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मंगलवार को लोकसभा में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने वाला संविधान 124वां संशोधन विधेयक पेश कर दिया गया है। चुनावी आहट के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सोमवार को सवर्ण वोटों पर नजर रखते हुए मोदी कैबिनेट ने गरीब सवर्णों (आर्थिक रूप से पिछड़ी ऊंची जातियों) को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने को मंजूरी दे दी। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने संविधान (124 वां संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया।
विधेयक पेश किये जाने के दौरान समाजवादी पार्टी के कुछ सदस्य अपनी बात रखना चाह रहे थे लेकिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसकी अनुमति नहीं दी। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण को सोमवार को मंजूरी दी। अभी तक संविधान में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है। ये 10% आरक्षण इससे अलग होगा।
विधेयक पेश किये जाने के दौरान समाजवादी पार्टी के कुछ सदस्य अपनी बात रखना चाह रहे थे लेकिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसकी अनुमति नहीं दी। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण को सोमवार को मंजूरी दी। अभी तक संविधान में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है। ये 10% आरक्षण इससे अलग होगा।
इसमें किसी भी आरक्षण के प्रावधान के तहत नहीं आने वाले वर्गो जैसे ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर, जाट, गुज्जर, मुस्लिम व ईसाई शामिल होंगे। समझा जाता है कि यह आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े ऐसे गरीब लोगों को दिया जाएगा, जिन्हें अभी आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है। आरक्षण का लाभ उन्हें मिलने की उम्मीद है जिनकी वार्षिक आय आठ लाख रूपये से कम होगी और 5 एकड़ तक जमीन होगी।
- सालाना 8 लाख आमदनी या 5 एकड़ से कम खेती वाले सामान्य वर्ग को भी आरक्षण सुविधा दी जाए।
- आरक्षण बिल अगर पास हो गया तो इसका लाभ लाभ ब्राह्मण, राजपूत (ठाकुर), जाट, मराठा, भूमिहार, कई व्यापारिक जातियों, कापू और कम्मा सहित कई अन्य अगड़ी जातियों को मिलेगा।
- इसके अलावा गरीब ईसाइयों और मुस्लिमों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा।
- आरक्षण का लाभ लेने के लिए नगर निकाय क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट या इससे ज्यादा क्षेत्रफल का फ्लैट नहीं होना चाहिए और गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में 200 यार्ड से ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए।
- आरक्षण का लाभ लेने के लिए जाति प्रमाणपत्र और आय प्रमाण पत्र भी देना होगा।
इस आरक्षण का फायदा उठाने के लिए सवर्ण जाति के लोगों को ये कागजात दिखाने होंगे।
- आरक्षण का लाभ उठाने के लिए आपको आय प्रमाण पत्र दिखाना होगा। आपको बता दें जिन सवर्णों की सालाना आय 8 लाख रुपये से कम है, वही इसका फायदा उठा पाएंगे।
- इसके अलावा आरक्षण का फायदा उठाने के लिए जाति प्रमाण पत्र, बीपीएल कार्ड और पैन कार्ड भी दिखाना होगा।
- आरक्षण का लाभ उठाने के लिए यही नहीं आधार कार्ड, बैंक पास बुक और इनकम टैक्स रिटर्न भी दिखाना जरूरी होगा।
- आरक्षण बिल अगर पास हो गया तो इसका लाभ लाभ ब्राह्मण, राजपूत (ठाकुर), जाट, मराठा, भूमिहार, कई व्यापारिक जातियों, कापू और कम्मा सहित कई अन्य अगड़ी जातियों को मिलेगा।
- इसके अलावा गरीब ईसाइयों और मुस्लिमों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा।
- आरक्षण का लाभ लेने के लिए नगर निकाय क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट या इससे ज्यादा क्षेत्रफल का फ्लैट नहीं होना चाहिए और गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में 200 यार्ड से ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए।
- आरक्षण का लाभ लेने के लिए जाति प्रमाणपत्र और आय प्रमाण पत्र भी देना होगा।
इस आरक्षण का फायदा उठाने के लिए सवर्ण जाति के लोगों को ये कागजात दिखाने होंगे।
- आरक्षण का लाभ उठाने के लिए आपको आय प्रमाण पत्र दिखाना होगा। आपको बता दें जिन सवर्णों की सालाना आय 8 लाख रुपये से कम है, वही इसका फायदा उठा पाएंगे।
- इसके अलावा आरक्षण का फायदा उठाने के लिए जाति प्रमाण पत्र, बीपीएल कार्ड और पैन कार्ड भी दिखाना होगा।
- आरक्षण का लाभ उठाने के लिए यही नहीं आधार कार्ड, बैंक पास बुक और इनकम टैक्स रिटर्न भी दिखाना जरूरी होगा।
- सूत्रों के मुताबिक, आरक्षण का कोटा मौजूदा 49.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 59.5 प्रतिशत किया जाएगा।लंबे समय से आर्थिक रूप से पिछले सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग की जा रही थी। हालांकि इस आरक्षण को लागू कराने की राह अब भी मुश्किल है। सरकार को इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा। इसके लिए उसे संसद में अन्य दलों के समर्थन की भी जरूरत होगी।
मोदी सरकार का यह फैसला 2019 के लोकसभा चुनावों में उसके लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में मिली भाजपा की हार की एक वजह एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ सवर्णों की नाराजगी भी बताई जा रही है। समझा जाता है कि सरकार आरक्षण का मरहम लगा गरीब सवर्णों को अपने पाले में करने का दांव खेला है। इस बीच कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस ने सरकार से पूछा है कि वह साढ़े चार साल तक क्या करती रही है और वह संशोधन विधेयक को पारित कैसे कराएगी। कैबिनेट के इस ऐतिहासिक फैसले का लाभ राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार, बनिया सहित आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को मिलेगा। आर्थिक रूप से पिछड़े इन वर्गों को 10 फीसदी आरक्षण का लाभ दाने के लिए सरकार को अनुच्छेद 15 एवं 16 में स्पेशल क्लॉज जोड़कर संवैधानिक संशोधन करने होंगे।
मोदी सरकार का यह फैसला 2019 के लोकसभा चुनावों में उसके लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में मिली भाजपा की हार की एक वजह एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ सवर्णों की नाराजगी भी बताई जा रही है। समझा जाता है कि सरकार आरक्षण का मरहम लगा गरीब सवर्णों को अपने पाले में करने का दांव खेला है। इस बीच कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस ने सरकार से पूछा है कि वह साढ़े चार साल तक क्या करती रही है और वह संशोधन विधेयक को पारित कैसे कराएगी। कैबिनेट के इस ऐतिहासिक फैसले का लाभ राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार, बनिया सहित आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को मिलेगा। आर्थिक रूप से पिछड़े इन वर्गों को 10 फीसदी आरक्षण का लाभ दाने के लिए सरकार को अनुच्छेद 15 एवं 16 में स्पेशल क्लॉज जोड़कर संवैधानिक संशोधन करने होंगे।