TOC NEWS
नई दिल्ली. बच्चों के प्रति पुलिस के दुर्व्यवहार पर ‘‘मूक दर्शक’’ बने रहने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने बाल कल्याण आयोग पर कड़ी टिप्पणी करते हुये कहा है कि ऐसा आयोग नहीं चाहिए जो मूकदर्शक बना रहे ।
हाईकोर्ट में कुछ अधिवक्ताओं की शिकायत पर आयोग ने यह टिप्पणी की। अधिवक्ताओं ने अदालत को बताया था कि बचाए गए बच्चों को जब आयोग में पेश किया गया तो पीठ के सामने ही पुलिस ने कथित रूप से बच्चों की पिटाई की और उनके साथ दुर्व्यवहार किया जिसका न तो विरोध किया गया और न ही इसके खिलाफ कोई कार्रवाई की गयी ।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की पीठ को दिल्ली कानूनी सेवा अधिकरण तथा एक गैर सरकारी संगठन के अधिवक्ताओं ने बताया कि आयोग में उन्हें भी उत्पीड़न का सामना करना पड़ा और यह तब और बढ़ गया जब उन लागों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया । पीठ ने इस पर कहा, ‘‘हमें ऐसा आयोग नहीं चाहिए जो मूक दर्शक हो। आरोप गंभीर हैं। बच्चों के साथ पुलिस क्यों दुर्व्यवहार करती है। यह ठीक नहीं है। जब अधिवक्ता इसकी शिकायत कर रहे हैं तो दिल्ली सरकार को इस बारे में कुछ करना पड़ेगा। क्या ( दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्री ) मनीष सिसोदिया इस बात से अवगत हैं क्या हो रहा है। इसे गंभीरता पूर्वक लीजिए ।’’
अदालत ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर उसकी अधिवक्ता शिल्पा दीवान को इस संबंध में दिशा निर्देश का पता लगाने तथा कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने अधिकरण के सचिव संजीव जैन को अयोग में उत्पीड़न का सामना करने वाली कानूनी सहायता अधिवक्ता ममता श्रीवास्तव तथा गैर सरकारी संगठन के अधिवक्ताओं संजीवनी अग्रवाल और ज्योति अग्रवाल से बातचीत करने तथा मुहरबंद कवर में रिपोर्ट अदालत में जमा कराने का निर्देश दिया है। पीठ ने जैन से यह भी कहा है कि वह इस मामले में आयोग का पक्ष जानने के लिए आयोग के अधिकारियों से भी बातचीत करें।