शराब दुकान का फर्जी ठेका हासिल कर करोड़ों रूपए की इंकम टैक्स चोरी, आयकर विभाग और ईओडब्ल्यू में शिकायत |
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रायपुर। देश में सबसे ज्यादा शराब खपत करने वाले छत्तीसगढ़ में जिन लोगों ने सरकार से दुकानें लेकर शराब बेची और करोड़ों रुपये कमाया उन लोगों के द्वारा एक रुपये का भी आयकर नहीं भरा गया. ऐसे लोगों की शिकायत आयकर विभाग और ईओडब्ल्यू से की गई है.
जनता कांग्रेस प्रवक्ता नितिन भंसाली ने छत्तीसगढ़ के शराब ठेकेदारों के ऊपर फर्जी तरीके से शराब दुकान हासिल करने का आरोप लगाया है. भंसाली का आरोप है कि शराब ठेकेदारों ने अपने स्टाफ, नौकर, चौकीदार, ड्राइवर, किसान, मजदूर, रिश्तेदार इत्यादियों के नाम पर शराब दुकानें हासिल की. उन्होंने आरोप लगाया है कि इस पूरे मामले में शराब ठेकेदारों ने करोड़ों अरबों रुपये के इंकम टैक्स की चोरी की है.
नितिन भंसाली ने जो शिकायत की है उसके अनुसार मामला 2012 से 2017 के बीच का है. इस दौरान छत्तीसगढ़ में शराब दुकानों का आबंटन लॉटरी सिस्टम के माध्यम से किया जाता था. सरकार द्वारा शराब दुकान के लिए निविदा आमंत्रित किया जाता था. शराब दुकान हासिल करने के लिए एक-एक ठेकेदार द्वारा 300 से लेकर 500 और उससे भी कहीं ज्यादा फार्म भरे जाते थे. इन फार्मों को भरने के लिए निविदा की शर्तों के मुताबिक पैन कार्ड होना आवश्यक रहता था. लिहाजा शराब ठेकेदारों द्वारा अपने घर और आफिस में काम करने वाले स्टाफ, स्टाफ के रिश्तेदार, किसान, ड्राइवर, नौकर-नौकरानियों इत्यादि के नाम पर पैन कार्ड बनवाया जाता था और इन लोगों के नाम पर फार्म भर कर निविदा प्रक्रिया में शामिल होते थे. जिन लोगों के नाम पर फार्म भरे जाते थे उनमें से ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी भी नहीं होती थी.
लॉटरी सिस्टम से नाम निकलने के बाद उन दुकानों का संचालन उन लोगों के द्वारा नहीं किया जाता था जिनके नाम पर दुकानों का आबंटन होता था. बल्कि शराब ठेकेदार द्वारा ही उन दुकानों का संचालन किया जाता था. जिन व्यक्तियों का पैनकार्ड बनवा कर ठेकेदार शराब दुकान संचालित करते थे और करोड़ों-अरबों रुपये कमाते थे लेकिन उनके द्वारा उसका आयकर नहीं भरा जाता था. इस पूरे मामले में ठेकेदारों द्वारा आयकर विभाग को हर साल कई करोड़ रुपये का चूना लगाया जाता था. अगर प्रदेश भर की बात करें तो यह आंकड़ा सैकड़ों करोड़ रुपये पार कर जाता है.
लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में नितिन भंसाली ने कहा कि 2012 से 2016 के बीच आबकारी विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में शराब निर्माताओं और ठेकेदारों द्वारा जालसाजी कर कई सौ करोड़ रुपये की आयकर चोरी की गई है. उन्होंने इस पूरे मामले में ईओडब्ल्यू जांच की मांग करने के साथ ही दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है.