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नई दिल्ली । नियंत्रक महालेखापरीक्षक (कैग) की यह रिपोर्ट तीन भागों में है। इस रिपोर्ट में दिल्ली परिवहन सेवा, स्वच्छ भारत मिशन, शिक्षा के क्षेत्र में और राशन वितरण जुडे कई विभागों में अनियमिताओं का खुलासा हुआ है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भी बड़े स्तर पर धांधली होने की बात सामने आई है। ऐसे में इस रिपोर्ट के विधानसभा में पेश होने के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का कहना है कि नियंत्रक महालेखापरीक्षक द्वारा बताए गए भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामलों की कड़ाई से जांच होगी। इसमें कोई भी भी बख्शा नहीं जाएगा।
दिल्ली में राशन माफिया पूरी तरह से हो चुके हावी
राशन वितरण मामले में तो उन्होंने लेफ्टिनेंट गवर्नर यानी कि एलजी अनिल बैजल पर निशाना साधा। केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली में राशन माफिया हावी है। राशन की होम डिलीवरी मामलों की जांच जरूरी है। इस योजना पर फिर से विचार विमर्श करना होगा। राशन वितरण केंद्रों पर राशन की ढुलाई के लिए बस, तिपहिया वाहन, मोटर साइकिल और स्कूटर का इस्तेमाल किया गया। यह भी सवाल उठता है कि राशन बांटा गया या नहीं या फिर ढुलाई के फर्जी आंकड़े दिखाए गए हैं।
रिपोर्ट में ऐसी तमाम गड़बड़ियां सामने आई हैं
कैग रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली परिवहन निगम की 2682 बसें बगैर इंश्योरेंस के दौड़ने से निगम को 10.34 करोड़ का घाटा हो चुका है। दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड यानी कि डीटीएल की लापरवाही से राजस्व के नुकसान की बात सामने आई है। ग्रिड लगाने के लिए भूमि खरीद ने डीडीए को 11.16 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया गया, लेकिन ग्रिड आज तक नहीं लगी। वहीं दिल्ली पावर कंपनी लिमिटेड यानी कि डीपीसीएल को 60 करोड़ रुपये का दंड चुकाना पड़ा। इससे पहले भी नियंत्रक महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में इस तरह की लापरवाही सामने आ चुकी है।
अधिकांश योजनाएं सिर्फ कागजों पर चल रही हैं
इसके अलावा दिल्ली में मौजूद 68 ब्लड बैंकों में से 32 के पास वैध लाइसेंस नहीं हैं। इतना ही नहीं ज्यादातर ब्लड बैंकों में दान में मिले ब्लड में एचआइवी, हेपेटाइटिस बी व हेपेटाइटिस सी जैसी गंभीर बीमारियों के संक्रमण का पता लगाने के लिए एनएटी यानी कि न्यूक्लिक एसिड टेस्ट जांच भी नहीं की जाती। स्वच्छ भारत मिशन के तहत 40.31 करोड़ रुपये का बजट होने के बावजूद पिछले ढाई सालों में दिल्ली में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण नहीं किया गया। इसका कोई मैप भी नहीं तैयार किया गया है। खेल की विशेष सुविधा नहीं है। वन विभाग ने पहले वृक्षारोपण का अपना लक्ष्य तक नहीं पूरा है।