TOC NEWS // अवधेश पुरोहित
भोपाल । मध्यप्रदेश में जहां शासकीय संरक्षण में लोगों के दैनिक उपयोग के खाद्य पदार्थों जिनमें दूध, खाद्य तेल और खाद्य सामग्रियों में तो मिलावट का जोर है जिसके चलते लोगों को मिलावटी सामग्री खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर शासकीय अधिकारियों की सीमेंट फैक्ट्रियों और मिलावटी सामग्री का कारोबार करने वाले लोगों की मिलीभगत के चलते सीमेंट, लोहा और रेत जैसी वस्तुओं में मिलावट का दौर जारी है।
जिसके चलते राज्यभर में नकली सीमेंट का कारोबार सरकारी संरक्षण में पनप रहा है, राज्य में जितने भी निर्माण कार्य सरकारी योजनाओं के तहत जारी हैं उनमें अमानक सीमेंट का उपयोग भी सरकारी अधिकारियों के संरक्षण में धड़ल्ले से पनप रहा है। राज्य में हो रहे अधिकांश निर्माण कार्यों में और खासकर राज्य सरकार द्वारा बनवाये जा रहे शौचालयों में जिस निर्माण सामग्री का उपयोग हो रहा है उसमें अधिकांश नकली सीमेंट के उपयोग का दौर जारी है।
निर्माण एजेंसियों और नकली सीमेंट के कारोबारियों की सांठगांठ के चलते राज्यभर में जो शौचालय का निर्माण किया जा रहा है उनमें नकली सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है। यह उल्लेखनीय है कि सिंहस्थ के आयोजन के समय जितने भी निर्माण कार्य हुए उनमें इस तरह की नकली सीमेंट का उपयोग का जोर रहा। इसी दौरान उज्जैन जिले के मक्सी सहित उज्जैन के कई स्थानों से भारी मात्रा में नकली सीमेंट के पकड़े जाने के बाद भी सरकार की निर्माण एजेंसियां नहीं चेती?
यह उल्लेखनीय है कि राज्य के नीमच जिले की एक सीमेंट फैक्ट्री तीन रैक सीमेंट से भरी बाजार से इस कारण वापस आई थीं कि वह तीनों रैकों में भरी सीमेंट अमानक पाई गई। इसके बाद उक्त सीमेंट कंपनी की बाजार से लौटी तीन रैक सीमेंट का क्या हुआ यह चर्चाओं में है। कुल मिलाकर राज्य में इन दिनों सरकारी योजनाओं के अंतर्गत बनने वाले निर्माणाधीन भवनों और शौचालयों में खुलेआम नकली सीमेंट का उपयोग किए जाने का कई जगह खुलासा हुआ है। यही कारण है कि राज्यभर में बन रहे शौचालयों का निर्माण में गुणवत्ता का अभाव की शिकायतें मिल रही हैं।