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New Delhi: लंबे समय से अटलांटिक महासागर में रहस्य बने बरमूडा ट्राइएंगल से वैज्ञानिकों ने पर्दा हटा दिया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस क्षेत्र में जहाजों और विमानों के लापता होने के पीछे दरअसल हेक्सागोनल बादल जिम्मेदार हैं।
पिछले 100 सालों में इसमें 75 Aeroplane और 100 से ज्यादा छोटे-बड़े जहाज समा चुके हैं। और 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
आपको बता दें दुनिया की सबसे रहस्यमयी जगह, जिसका नाम है बरमूडा ट्रायंगल। ये वो इलाका है जिसके आस-पास से गुजरने वाली हर चीज़ रहस्यमय तरीक़े से अचानक ग़ायब हो जाती है। पानी का जहाज़ हो या हवाई जहाज़, बरमूडा ट्राएंगल के आस-पास जो भी गया, वो हमेशा के लिए ग़ायब हो गया।
लेकिन हाल ही में नासा के सैटेलाइट ने धरती की कुछ ऐसी तस्वीरें खींची हैं जो बरमूडा ट्राएंगल के रहस्य से पर्दा हटा सकती हैं। इनमें अटलांटिक महासागर में स्थित बरमूडा ट्राएंगल के ऊपर मंडराते बादलों की भी तस्वीर है।
बहामस और बरमूडा के बीच बादलों की तस्वीर देखने के बाद वैज्ञानिक चौंक गए। क्योंकि, बरमूडा ट्राएंगल पर मंडराने वाले कुछ बादल आम बादलों से पूरी तरह अलग थे। सैटेलाइट की तस्वीरों में साफ़ दिखा कि बरमूडा ट्राएंगल के ऊपर मंडराने वाले कुछ बादलों का आकार हेक्सागन यानी छह कोणों जैसा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक आमतौर पर बादलों का आकार ऐसा नहीं होता है।
सैटैलाइट तस्वीरों में बरमुडा के पास छह भुजाओं वाले बादलों को देखकर वैज्ञानिक उत्साहित हो गए। सैटेलाइट की तस्वीर से पता चला की षटकोण जैसे दिखने वाले इन बादलों के नीचे 274 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से तूफ़ानी हवाएं चल रही थीं। ये तूफ़ानी हवाएं आसमान में 45 फीट ऊंची लहर या बवंडर बनाती हैं। वैज्ञानिकों ने हवा के बवंडर की ताक़त देखते हुए इसे एयर बॉम्ब नाम दिया है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि बरमूडा ट्राएंगल पर बनने वाला फोर्स समुद्र के पानी से टकराता है, जिससे सुनामी से भी ज्यादा ऊंची लहरें पैदा होती हैं। ये लहरें आपस में टकराकर और ज्यादा एनर्जी पैदा करती हैं।
इस दौरान इनके आसपास मौजूद हर चीज बरबाद हो जाती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि ये बादल बरमूडा आईलैंड के साउथ वाले हिस्से में पैदा होते हैं फिर 20 से 55 मील तक का सफर तय करते हैं।
बरमूडा ट्राएंगल के रहस्य पर दुनिया में कई थ्योरी दी जाती रही हैं। ऐसी ही एक थ्योरी में कहा गया है बरमूडा ट्राएंगल की ताकत के पीछे एलियन हैं। इसके बाद कुछ साइंटिस्ट ने कहा था कि बरमूडा ट्राएंगल वाली जगह पर समुद्र से मीथेन गैस का रिसाव हो रहा है, जिसकी वजह से वहां खास तरह का ग्रेविटेशनल फोर्स बनता है। और यह आसपास की सभी चीजों को अपनी तरफ खींच लेता है।
रहस्यमयी ताकतों से भरा ये बरमूडा ट्रायंगल 1609 में पहली बार तब चर्चा में आया। जब यहां से गुजर रहा अंग्रेज़ी जहाज द सी वेंचर्स अचानक ही ग़ायब हो गया। इसके बाद तो तमाम विमान और पानी के जहाज़ समुद्र के इस हिस्से में आने के बाद हमेशा के लिए लापता हो गया।