संरक्षण दे रहा है, आपका विकास का ढोल भूखों की भूख तो भले ही समाप्त नहीं कर पा रहा हो लेकिन भ्रष्टाचािरयों को संरक्षण जरूर दे रहा है,
२००७ में लिखे मुख्यमंत्री को प्रहलाद पटेल के इस पत्र के एक-एक शब्द आज भी इस बात का संकेत दे रहे हैं कि मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कितने गंभीर हैं, अब सवाल यह उठता है कि जब राज्य के उनके मंत्रमण्डल के सदस्य गोपाल भार्गव का यह कहना कि वह विपक्ष में रहे लेकिन इतना भ्रष्टाचार तब नहीं देखा यह बात प्रमाणित करता है कि जिस कांग्रेसी शासन के भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा के नेता सड़क से लेकर सदन तक हंगामा किया करते थे आज वह जब सत्ता में हैं तो भ्रष्टाचार अब उनके लिये कोई मायने नहीं रखता, इसका जीता जागता उदाहरण है राज्य में शिवराज सरकार के दौरान ऐसे भाजपाई नेताओं और सत्ताधीशों की आय में लगातार वृद्धि होना इस बात का प्रमाण है कि यह सब खेल भ्रष्टाचार की बदौलती ही धड़ल्ले से चल रहा है लेकिन इस सबके बीच यह सवाल उठता है कि जब वर्षों बाद संघ के कर्ताधर्ता और भाजपा सरकार के मुखिया और उनके मंत्रीमण्डल के सदस्य और राज्य के जनप्रतिनिधि राज्य की नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर चिंतित हैं तो भ्रष्टाचार की इस गंगोत्री को रोकने की दिशा में कोई सार्थक कदम उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
सवाल यह भी उठता है कि जब इस प्रदेश में न तो मुख्यमंत्री भ्रष्टाचारियों के संरक्षक हैं और न ही उनके मंत्रीमण्डल के सदस्य और जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ संघ भी भ्रष्टाचार को लेकर इतनी चिंतित है तो आखिर वह कौनसी अदृश्य शक्ति है जिसके संरक्षण में इस प्रदेश में भ्रष्टाचार दिन दूना रात चौगुना पनप रहा है और राज्य के सत्ताधीश उस पर लगाम नहीं कस पा रहे हैं। इस अदृश्य शक्ति की खोज में हर कोई लगा हुआ है कि आखिर राज्य में भ्रष्टाचार को पनपाने वाली हव अदृश्य शक्ति कौन है जिसके संरक्षण में इस प्रदेश में भ्रष्टाचार पनप रहा है। पाठकों से भी विनम्र अनुरोध है कि इस राज्य की आम जनता की भलाई को देखते हुए वह भी उस अदृश्य शक्ति की खोज में शासन में बैठे सत्ताधीशों की मदद करने में आगे आएं और इस प्रदेश से भ्रष्टाचार को समाप्त करने में राज्य के सत्ताधीशों को सहयोग करें ?