स्व-कर निर्धारण में करीब 2.80 लाख प्रकरणों का निराकरण
भोपाल : मई 4, 2018, प्रदेश में वाणिज्यिक कर विभाग ने उपभोक्ताओं को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कर की दरों में कमी का लाभ दिलाने और शिकायतों पर प्रभावी कार्यवाही के लिये एंटी प्रोफेटियरिंग अथॉरिटी का गठन किया है। अथॉरिटी के गठन की जानकारी प्रदेश के सभी वाणिज्यिक कर कार्यालयों को उपलब्ध करवाई गयी है।
राज्य के व्यवसायी करदाताओं की सुविधा के लिये विभागीय कार्य प्रणाली का कम्प्यूटरीकरण किया गया है। ईज ऑफ डूइंग के अंतर्गत वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा व्यवसायी कर-दाताओं को ऑनलाईन पंजीयन, ई-रिटर्न फाईल, ई-पेमेंट और विभिन्न प्रकार के फार्म डाउनलोड करने की सुविधा उपलब्ध करवायी गयी है।
प्रदेश में एक जुलाई 2017 से नवीन कर प्रणाली जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश में पूर्व से पंजीकृत व्यवसायियों में से दो लाख 66 हजार 744 करदाता जीएसटी में माइग्रेट किये जा चुके हैं। व्यवसायी करदाताओं को जीएसटी में परेशानियों से बचने के लिये वाणिज्यिक कर विभाग ने प्रदेश में लगभग 1200 कार्यशालाएं आयोजित की हैं।
स्व-कर निर्धारण
प्रदेश में पंजीकृत व्यवसाईयों को स्व-कर निर्धारण की सुविधा देने के मकसद से वर्ष 2015-16 की अवधि से संबंधित 6 लाख 10 हजार प्रकरणों में से करीब 2 लाख 80 हजार प्रकरणों का स्व-कर निर्धारण कर विभाग द्वारा निराकरण किया गया है। प्रदेश में कार्यरत टैक्स ऑडिट विंग द्वारा पिछले वर्ष 541 व्यवसाईयों का ऑडिट कर करीब 5 करोड़ रूपये की राशि जमा करवायी गयी है।
कर निर्धारण के अधिकार
प्रदेश में कर निर्धारण कार्य के अंतर्गत एक करोड़ रूपये तक वार्षिक टर्नओव्हर वाले व्यवसाईयों का सहायक वाणिज्यिक कर अधिकारियों द्वारा, 15 करोड़ रूपये तक वार्षिक टर्नओव्हर वाले व्यवसाइयों का वाणिज्यिक कर अधिकारियों द्वारा तथा 50 करोड़ रूपये तक वार्षिक टर्नओव्हर वाले व्यवसाईयों का कर-निर्धारण कार्य सहायक आयुक्तों द्वारा किया जा रहा है। प्रदेश में 50 करोड़ रूपये से अधिक वार्षिक टर्नओव्हर वाले व्यवसाईयों के कर-निर्धारण के लिये संभागीय उपायुक्तों को अधिकृत किया गया है।