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यह हैं IG डीसी सागर। क्रिमिनल्स हों या नक्सली, इनके नाम भर से कांप उठते हैं। डीसी सागर की छवि महकमे में फिल्मी पुलिस वाले जैसी है। आईजी होने के बाद भी वे ऑफिस में बैठने के बजाय ज्यादातर वक्त फील्ड पर दिखाई देते रहे हैं।
कभी साइकिल से गश्ती तो कभी बंदूक थामकर पहुंच जाते हैं जंगलों में:
नक्सल इलाका हो, तो पुलिस को आधुनिक हथियारों के साथ-साथ पॉवरफुल वाहनों की जरूरत भी होती है। हर कदम पर जहां नक्सली खतरा हो, वहां ये जान खतरे में डालकर कभी साइकिल से तो कभी नाव से गश्त करने निकल जाते थे। कभी वे बंदूक तानकर जंगल में जवानों के बीच पहुंच जाते, तो कभी खुद चेक पोस्ट पर चेकिंग करने लगते।
1992 बैच के आईपीएस हैं डीसी सागर:
1992 बैच के आईपीएस डीसी सागर ने IPS सर्विस मीट (जनवरी, 2016) के दौरान बताया था कि, 'दफ्तर में बैठकर पुलिसिंग नहीं हो सकती। मैदानी अमले को दुरुस्त रखने के लिए साहब बनकर काम नहीं किया जा सकता, उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना पड़ता है।'
कई बार खुद करते हैं ये सारे काम:
किसी कार्यक्रम में सुरक्षा के लिए अस्थाई टेंट गाड़ना हो या बस में चढ़कर सामान की चेकिंग करना, आईजी सागर यह सभी काम कई बार खुद करते हैं।
साइकिल से काम ज्यादा आसान होगा:
सागर फील्ड पर साइकिल का खूब इस्तेमाल करते रहे हैं। सागर ने कहा था, 'साइकिल से गश्त करने से पुलिस वाले बीट में ज्यादा समय बिता सकते हैं, पतली गलियों में भी आसानी से घूम सकते हैं। साथ ही अपराधियों को गाड़ी की आवाज सुनकर भागने का मौका नहीं मिलता। इससे काम में आसानी भी होती है और पर्यावरण की रक्षा भी होती है।"