केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ( यूपीपीएससी ) द्वारा 2015 में ली गई उच्च अधीनस्थ परीक्षा में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए शनिवार एक प्राथमिकी दर्ज की। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि इस विषय के सिलसिले में सीबीआई और भी प्राथमिकी दर्ज कर सकती है।
दरअसल, केंद्रीय जांच एजेंसी को परीक्षा की जांच शुरू करने के लिए राज्य सरकार से एक सिफारिश मिली थी, जिसमें नियमों का उल्लंघन , पक्षपात और कुछ जातियों को तरजीह देने सहित अन्य आरोप लगाए गए थे। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने इलाहाबाद स्थित यूपीपीएससी द्वारा 2012 से 2017 के बीच कराई गई परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं की छानबीन करने के लिए एक प्राथमिक जांच दर्ज की थी।
उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्टया एकत्र किए गए सबूतों के आधार पर जांच एजेंसी ने शनिवार को यूपीपीएससी के अज्ञात अधिकारियों और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। उन पर आपराधिक साजिश रचने , धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। सीबीआई ने 2015 में उच्च अधीनस्थ स्टाफ के लिए हुई परीक्षा के सिलसिले में यह प्राथमिकी दर्ज की।
बता दें, सीबीआई जांच को रोकने के लिए लोक सेवा आयोग ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। पहले इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई लेकिन हाईकोर्ट ने इसे 28 फरवरी को खारिज कर दिया। उसके बाद आयोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया । जहां 4 मई को एसएलपी पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी कोई अंतरिम राहत नहीं दी ।
इससे यह साफ हो गया कि सीबीआई किसी भी वक्त एफआईआर दर्ज कर सकती है। इससे पहले सीबीआई ने करीब 2 महीने की अपनी जांच के दौरान पर्याप्त सबूत भी जुटा लिए थे जिससे कोर्ट में वह अपना पक्ष मजबूती से रख सके।
दरअसल, केंद्रीय जांच एजेंसी को परीक्षा की जांच शुरू करने के लिए राज्य सरकार से एक सिफारिश मिली थी, जिसमें नियमों का उल्लंघन , पक्षपात और कुछ जातियों को तरजीह देने सहित अन्य आरोप लगाए गए थे। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने इलाहाबाद स्थित यूपीपीएससी द्वारा 2012 से 2017 के बीच कराई गई परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं की छानबीन करने के लिए एक प्राथमिक जांच दर्ज की थी।
उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्टया एकत्र किए गए सबूतों के आधार पर जांच एजेंसी ने शनिवार को यूपीपीएससी के अज्ञात अधिकारियों और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। उन पर आपराधिक साजिश रचने , धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। सीबीआई ने 2015 में उच्च अधीनस्थ स्टाफ के लिए हुई परीक्षा के सिलसिले में यह प्राथमिकी दर्ज की।
बता दें, सीबीआई जांच को रोकने के लिए लोक सेवा आयोग ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। पहले इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई लेकिन हाईकोर्ट ने इसे 28 फरवरी को खारिज कर दिया। उसके बाद आयोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया । जहां 4 मई को एसएलपी पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी कोई अंतरिम राहत नहीं दी ।
इससे यह साफ हो गया कि सीबीआई किसी भी वक्त एफआईआर दर्ज कर सकती है। इससे पहले सीबीआई ने करीब 2 महीने की अपनी जांच के दौरान पर्याप्त सबूत भी जुटा लिए थे जिससे कोर्ट में वह अपना पक्ष मजबूती से रख सके।