TOC NEWS
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने जब नोटबंदी का फैसला भारत की जनता पर थोपा था तब उनका कहना था कि इस फैसल से किसान, मजदूर, और गरीब को फायदा मिलेगा। लेकिन नोटबंदी ने अब अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। वर्ल्ड बैंक ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि नोटबंदी का सबसे बुरा असर गरीबों और आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग पर पड़ा है।
पिछले साल नवंबर में नरेंद्र मोदी सरकार के 500 और 1000 के पुराने नोटों को बंद करने और उसके बाद एटीएम निकासी पर पाबंदी लगाने के फैसले के बाद पूरे देश में हाहाकार मच गया था। लेकिन मोदी सरकार ने यह बार-बार दावा किया नोटबंदी का देश के किसान, मजदूर, और कामगारों पर कोई असर नहीं होगा। अर्थशास्त्रियों का कहना था कि नोटबंदी का असर छह महीने बाद दिखेगा और यह सच साबित हो रहा है। वर्ल्ड बैंक ने साफ कहा है कि नोटबंदी से सबसे ज्यादा गरीबों और कामगारों को हुआ है।
वर्ल्ड बैंक का कहना है कि इसका सबसे ज्यादा असर कंस्ट्रक्शन और असंगठित खुदरा क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। कमजोर आर्थिक वर्ग के ज्यादातर लोग इस सेक्टर में काम करते हैं। इस सेक्टर में काम की कमी और छंटनी की वजह से रोजगार पर नकारात्मक असर तो पड़ा ही है, ग्रामीण सेक्टर में चीजों की खपत और उपभोग भी घटा है।
देश की जीडीपी में अऩौपचारिक सेक्टर की हिस्सेदारी भले ही 40 फीसदी हो लेकर यह देश के 90 फीसदी कामगारों को रोजगार देता है। नोटबंदी का नकारात्मक असर सबसे ज्यादा इसी सेक्टर पर पड़ा है। लाजिमी है कि इसकी चोट देश के कामगारों के रोजगार पर पड़ी है।
गरीब और कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि वाले अधिकतर लोग किसानी, छोटे खुदरा और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में काम करते हैं। इस सेक्टर कैशलेस होने की क्षमता कम होती है। लिहाजा जब नोटबंदी हुई तो सबसे ज्यादा बुरा असर इन्हीं सेक्टरों पर पड़ा। नतीजतन लोगों को नौकरियां गई और वे गरीबी में धकेल दिए गए।
इन अऩौपचारिक सेक्टरों में जिन लोगों की नौकरियां गई हैं, उनमें से कइयों को पास अब भी रोजगार नहीं हैं। क्योंकि नोटबंदी की वजह से अनौपचारिक सेक्टर की कई इंडस्ट्री उबर नहीं पाई हैं। कंस्ट्रक्शन गतिविधियां सुस्त पड़ी हुई हैं। किसानों के लिए मोदी सरकार ने जिस बढ़े हुए समर्थन मूल्य का वादा किया था वह पूरा नहीं हुआ है।
टेक्सटाइल, लेदर, जेम्स-ज्वैलरी सेक्टर भी सुस्त पड़े हुए है क्योंकि विकसित देशों की आयात मांग में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है। रोजगार के मोर्चे पर इस संकट का बुरा असर साफ दिख रहा है। सरकार पर हर ओर से रोजगार बढ़ाने का दबाव बढ़ रहा है। लेकिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का कहना है कि बेरोजगारी की खबरें मीडिया की गढ़ी हुई हैं।